गाजियाबाद : जो रोटी आपकी थाली में आती है कभी सोचा है उस अन्न के लिए कितने लोगों ने परमात्मा से अरदास की होगी कितनों ने दुआ मांगी होगी, इसलिए थाली में रोटी आने के बाद सबसे पहले परमात्मा का शुक्रिया अदा करें, उसके बाद उस रोटी से एक टुकड़ा तोड़कर अलग रखें, और परमात्मा से अरदास करें,. हे परमात्मा तूने मुझे यह अन्न दिया तेरा शुक्रिया उस अन्न से एक टुकड़ा तोड़ पक्षियों के लिए अलग रख अपना फर्ज निभाना चाहता हूं, दोस्तों जब किसान फसल बोता है तो सौ सौ बार परमात्मा से अरदास करता है की हे परमात्मा फसल अच्छी देना जबकि किसान ने खेत में खाद बीज पानी सब डालने के बाद किसान परमात्मा के आगे अरदास क्यूं करता है जबकि फसल होने के लिए उसने तो खेत में हल चलाकर बीच डाला खाद भी डाली और समय-समय पर पानी भी दिया, फिर परमात्मा से अरदास क्यूं दोस्तों बिना परमात्मा की मर्जी के कुछ नहीं परमात्मा से अरदास किसान अपनी अच्छी फसल के लिए अरदास करता है, जरूरी नहीं आपने खेत में खाद बीज पानी भी दिया और फसल आ जाए परमात्मा की ना मर्जी हो तो खड़ी फसल भी तबाह हो जाती है जिस फसल के लिए किसान परमात्मा के आगे रोज अरदास करता है उसकी फसल का वह अन्न क्या दूध नहीं होगा जिसको उगाने में परमात्मा का सिमरन किया हो वो फसल का अन्न जब आपकी थाली में आता है तो परमात्मा की मर्जी के बिना नहीं भले ही आप दौलत वाले होंगे आप दौलत से कुछ भी खरीद सकते हैं ,दौलत से अन्न आपकी थाली में तो आ जाएगा मगर बिना परमात्मा की मर्जी के आपकी भूख मिटाने का साधन बनेगा, आपने सुना होगा लंगर में बांटा जाने वाला अन्न कैसे स्वाद पूर्ण हो जाता है, क्योंकि जब लंगर पकता है उस वक्त उसे बनाने वाले सेवा करने वाले वाहेगुरु का सिमरन उनके अंदर और जुबान पर चलता रहता है, जिस रोटी को आप खाते हैं उसके लिए कितने लोगों ने अरदास की है फिर परमात्मा की मेहर जिसने आपकी थाली में वह रोटी भेजी और आपकी अरदास सुन उसे आप ग्रहण कर पा रहे हैं, फिर आपने एक टुकड़ा जो पक्षियों के लिए रखा यह बात कह कर रहा है, परमात्मा तेरी मेहर से यह रोटी मुझे मिली तेरी दी हुई रोटी से उनका भी पेट भरे उनका हिस्सा अलग रखते भी आप परमात्मा से अरदास करते हैं इसलिए दोस्तों परमात्मा को हर समय याद रखें, अपने हर काम में परमात्मा को आगे रखें, परमात्मा पर भरोसा करने वाला कभी दुखी नहीं होता, अगर दुख आ भी जाता है तो उसे परमात्मा का प्रसाद समझ के सहन करते हैं, तो परमात्मा उस दुख को जल्द मिटा देता है, और खुशियां देता है, इंसान दोलत से अमीर नहीं बनता आज समाज की जो तस्वीर नजर आती है, वह तस्वीर दौलत वालों का हंकार बोलता है आज भी कुछ घर देखे हैं जहां रोटी जब भी बनती है, पहले अरदास कर फिर वह रोटी ग्रहण करते हैं, उस रोटी में परमात्मा का आशीर्वाद होता है ! आपकी अरदास सुन आप की रोटी को प्रसाद बना आपके अंदर जब वो रोटी का टुकड़ा उतरता है तो वह दूध बनता है और उसी दूध का खून बिना अरदास या अहंकार में लिपटा खाना जब आप खाते हैं तो उसका दूध नहीं और उसका जो खून बनता है उसमें दूसरों के लिए दया भाव प्रेम भाईचारे की खुशबू नहीं होती दोस्तों दया भाव उसी अन्न में होती है, जो आपकी मेहनत और प्रभु की कृपा से आती है, दोस्तों आप बेईमान बन धन तो इकट्ठा कर सकते हैं मगर वह धन आपको खुशियां देगा इसमें शंका है, परमात्मा ही हमें खुशियां देता है, गरीबी में रहकर भी अगर खुशियां मिलती हैं, तो वह परमात्मा की देन है, अगर हमारे अंदर त्याग नहीं तो हम खुशियों के सही हकदार भी नहीं परमात्मा हम से उम्मीद करता है, कि आप मददगार बने सेवा करें मदद करने से इंसान के सारे दुख कष्ट कट जाते हैं, जब किसी गरीब के चेहरे पर मुस्कान देखता हूं तो उसकी मुस्कान में परमात्मा नजर आता है किसी गरीब के चेहरे पर मुस्कान लाना परमात्मा की इबादत है, इंसान को चाहिए की बड़ी ना सही छोटी छोटी खुशियां तो हम समाज में बांट ही सकते हैं, इंसान अगर अपनी जिंदगी की डोर परमात्मा के हाथ छोड़ दे तो परमात्मा खुद खुशियां बनकर आपके आंगन उतरता है, तो दोस्तों इंसाफ में जीना सीखो रोटी से प्रेम करो रोटी के महत्व को समझो, रोटी जब थाली में आती है तो उसे नमस्कार करें प्रणाम करें और उस का शुक्रिया अदा करें जिसने हमें जीने के लिए अन्न दिया और वो अरदास से भरपूर अन्न हमें खुशियां दे, इसके लिए परमात्मा से अरदास करें मेरा मुझमें कुछ नहीं जो कुछ है सो तेरा तेरा तुझको सौंप कर क्या लागे मेरा तभी आपकी जिंदगी में खुशियां भर जाएंगी हमारे जन्म से लेकर मरण तक एक ही दोस्त जो हमारे साथ चलता है हमारी हर जरूरत को पूरा करता है और हमारी जिंदगी में खुशियां भर देता है बस उसका शुक्रिया करें उसका शुक्रिया करें परमात्मा की राह का एक पन्ना परमात्मा की राह नामक एक किताब जो हमारे द्वारा लिखी गई है, दोस्तों आर्टिकल को अवश्य पढ़ा करें आपके पढ़ने के बाद अगर कुछ इंसानों को परमात्मा की राह से जोड़ पाया तो उस परमात्मा का शुक्रिया अदा करूंगा, *सरदार मंजीत सिंह* आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
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