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जी डी ए प्रवर्तन जोन- 2 के अधिकारियों ने कराया सुविधा शुल्क लेकर ग्रीन बेल्ट की भूमि पर अवैध निर्माण - सुरेश शर्मा 

गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के अंतर्गत नियम- 3 एवं नियम 24 के अंतर्गत चल, अचल एवं बहुमूल्य सम्पत्ति की जांच होनी चाहिए । ये बातें राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने कही उन्होंने कहा कि जी डी ए में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, पर कोई उच्च अधिकारी लीपा- पोती के अलावा वैज्ञानिक कार्रवाई करने को तैयार नहीं है । जिससे विभाग को राजस्व की भारी क्षति तो पहुँच रही है साथ सरकार की छवि भी खराब हो रही है, क्योंकि पूंजीपति तो सुविधा शुल्क देकर अपना काम निकाल लेता है परंतु जो दो जून की रोटी बड़ी मुश्किल से कमा पाता है, और वह अपना पेट- पटटी बांध कर अपना छोटा सा मकान बनाना चाहता है तो कैसे बनाये उसके पास तो सुविधा शुल्क देने के लिए पैसे नहीं है ।


राष्ट्रीय सूचना अधिकार टास्क फोर्स ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश शर्मा ने आरोप लगाया है कि मोदी नगर, मुरादनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर महायोजना मुरादनगर 2021 में राष्ट्रीय राजमार्ग पर मोदी नगर-- मुरादनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर ग्रीन बेल्ट को विकसित करने बजाए ग्रीन बेल्ट की भूमि पर अपने दम पर अवैध निर्माण कर्ताओं से सांठ- गांठ कर अतिक्रमण व अवैध निर्माण करवाकर प्लाटिंग, मकान, फार्म हाउस, होटल आदि बनवा दिये गये । जब कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण गाजियाबाद का महायोजना 2021 अंतिम चरण में चल रहा है और जब से मोदी नगर- मुरादनगर जी डी ए आया है तब से तैनात रहे या तैनात हैं अधिकारियों ने अवैध निर्माण व अवैध कालोनियों का निर्माण को बढ़ावा दिया है और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण को करोड़ों रूपये का राजस्व की हानि पहुँचाई है । अभी हाल में ही शहर में राज्य राज मार्ग पर जी डी ए प्रवर्तन जोन-2 के अधिकारियों ने भारी भरकम सुविधा शुल्क लेकर बिना भू- उपयोग परिवर्तन व बिना मानचित्र स्वीकृत किये अवैध निर्माण करवा दिये । इसके अतिरिक्त अवैध रूप से कालोनियों को विकसित कर बसावत करवा दी है ? न कोई अन्तिम प्रमाण पत्र है और न ही मानचित्र स्वीकृत है और न ही कालोनी स्वीकृत है । इतना बड़ा अवैध निर्माण बिना मुखिया की सहमति के नहीं हो सकता है ? जी डी ए प्रवर्तन जोन -2 क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा प्रति वर्ष विभाग को दिये जाने वाला आय- व्यय व चल- अचल सम्पत्ति के ब्योरा की जांच होनी चाहिए ।जनहित एवं शासन हित में उपरोक्त तथ्यों की जांच होनी चाहिए और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों एवं अवैध निर्माण कर्ताओं व दोषी अधिकारियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जानी चाहिए ।


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