*बदलाव के जरिए लंबे समय से हाशिए पर पड़े नेताओं को लाया गया सामने*
नई दिल्ली। आमतौर पर कभी भी एक राय ना होने वाले राजनीतिक पर्यवेक्षकों में से अधिकांश...इस बात को लेकर पूरी एक राय हैं कि कांग्रेस में किया गया हालिया बदलाव उस पटकथा का हिस्सा है, जो राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष पद पर, फिर से ताजपोशी के लिए लिखी जा रही है। इस बदलाव में लंबे समय से हाशिए पर पड़े जिन नेताओं को फिर से अहम भूमिका दी गई है। उनके नामों पर गौर करने से भी आने वाले समय में कांग्रेस की राजनीति में घटित होने वाले घटनाक्रमों की झलक मिल रही है। इस बदलाव के जरिए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री,
दिग्विजय सिंह, सलमान खुर्शीद और तारिक अनवर समेत कई ऐसे नेताओं की पार्टी के राष्ट्रीय संगठन में वापसी हुई है जो लंबे समय से 24-अकबर रोड (पार्टी मुख्यालय) पर सक्रिय भूमिका में नहीं थे। सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) का पुनर्गठन किया तो इन नेताओं के साथ ही राजीव शुक्ला, प्रमोद तिवारी, पवन कुमार बंसल और कुछ अन्य नेताओ को भी कांग्रेस संगठन में अहम रोल दिया गया।। इस बदलाव की धमक पर नजर रख रहे राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह पूरा बदलाव राहुल गांधी को फिर से पार्टी की कमान सौंपने की रणनीति के तहत किया गया है। नयी टीम में अनुभव और युवा नेताओं के बीच बेहतरीन संतुलन बनाया गया है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस फेरबदल के बारे में कहा, 'अनुभवी और युवा नेताओं के बीच बेहतरीन संतुलन बनाया गया है। अब यह उम्मीद की जानी चाहिए कि विभिन्न राज्यों में कांग्रेस का संगठन मजबूत होगा और इसके परिणाम चुनावों में भी दिखेंगे।'कभी राहुल गांधी के करीबियों में शुमार किए गए और पार्टी के प्रभावशाली महासचिव रहे दिग्विजय सिंह ने (सीडब्ल्यूसी के बतौर स्थायी आमंत्रित सदस्य) एक बार फिर से राष्ट्रीय संगठन में वापसी की है। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद 2018 में उन्हें महासचिव पद से मुक्त किया गया था। पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद भी पिछले कई वर्षों से राष्ट्रीय संगठन में कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभा रहे थे। अब उन्हें भी सीडब्ल्यूसी में स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया गया है।फेरबदल में कभी कांग्रेस छोड़कर शरद पवार के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाने वाले तारिक अनवर ने कांग्रेस संगठन में महासचिव के तौर पर लंबे समय बाद वापसी की है। तारिक अनवर की मजबूत वापसी के अलावा इसके राजीव शुक्ला को हिमाचल प्रदेश का प्रभारी बनाया जाना इस समूचे बदलाव में श्री राहुल गांधी की इच्छा और पसंद के अहम रोल होने का संकेत दे रहा है। प्रकारांतर में कहा जाए तो कांग्रेस अध्यक्ष पद पर होने वाली श्री राहुल गांधी की संभावित ताजपोशी के पहले वह टीम तकरीबन तैयार कर ली गई है। पार्टी की बागडोर संभालने के बाद उनके कदमों से कदम मिलाते हुए केवल और केवल कांग्रेस के हित में हीकाम करेगी।
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