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यूपी की 7 सीटों पर उपचुनाव का ऐलान उत्तर प्रदेश में इस बार का उपचुनाव होगा बाकी उपचुनाव से अलग आइए जाने

दिल्ली : केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को प्रदेश की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है उपचुनाव के लिए अधिसूचना 9 अक्टूबर को जारी होगी और मतदान 3 नवंबर को होगा मतगणना 10 नवंबर को की जाएगी उसी दिन परिणाम घोषित कर दिया जाएगा इस बार 7 सीटों पर होने वाले उपचुनाव कई मायनों में पहले के उपचुनाव से अलग होगा आमतौर पर यूपी में होने वाले उपचुनाव दो ही पार्टियों के बीच हुआ करते थे इस बार भी ऐसा ही होता इसमें सीधी टक्कर सत्ताधारी भाजपा और सपा के बीच होती लेकिन बसपा ने इस में कूदकर इसे खासा दिलचस्प बना दिया हैl


बसपा उपचुनाव में नहीं उतरती थी लेकिन इस बार वह उपचुनाव लड़ने जा रही है पिछले 25 तीस सालों से चुनाव में कांग्रेस को कोई सीरियसली नहीं लेता था लेकिन इस बार हालात कुछ बदले बदले से हैं कांग्रेस के उम्मीदवारों को कितने वोट मिलेंगे यह अलग बात है लेकिन पहली बार किसी चुनाव से पहले कांग्रेस की चर्चा हो रही है संगठन के नए नए पदाधिकारियों ने खासकर प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू के सड़क पर संघर्ष करके काफी चर्चा हासिल की है उप चुनाव में जनता की वैसी भागीदारी देखने को नहीं मिलती जैसी दूसरे चुनाव में इसलिए मुद्दों की चर्चा भी तेजी नहीं पकड़ पाती हालांकि होने जा रहे हैं उपचुनाव में मुद्दे तो भरपूर उठेंगे जैसे महंगाई कानून व्यवस्था ब्राह्मण राजनीति दलित उत्पीड़न को रोना मैनेजमेंट बेरोजगार जैसे मुद्दों को विपक्षी पार्टियां तेजी से हवा दे रही हैं 2017 में सीएम बनने के बाद योगीराज में यूपी में यह तीसरा उपचुनाव है सूत्रों का मानना है कि होने जा रहे उपचुनाव ही वास्तव में योगी आदित्यनाथ की असली व्यक्तिगत परीक्षा है इससे पहले के उपचुनाव में पीएम मोदी का चेहरा सामने था लेकिन पहली बार योगी सरकार के कामकाज और उनके चेहरे पर चुनाव होने जा रहा है इसे इस रूप में भी देखा जा रहा है कि आठ सीटो पर हार जीत से विधानसभा में कुछ भी नहीं बदलेगा लेकिन पार्टियों का राजनीतिक आधार जरूर बदल जाएगा 8 सीटें अगर भाजपा जीत जाती है तो उसे कहने का मौका मिलेगा कि कोई नहीं है टक्कर में जबकि कुछ सीटें वह नहीं जीत पाती तो विपक्षी पार्टियों को कई गुना ज्यादा यह कहने का अवसर मिल जाएगा कि सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है आपको बता दें कि यूपी की 8 सीटों में से 7 सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है लेकिन लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि रामपुर की सवार सीट पर उप चुनाव की घोषणा बाकी 7 सीटों के साथ क्यों नहीं की गई बता दें कि जिन 8 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से सबसे हॉट सीट रामपुर की स्वार सीट है जहां 2017 के विधानसभा चुनाव में सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम समाजवादी पार्टी से विधायक चुने गए थे पिछले साल दिसंबर में फर्जी जन्म तिथि प्रमाण पत्र विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी सदस्यता रद्द किए जाने के बाद से लेकर अभी तक रामपुर की स्वार सीट खाली चल रही है यूपी की जनता ही नहीं बल्कि सवार सीट पर चुनाव लड़ने में अपनी ताकत दिखाने वाले नेताओं को भी यह बात समझ में नहीं आ रही कि इस सीट पर उपचुनाव की घोषणा क्यों नहीं हो पाई बता दें कि अब्दुल्लाह आजम को लेकर हाई कोर्ट ने जो फैसला दिया था उस फैसले को अब्दुल्लाह आजम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी कानूनी वजह से ही चुनाव घोषित नहीं किया जा सकाl


 


 


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