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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा उद्योग आउटरीच वेबिनार में रक्षा मंत्रालय की आत्मनिर्भर भारत पहलों पर प्रकाश डाला

दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम), फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफआईसीसीआई) और रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित आत्मनिर्भर भारत रक्षा उद्योग आउटरीच वेबिनार के अवसर पर हाल ही में घोषित प्रथम रक्षा उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख किया।


गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मई 2020 को कोविड-19 से संबंधित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा के दौरानआत्मनिर्भर भारत अभियान के अपने आह्वान में रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की आवश्यकता पर विशेष रूप से जोर दिया था।उन्होंने 02 जून, 2020 को इसी क्षेत्र से संबंधित अपने दृष्टिकोण को प्रकट किया,जिसमें आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों की पहचान- अर्थव्यवस्था, आधारभूत संरचना, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग के रूप में की गई थी।


रक्षा क्षेत्र को पहले से ही मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने वाले प्रमुख क्षेत्रों में से एक के रूप में निर्धारित किया गया है, जहाँ तत्काल परिवर्तन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अगले पाँच वर्षों में रक्षा उपकरणों के निर्यातक बनने के लिए कुल पाँच बिलियन अमरीकी डालर (35,000 करोड़ रुपये) के रक्षा संबंधी निर्यात लक्ष्य हासिल करने के अपने दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया था।


इस दिशा में, एक प्रारूप उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति तैयार की गई है और इसे विभिन्न हितधारकों से सुझाव प्राप्त करने के लिए सार्वजनिक रूप से रखा गया है।


उत्पादन और निर्यात प्रोत्साहन नीति का उद्देश्य रक्षा विनिर्माण उद्योग को सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं के अनुरूप अत्यधिक प्रत्यक्षता प्रदान करना है। नीति में रखरखाव मरम्मत निरीक्षण (एमआरओ) के साथ-साथ महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा एयरो-इंजन परिसर की स्थापना का भी प्रस्ताव है। इस नीति के तहत, निर्यात लक्ष्य को राजस्व के 25 प्रतिशत रूप में निर्धारित किया गया है। 2025 तक, इस नीति का लक्ष्य वार्षिक कारोबार में 1.75 लाख करोड़ रुपये अर्जित करना है।


रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए, स्वदेशी विक्रेताओं से खरीद के लिए अतिरिक्त 52,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।


हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बहुमूल्य सुझाव पर 101 रक्षा वस्तुओं की नकारात्मक सूची जारी करने की रक्षा मंत्रालयकी पहल की जानकारी देते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक निश्चित अवधि के पश्चात इन वस्तुओं की खरीद विदेश से नहीं की जाएगी। यह सूची एक प्रक्रिया का शुभारंभ है जिसमें रक्षा उद्योग को बदलने की क्षमता है। इन 101 वस्तुओं की इस सूची में न केवल सूक्ष्म कलपुर्जे बल्कि युद्ध प्रणालियां, एकीकृत मंच, लड़ाकू वाहन भी शामिल हैं। यह सूची अभी एक शुरुआत हैताकि आने वाले समय में 1.40 लाख करोड़ रुपये के रक्षा उपकरण स्वदेशी स्तर पर खरीदे जाएं।


रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई साहसिक नीतिगत सुधार किए हैं। इनमें रक्षा क्षेत्र में स्वचालित माध्यम से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाना और निवेश को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक भागीदारी (एसपी) मॉडल के अलावा उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा गलियारों की स्थापना, औद्योगिक लाइसेंस व्यवस्था का उदारीकरण और निवेशकों की समस्याओं का समाधान करने के लिए 'रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ' जैसी पहलें शामिल हैं।


श्री राजनाथ सिंह ने कहा किआत्मनिर्भरता वास्तव में हमारे आत्मविश्वास और शक्ति का दूसरा रूप है। हमारे प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत पांच 'आई'सूत्र अर्थातउद्देश्य, समावेश, निवेश, आधारभूत संरचना और नवाचारके अनुसार हमने अपनी क्षमता में वृद्धि करने की दिशा में कदम उठाए हैं और अब इसके परिणाम भी हमारे सामने आने लगे हैं।


