गाजियाबाद : दोस्तों मैं आपका अच्छा दोस्त मनजीत बोल रहा हूं | जब कोई गुरु की बात करें तो और तुम शांत हो जाओ तुम्हारी आंखें नम हो जाए | जब आपकी आंखें किसी को तलाशने लगे आंखों को किसी का इंतजार रहता हो जुबान बोलना तो चाहे मगर आवाज शांत रहती हो | जब खुशी या गमी का आप पर ज्यादा असर ना हो होली दिवाली का पर्व ना भी हो और आपका मन अंदर खुशी से भरा हो | हर रोज पर्व की तरह बीते तो समझ लो आपकी निकटता परमात्मा से होने लगी | दोस्तों हर वक्त परमात्मा का सिमरन आपके अंदर चलता रहे किसी गमी या खुशी का ज्यादा असर आपकी आत्मा या शरीर पर ना पड़े | आपके मन में सिर्फ एक मूरत बस जाए वह मुहूर्त परमात्मा की हो आप अपना सब कुछ उस शक्ति को माने और उसी को प्रणाम करें | उसी से अपने दिल की बात करें अपना दुख और सुख उसी शक्ति से बांटे तो कह सकते हैं मेरी उससे यारी है |
जिसकी दुनिया सारी है दोस्तों आपका मन परमात्मा के सिमरन में रम जाए सिर्फ उसी परमात्मा का गुणगान करें त्याग करें प्यार बांटे | किसी से द्वेष ना करें आपके बोल लोगों का दिल जीत ले परमात्मा के रंग में रंग जाना ही परमात्मा की निकटता की पहल है | बहुत से पर्व बहुत सी खुशियां जिंदगी में आती हैं मगर सिर्फ परमात्मा ही आपको उस मंजिल तक पहुंचा सकता है | जहां आपकी जिंदगी रोज पर्व मनाने लगे तो यह खुशियां तभी आपको मिलती हैं जब परमात्मा से आपकी निकटता हो | दोस्तों परमात्मा से होली खेलो परमात्मा के रंग में रंगना ही परमात्मा से निकटता है | अध्यात्मिक साधना से ही इंसान बेड़ा पार कर पाता है इंसान की जिंदगी में एक बार अगर परमात्मा का रंग चढ़ गया तो समझ ले वह इंसान चाहे रोज पर्व मनाए खुशियां मनाएं | बस एक बार परमात्मा से निकटता हो जाने के बाद इंसान को गमी और खुशी का ज्यादा असर नहीं होता वह इंसान परमात्मा की निकटता पा लेने के बाद दुनिया के दुखों व सु खो से दूर एक आनंद भरा जीवन जीता है | उसे जिंदगी या मौत का ज्यादा असर नहीं पड़ता दोस्तों दुनिया के पर्व साल में एक बार आते हैं मगर परमात्मा की निकटता पाने वाले रोज पर्व मनाते हैं | परमात्मा हमें जीवन में अनेक सुख खुशियां देता है उसकी मर्जी से यदि हमें दुख सहन करना पड़े तो उसे खुशी से ही स्वीकार करना चाहिए | दुख को भी सहजता से स्वीकार करें सोचना नहीं मैं मनजीत आपका अच्छा दोस्त हूं मैं परमात्मा की निकटता पाना चाहता हूं | अगर दुनिया वालों परमात्मा की ज्योत जागृत हो गई तो फिर दुनिया तुम्हें लाख पागल कहकर पुकारे तुम्हारी खुशियों में कमी आने वाली नहीं | मेरी आवाज सुनो पुकार लगा रहा मनजीत आओ आओ आपको परमात्मा की राह से परिचय करा दो हम परमात्मा की शरण कैसे पा सकते हैं | यह तो समझ आ गया होगा तुम्हें तो दोस्तों परमात्मा से जुड़ें अगर आप परमात्मा से जुड़ना चाहेंगे अगर इतना भी ख्याल भी आपके मन में आ गया तो समझ लूंगा यह लेख लिखना मेरा सार्थक रहा | आपका दोस्त आपका भाई |
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