दिल्ली : इटली विश्व का पहिला देश बन गया है जिसनें एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (postmortem) का आयोजन किया है, और एक व्यापक जाँच करने के बाद उन्हें पता चला है कि एक वाईरस के रूप में कोविड-19 मौजूद नहीं है, बल्कि यह सब एक गलोबल घोटाला है। लोग असल में "ऐमप्लीफाईड गलोबल 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन ज़हर" के कारण मर रहे हैं।
इटली के डॉक्टरस ने विश्व सेहत संगठन (WHO) के कानून की अवज्ञा की है, जो कि करोना वाईरस से मरने वाले लोगों के मृत शरीर पर आटोप्सी (postmortem) करने की आज्ञा नहीं देता ताकि किसी तरह की विज्ञानिक खोज व पड़ताल के बाद ये पता ना लगाया जा सके कि यह एक वाईरस नहीं है, बल्कि एक बैक्टीरिया है जो मौत का कारण बनता है, जिस की वजह से नसों में ख़ून की गाँठें बन जाती हैं यानि इस बैक्टीरिया के कारण ख़ून नसों व नाड़ियों में जम जाता है और मरीज़ की मौत का कारण बन जाता है।
***** इटली ने so-called covid-19 को हराया है, जो कि "फैलीआ-इंट्रावासकूलर कोगूलेशन (थ्रोम्बोसिस) के इलावा और कुछ नहीं है और इस का मुक़ाबला करने का तरीका आर्थात इलाज़........
***ऐंटीबायोटिकस (Antibiotics tablets}
***ऐंटी-इंनफ्लेमटरी ( Anti-inflamentry) और
***ऐंटीकोआगूलैटस ( Aspirin) के साथ हो जाता है।
यह संकेत करते हुए कि इस बिमारी का इलाज़ ही नहीं किया गया था, विश्व के लिए यह संनसनीख़ेज़ ख़बर इटालियन डाक्टरों द्वारा so-called covid-19 की वजह से तैयार की गई लाशों पर आटोप्सीज़ (postmortem) करवा कर तैयार की गई है। कुछ और इतालवी रोग विज्ञानियों के अनुसार वेंटीलेटरस और इंसैसिव केयर यूनिट (ICU) की कभी ज़रूरत ही नहीं थी। इस के लिए इटली में प्रोटोकॉल की तबदीली शुरू हुई, इटली में एक बुलाया गलोबल कोविड-19 महामारी एक वाईरस के तौर पर दुबारा प्राकाशित की गई है।
WHO & CHINA पहले से ही जानते थे मगर इसकी रीपोर्ट नहीं करते थे। विश्व अब जानता है और जान गया है कि हमें अपने आप स्थापित बढ़े लोगों द्वारा तसीहे दिये गए हैं, तशद्दुद किए गए हैं और मार कुटाई की गई है।
कृपया इस जानकारी को अपने सारे परिवार, पड़ोसियों, जानकारों, मित्रों, सहकर्मीओं को दो ताकि वो कोविड-19 के डर से बाहर निकल सकें जो के एक वाईरस नहीं है जैसा कि उन्होंने हमें विश्वास दिलाया है, बल्कि एक बैक्टीरिया है जिसको असल में 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडीयेशन
(5G Electromagnetic Radiation) द्वारा बढ़ाया गया, फ़ैलाया गया, जो इंफलामेशन और हाईपौकसीया भी पैदा करता है। जो लोग भी इस की जद में आ जायें उन्हें ये करना चाहिए कि वे Asprin-100mg और ऐप्रोनिकस यां पैरासिटामोल ले सकते हैं। कयों......??? .... कयोंकि यह सामने आया है कि कोविड-19 कया कुछ करता है: वह ख़ून को जमा देता है जिससे व्यक्ति को थ्रोमोबसिस पैदा होता है और जिसके कारण ख़ून नसों में जम जाता है और इस कारण दिमाग, दिल व फेफड़ों को आकसीजन नहीं मिल पाती इस कारण से ही व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है और सांस ना आने के कारण व्यक्ति की तेज़ी से मौत हो जाती है।
इटली के डॉक्टरस ने WHO के प्रोटोकॉल को नहीं माना और कुछ लाशों पर आटोप्सीज़ (postmortem) किया जिनकी मौत कोविड-19 की वजह से हुई थी। डॉक्टरस ने उन लाशों को काट कर देखा, उन की बाजुओं को, टांगों को, शरीर के दूसरे हिस्सों को भी खोल कर तस्सल्ली से देखने व परखने के बाद महसूस किया कि ख़ून की नसें व नाड़ियां फैली हुई हैं और नसें थ्रोम्बी से भरी हुई थी, जो ख़ून को आमतौर पर ग़र्दिश से रोकती है और आकसीजन के शरीर में प्रवाह को भी--मुख्य तौर पर दिमाग, दिल व फेफड़ों में'जिस कारण रोगी की मौत हो जाती है।इस नुकते को जान लेने के बाद इटली के सेहत-मंत्रालय ने तुरंत कोविड-19 के इलाज़ प्रोटोकॉल को बदल दिया और अपने पोज़िटिव मरीज़ो को एस्पिरिन100mg और एंप्रोमैकस देना शुरू कर दिया। *** नतीज़े.....??? मरीज़ ठीक होने लगे और उनकी सेहत में सुधार नज़र आने लगा। इटली सेहत मंत्रालय ने एक ही दिन में14000 से भी ज्यादा मरीज़ों की छुट्टी कर दी और उन्हें अपने आप घरों को भेज दिया।
स्रोत: इटली सेहत मंत्रालय
इटालीआरेवेलाकुरारडेल कोविड-19.
