गाजियाबाद : जिला एवं सत्र न्यायालय में अभ्यासी अधिवक्ता एवं समाज सेवी प्रमोद ए आर निमेश ने निजीकरण के विरोध में देश व्यापी मौन पदसंचलन का आह्वान किया है जिसका प्रथम चरण 09 अक्टूबर 2020 को कमिश्नरी चौराहा मेरठ से जंतर मंतर दिल्ली तक रहेगा। उन्होंने कहा कि ये देश हमारा है तो देश के सार्वजनिक साधनों, संसाधनो की रक्षा करना भी हमारी जिम्मेदारी है। निजीकरण के नाम पर देश के नागरिकों के संवैधानिक लोक अधिकारो की हत्या नहीं होने दी जायेगी। देश के नागरिकों को दोबारा गुलाम नहीं बनने दिया जायेगा। प्रमोद ए आर निमेश ने युवाओं से इस मौन पद्संचलन में कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने का आह्वान किया है क्योंकि युवा ही नये युग की पहचान है।
देश हमारा है या पूंजीपतियों का ............???
ये निजीकरण नही है I देश को कमीशनखोरी घूसखोरी की आड़ में शारिरिक, मानसिक व आर्थिक गुलामी की ओर धकेलना है तथा देश को भूखे बेरोजगार बीमार शिक्षित प्रशिक्षित व अशिक्षित मजदूरों व दासो की मंडी बनाने की साजिश है। यदि निजीकरण अच्छा होता तो निजी व प्राइवेट शिक्षण संस्थान गरीब, आदिवासी, पिछड़े, अनुसूचित जाति जनजाति व अल्पसंख्यक समाज के बच्चों को शिक्षित प्रशिक्षित कर रहे होते कोई देश में अशिक्षित नहीं रहता , कोई मानसिक कमजोर नहीं होता, कोई अशिक्षा के कारण है भय भ्रम व अंधविश्वास के कारण शारीरिक व मानसिक कमजोरी अंधभक्ति का शिकार नहीं होता व कोई बेरोजगार नहीं रहता। आज बड़े बड़े भारतीय पूंजीपति देश के संसाधन खरीद सकते हैं लेकिन यदि ये संसाधन और घाटे में गए तो उन्हें विदेशियों को बेच देंगे? निजीकरण के नाम पर देश के साधनों-संसाधनों पर पूंजीपतियों का देश पर राजनीतिक आधारित कब्जा करने की अपराधिक साजिश का हिस्सा है I निजीकरण के द्वारा देश के मूल मजदूरों, श्रमिकों के मूल अधिकार, कानूनी अधिकार, मानव अधिकार खत्म करने की साजिश है I जहां जहां निजीकरण हुआ वहां वहां देश की अर्थव्यवस्था तबाह और बर्बाद हुई है I पूंजीपतियों ने सस्ते श्रमिक अधिकार विहीन मजदूरों के मानवीय श्रम के दम पर देश के साधनों संसाधनो का अधिकतम दोहन किया। मजदूरों का शोषण किया, उनकी शारीरिक श्रम शक्ति ऊर्जा को चूस कर दोहन कर श्रम शक्ति के कमजोर व शक्तिहीन होते ही काम से बाहर कर दिया। यदि निजीकरण अच्छा होता तो सरकारी बैंकों से ज्यादा भीड़ प्राइवेट बैंको में होती। यदि निजीकरण अच्छा होता तो रोडवेज बस से ज्यादा लोग प्राइवेट बस में चलना पसन्द करते । यदि निजीकरण अच्छा होता तो सरकारी अस्पताल से ज्यादा भीड़ प्राइवेट अस्पताल में होती ।
यदि निजीकरण अच्छा होता तो लाखों स्टूडेंट्स #NEET #IITJEE की तैयारी न करते सीधे प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन लेते । यदि निजीकरण अच्छा होता तो लोग सरकारी नौकरी छोड़कर प्राइवेट जॉब करते । यदि निजीकरण अच्छा होता तो जवाहर नवोदय विद्यालय , केंद्रीय विद्यालयों का रिजल्ट प्राइवेट स्कूलों से अच्छा नही होता।
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