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योगी सरकार में पत्रकारों पर जुल्म बढ़े , जल सत्याग्रह कर किया विरोध प्रदर्शन

दिल्ली : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार चौथे स्तंभ का गला घोटने पर तुली है। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से लोकतांत्रिक देश के इतिहास की सबसे काली घटनाओं में से एक सामने आई है।


प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार कुरीतियां व कोविड-19 के चलते बदहाल व्यवस्था को दिखाने के कारण यहां पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है। यहां के जिला अधिकारी पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार व पत्रकारों पर फर्जी केस दर्ज कर झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगा है। जिसके चलते फतेहपुर के पत्रकारों ने गंगा नदी में जल सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की है।


चौकिएगा बिल्कुल नहीं नीचे जो जल सत्याग्रह आंदोलन कर रहे वह कोई राजनेता नहीं है बल्कि वह पत्रकार हैं। जिनकी जिम्मेदारी जन सरोकार की पत्रकारिता करना है और उन्होंने किया भी वही है। यही इनका सबसे बड़ा कसूर भी है। इन्होंने प्रशासन के भ्रष्टाचार व कुरीतियों की पोल खोलने की गलती की या फिर कहें जनता की परेशानियों को उठा कर अपना फर्ज अदा किया। यही सब सरकार को बुरा लग गया। पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए फर्जी केस लादकर इनकी कलम या फिर कहें पत्रकारिता पर रोक लगाने की कोशिश की है। इसे सीधे शब्दों में कहा जाए कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रहार कर कलम को रोकने की कोशिश की गई तो गलत नहीं होगा।


मालूम हो कि पिछले दिनों फतेहपुर जिले के वरिष्ठ पत्रकार व जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया व विवेक मिश्र के खिलाफ जिला प्रशासन ने फर्जी व मनगढ़ंत मुकदमा कायम कराया था। जिसको लेकर 30 मई के दिन हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर जनपद भर के पत्रकारों ने काला दिवस मनाया था। जिला प्रशासन की पत्रकार विरोधी नीतियों के चलते फतेहपुर के पड़ोसी जनपदों रायबरेली, बांदा, कानपुर, इलाहाबाद, लखनऊ, हमीरपुर आदि के साथ कई पत्रकार संगठनों ने समर्थन करते हुए राज्यपाल को ज्ञापन देकर जिलाधिकारी की पत्रकार विरोधी नीतियों की आलोचना करते हुए प्रेस कौंसिल आफ इंडिया से मामले को संज्ञान में लेने का आग्रह किया है।


जिले में कई जगह पत्रकारों ने आज गंगा और यमुना में जल में अर्धनग्न खड़े होकर जिला प्रशासन के खिलाफ जल सत्याग्रह किया। पत्रकारों ने सरकार की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष अजय सिंह भदौरिया व विवेक मिश्र के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमे को वापस लिए जाने की मांग की है। पत्रकारों का आरोप है कि जिला प्रशासन अपनी नाकामी को छिपाने के लिए पत्रकारों पर मनमाने ढंग से मनगढ़ंत और फर्जी मुकदमा कायम किए जा रहे है। जिसको लेकर पत्रकार आंदोलन की राह पर हैं, और अगर जल्दी यह फर्जी मुकदमे वापस लिए गए तो पूरे प्रदेश में एक बड़ा आंदोलन करेगा।


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