लखनऊ। कोरोना के आपदा में अवसर तलाशने वाली योगी सरकार ने कोरोना किट की खरीद के नाम पर ग्राम पंचायत से लेकर मेडिकल सप्लाई कॉरपोरेशन तक 1-2 नहीं बल्कि 400-500 फीसदी घोटाला किया। सुल्तानपुर जनपद से योगी सरकार के इस भ्रष्टाचार और घोटाले की कड़ियां खुलनी शुरू हुई थी और आम आदमी पार्टी इन् घोटालो पर लगातार नए-नए खुलासे कर रही है। इस भ्रष्टाचार और घोटाले का दायरा 65 जिलों से ज्यादा अर्थात पूरे प्रदेश में फैला हुआ है। कोरोना काल में हुए इस भ्रष्टाचार में ग्राम पंचायत से लेकर मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन में बैठे योगी के खास अधिकारी शामिल हैं ऐसे में पूरे प्रकरण की जांच निष्पक्ष रुप से प्रदेश सरकार की ओर से गठित यस आई टी से नहीं हो सकती. आम आदमी पार्टी का साफ मानना है कि इस महा घोटाले की जांच सीबीआई से कराई जाए अथवा फिर हाई कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में यस आई टी बनाकर पूरे मामले की जांच हो। इससे कम आम आदमी पार्टी को कुछ भी मंजूर नहीं है।
खुद को राष्ट्रवादी कहने वाली योगी सरकार ने 1 लाख 45 हज़ार रूपए में मिलने वाला हेमोटोलॉज़ी एनालाइजर 3 लाख 30 हज़ार रुपये में खरीदा है, वो भी 1-2 नहीं, बल्कि सैकड़ों-हज़ारों की संख्या में उस चीन से
जिससे युद्ध की स्थिति बनी हुई है, जिससे सीमा विवाद चल रहा है।यह असंभव है कि योगीजी रोज़ाना 11 बजे अपने टीम 11 की बैठक कर रहे हों और उन्हें थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर आदि के रेट ना बताए गए हों। उन्हें इस महामारी के दौरान हुई तमाम खरीदारियों का पता ना हो।
जब आप ने इस घोटाले का पर्दाफाश किया तब योगी जी ने 3 IAS अधिकारियों को लेकर एक SIT गठित की है जो 10 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। क्या ये 3 IAS अधिकारी स्पाइडर-मैन हैं!!क्योंकि 3 IAS अधिकारी, 1 लाख 10 हज़ार गाँव, 59 हज़ार पंचायत, 12 हज़ार वार्ड वाले विशाल प्रदेश में हुए घोटाले की जाँच भला 10 दिन में कैसे कर पाएंगे? इसका साफ़-साफ मतलब है यह SIT केवल जनता के आँखों में धूल झोंकने के लिए बनाई गई है।
योगी सरकार इस घोटाले में ऊपर से नीचे तक शामिल है इसलिए अपनी निष्पक्ष जांच की माँग के लिए यदि न्यायालय का दरवाज़ा भी खटखटाना पड़ा तो भी किया जायेगा. योगी सरकार इस घोटाले में ऊपर से नीचे तक शामिल है आमआदमी पार्टी की ये माँग है कि निष्पक्ष जाँच के लिए यह केस CBI को सौंपा जाए या हाई कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में SIT का गठन हो।इसके लिए पार्टी के सांसद और प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने CBI को चिट्ठी भी लिखी है, जिसमे उन्होंने उनके सामने सारे साक्ष्य भी उपलब्ध करवाने की बात कही है. साथ ही यह भी कहा है 14 तारिख से शुरू होने वाले राज्यसभा सत्र में भी पार्टी योगी सरकार के इस भ्रष्टाचार को वो पुरज़ोर तरीके से उठाएंगे ।
पार्टी का कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए आपदा को अवसर में बदलने के आह्वान को ग्राम पंचायतों और अधिकारियों ने दूसरा ही मतलब निकाल लिया। सरकार ने कोविड-19 से निपटने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत को चिकित्सकीय उपकरण खरीदने के निर्देश दिए तो आपदा में अवसर तलाश भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो गया।
अलग-अलग जिले में अलग-अलग भ्रष्टाचार हुआ है, बिजनौर ज़िले में 1800 का थर्मामीटर 13 हज़ार में खरीदा गया और 800 का ऑक्सीमीटर 3300 में खरीदा गया है और इसी तरह बाकी सामान भी कई गुना ज़्यादा कीमत पर खरीदा गया है।
कोविड से जुड़े उपकरणों को बाजार की कीमत से ज्यादा पर खरीदने का मामला, सबसे पहले यूपी के सुल्तानपुर से आया था। सुल्तानपुर में जिलाधिकारी ने 2600 रुपये की कोरोना किट 9950 रुपये में खरीदी। जबकि आज के दौर में
योगी आदित्यनाथ जी अगर किसी 8वी क्लास के बच्चे को भी बैठा देते तो वो भी बता देता की ऑनलाइन खरीदने पर ऑक्सीमीटर की कीमत 800 रुपये, थर्मोमीटर की कीमत 1800 रुपये है, जो मिला कर हो गया 2600 रुपये तो सुल्तानपुर के डीएम ने 9950 रुपये में कोविड किट क्यों खरीदी ? आखिर इतना बड़ा भ्रष्टाचार किसके इशारे पर हुआ है और किन किन अधिकारियों ने दलाली खाई है? सुल्तानपुर के भधेइया ब्लॉक के सहायक विका…
0 टिप्पणियाँ