राष्ट्रों के आत्मनिर्भर बनने के आग्रह के विषय पर चर्चा करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्म-निर्भरता की भावनाहमारे समाज, हमारी शिक्षा और मूल्यों में हमेशा से मौजूद रही है। यह हमारी परंपरा से आधुनिक काल तक, एक हिस्से के रूप में हमारे अस्तित्व में है। यह 'वेद' से 'विवेकानंद जी' तक, 'गीता' से 'गांधी जी' तक और 'उपनिषदों' से 'उपाध्याय' (दीनदयाल) जी तक मौजूद हैं। चाहे हमारे महापुरुष हों या हमारी सरकारें हों, सभी ने अपने-अपने तरीके से आत्मनिर्भरता के महत्व को स्वीकार किया है। लेकिन हाल ही के दिनों में, हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत का आह्वान पर किए गए प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं।


प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) का निगमीकरण एक वर्ष के भीतर पूरा हो जाएगा। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारों को अगले पांच वर्षों में हजारों करोड़ रूपए के निवेश को आकर्षित करने के लिए लक्षित किया गया है।


उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में शुरू किए गए विभिन्न सुधारों जैसे ऑफसेट प्रावधान, लघु, कुटीर एवं मध्यम उद्योग से खरीद के लिए मदों का आरक्षण, भारतीय विक्रेता की परिभाषा पर भी जानकारी मांगी।


प्रश्नोत्तर सत्र के पश्चात, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वेबिनार को संबोधित किया।वेबिनार उद्योग तक पहुंच बनाने की दिशा में एक और कदम था जिसका उद्देश्य उद्योग की अपेक्षाओं और क्षमताओं के अनुरूप पारस्परिक रूप से लाभप्रद और व्यावहारिक प्रारूप तैयार करना है।


फिक्की की वेबिनार में, तीनों सेनाओं, रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओऔर उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने अपनी प्रस्तुति देते हुए आला तकनीक विकसित करने और नवाचारों की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रणनीतियों पर अपने विचार रखें। सभी हितधारकों/एमएसएमईके टियर-II/टियर-III आपूर्तिकर्ताओं, नये लघु उद्यम और शैक्षणिक समुदाय जैसे अन्वेषक, इंडस्ट्री हाउसेज, एग्रीगेटर्स, जाँच और गुणवत्ता आश्वासन सेवा प्रदाताओं के लिए अच्छी तरह से परिभाषित भूमिका के साथ एक व्यापक परितंत्र को विकसित करने का निर्णय लिया गया। परिकल्पित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, वेबिनार में भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के अभिन्न अंग और रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए शीर्ष श्रेणी पर लाने के लिए नवाचार को प्रोत्साहित भी किया गया। इसमें डीआरडीओ और निजी उद्योग के समन्वय से मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करके विश्व स्तरीय परीक्षण और मूल्यांकन बुनियादी ढांचे को विकसित करने पर जोर दिया गया। प्रतिभागियों ने स्वदेशी उपकरणों के दीर्घकालिक संचालन में सहायता के लिए विनिर्माण और स्थायी तंत्र विकसित करने के तरीकों पर भी चर्चा की।


चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ और सैन्य मामलों के सचिव जनरल बिपिन रावत, थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवाणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर.के.एस भदौरिया, भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. विजयराघवन, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री राज कुमार, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी, एसआईडीएम के अध्यक्ष श्री जयंत डी पाटिल, फिक्की की अध्यक्षा श्रीमती संगीता रेड्डी, एसआईडीएमके पूर्व अध्यक्ष श्री बाबा एन कल्याणी, फिक्की रक्षा समिति केचेयरमैन एस.पी शुक्ला, रक्षा मंत्रालय,आयुध निर्माणी बोर्ड, डीपीएसयू और निजी उद्योग के वरिष्ठ नागरिक और सैन्य अधिकारियों ने इस वेबिनार में भाग लिया और उद्योग एवं शिक्षाविदों के लगभग 2,000 प्रतिभागी इसमें साक्षी बने।


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