Alert:- यह हमारा फ़र्ज़ बनता है कि पूरी लोकाई की इस महामारी से जान बचाने के लिए इस जानकारी को दुनिया के हर इंसान तक पहुचाया जाये और बताया जाये कि उन्होंने (कुछ ख़ास लोगों ने) सिर्फ इटली ही नहीं बल्कि पूरे संसार के साथ झूठ बोला है और इस so-called covid-19 नाम की महामारी के रूप में हम सब पर थोपा है। दुनिया के लगभग सारे देशों के रास्ट्रीय अध्यक्ष व सर्बराह सिर्फ ये कहने के लिए कभी कभी टी वी कैमरों के सामने आते रहे हैं और आ रहे हैं केवल यह बताने के लिए कि यह कोविड-19 बहुत बड़ी महामारी है, बिना किसी ठोस सबूत या विज्ञानिक आधार के। ये सब अपने अपने तरीक़े से या WHO के आंकड़े बता रहे थे और हैं, मगर अपने अपने नागरिकों को बचाने के लिए कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं बल्कि महामारी का ख़ौफ़ दिखा कर ज़बरदस्ती लाकडाउन व कई और तरीक़े इसतेमाल कर रहे हैं। हो सकता है कि इनको ये सब करने के लिए कुछ ख़ास व कुलीन लोगों द्वारा धमकी दी जा रही हो.......??? हम नहीं जानते......???
मगर इटली ने WHO का यह नियम, यह भ्रमजाल तोड़ दिया है, कयोंकि वो पहले से ही बहुत हावी हो चुके हैं मगर अब नहीं सहन करेंगे। पूरी दुनिया में रोज़ाना होनेवाली मौतों व गिरती अर्थव्यवस्था और गंभीर आपाधापी के चलते, निश्चित तौर पर WHO के ख़िलाफ़ दुनिया भर में "क्राइम अंगेस्ट हयूमैनिटिज़" के लिए मुक़दमें किये जाने चाहीये,और दुनिया के बहुत सारे देशों की Economy Collapse के लिये भी। अब समझ में आया है कि यहां आटोमेटिक तौर पर इस बीमारी का अचानक आना व उसके उसूल तुरंत से तुरंत बनाना व हम पर थोपना और उन्हें ज़बरदस्ती मनवाने के आदेश कयों हैं। सच को बताना व फ़ैलाना हमारे अपने हाथ में है और बहुत सी जाने बचाने की उम्मीद भी है।
So-called महामारी इस लिये हो रही है या फ़ैलाई जा रही है कि (कुछ ख़ास कुलीन लोग) विश्व की आबादी को 60% घटाने के सपने देखते आ रहे हैं और देख रहे हैं। दरअसल इन लोगों की सोच जंगली कानून जैसी है कि अगर ख़ुद जीना है तो दूसरे को मारना या खाना पड़ेगा।
विश्व की आबादी को घटाने के बिलगेटस नैनो-टैक टीके से विश्व-व्यापक हर व्यक्ति को ज़बरदस्ती टीके लगवाना चाहते है, जिससे फंड प्राप्त होता है। बिलगेटस डैपूलेशन फांउडेशन द्वारा..... विश्व व्याप्त सैकंड़े देशों में WHO, CDC, NCDC, PTF को बिल एंड मेलिंडा गेट्स डैपूलेशन द्वारा फंड दिये जाते हैं।
इटली के सेहत मंत्रालय के हेल्थ अपडेट्स और उन के विज्ञानीओं की ख़ोज के बाद इस बारे में सच्ची जानकारी दी गई है कि so-called करोना वाईरस AKA cod-19 सिर्फ न्यूज़ पेपरस , टी.वी. चैनल्स, सोशल मीडिया, सोशल साइट्स और पेजेज पर ही मौजूद है। उन उन देशों के रास्ट्रीय अध्यक्ष व सर्बराहों और ख़ुद सथापित नेताओं को जिन्होंने कोविड-19 कहलाने वाले इस शराबी झूठ पर हस्ताक्षर किए हैं उन्हें इंसानियत के विरुद्ध अपराध करने का जो घोर पाप किया है..... उन्हें दुनिया के सामने नंगा करें, अभी भी कुछ विश्व अमन के हितैषी, इंसानियत के, मानवता के मित्र लोग व नेता अपने ओहदे पद की ग़रिमा को बनाये रखने में क़ामयाब होगें व इन अपराधियों को सज़ा दिलवा कर दुनिया के सामने एक मिसाल, एक नज़ीर पेश करेंगे। साभार
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