दुखी फूल सोच रहा, तोड़े जाने पर,
कल सुबह से, मै क्या करूंगा,
प्रेमी से प्रेमिका के हाथो में,
जाकर प्यार का इजहार करूंगा,
हो पूजा की थाली में शामिल,
शादी में प्रणय संस्कार करूंगा,
गौरी के बालो में गूंथा जाऊं,
या किसी नेता के गले हार बनूंगा,
सेज पर बिछाया जाऊं कभी मै,
या किसी दुल्हन का श्रंगार बनूंगा,
शायद सैनिकों पर बरसु मन से मै,
दुखी दिल से बलिदानी को भेंट चढूगा,
चढ़ लाश पर ,जाऊं शमशान पर,
या मंदिर में प्रभु-चरणों में खिलुंगा,
प्रभु झांकी पर ऊपर से फेंका जाऊं,
भगवान के सर का ताज बनूंगा,
या कहीं महल द्वारे सजकर,
सबका दिल से सत्यकार करूंगा,
माली ने मुझको पाला, बड़ा किया,
अभी खिला हूं , हूं दुखी बहुत मैं ,
कल माली से बिछूड जाऊंगा ,
अब तोड़कर मुझको डाली से,
ना मालूम किसको सौंपा जाऊंगा,
विदा ले लूंगा सब पौधों से,
बगीचे से भी जुदा हो जाऊंगा,
या बिछाया जाऊं कहीं जमीं पर,
फिर पैरों से कुचला जाऊंगा,
भोग लगाकर मै प्रभु को,
या भगवान का प्रसाद बनूंगा।
दुखी फूल सोच रहा, तोड़े जाने पर,
कल सुबह से, मै क्या करूंगा।।।
।।लेखक।। नरेंद्र राठी
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