गाजियाबाद : क्या देश की बेटी को न्याय दिलाने के लिए हर बार सड़कों पर उतरना पड़ेगा क्या हमारे देश का कानून कमजोर है क्या वह हमारे देश की बेटी को न्याय नहीं दिलवा सकता,इसी तरह की मांगे कब तक करते रहेंगे, सरकार से बड़ा सवाल देश की जनता का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा सरकार को शायद अब यह नारा वापस ले लेना चाहिये क्योंकि सरकार बेटियों को सुरक्षा देने में नाकामयाब हो रही है !
असामाजिक तत्व गुंडे बदमाश अब बेलगाम हो गए, सरकार का उन्हें डर खौफ नहीं रहा, निर्भया जैसी दरिंदगी वाली घटना अब देश के किसी न किसी राज्य में निरंतर घट रही हैं जैसे अपराध करने वालों को सरकार और पुलिस का डर समाप्त हो गया !
हाथरस उत्तर प्रदेश में 15 दिन पूर्व 19 साल की एक दलित लड़की के साथ रेप कर उसको जान से मारने की नियत से जानलेवा हमला भी किया गया उस दरिंदगी में कई जगहों से हड्डियां टूटी जीभ काटी गई, 30 सितंबर को उस लड़की जो जिंदगी और मौत के बीच में लड़ रही थी मौत हो गई
न्याय दिलाना तो एक तरफ जिला प्रशासन पीड़ित परिवार पर लगातार दबाव बना रहा है, एफ आई आर दर्ज करने में भी पुलिस ने अपने ढंग से लिखवाने के लिए परिवार पर दबाव बनाने का काम किया ?
सरकार ने बयान देकर कहा चारों मुजरिम को पकड़ लिया है, पीड़ित परिवार को मुख्यमंत्री द्वारा 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता और परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी भी जाने की घोषणा की,
जब सरकार की तरफ से यह बयान आता है अपराधी बख्शे नहीं जाएंगे जांच बिठा दी गई है जल्द अपराधियों को सजा होगी 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता व परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी यह सब सरकार अपना बयान दर्ज करा देती है.
विपक्षी पार्टियों ने इस घटना का जोरदार विरोध करते हुए पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन कर कहा उत्तर प्रदेश सरकार में अपराध पर लगाम सरकार बेटियों की सुरक्षा नहीं कर पा रही, अपराधी के मन से सरकार का डर समाप्त
सरकार कितना भी हादसा होने के बाद सख्त बयान दे उससे गुंडों के दिलों में सरकार का डर खौफ नहीं बैठ जाएगा अगर डर खौफ बैठ गया होता तो इस तरह के हादसों में कमी आती, उत्तर प्रदेश में बलरामपुर में भी इसी तरह की रेप की घटना हुई हरियाणा फरीदाबाद में भी 8 साल की बच्ची के साथ इसी तरह का दुष्कर्म किया गया राजस्थान में भी इसी तरह के हादसे हुए
अब सरकार बताएं कि ऐसा कौन सा सख्त कानून उन्होंने बनाया है जिससे यह अपराधी बच ना पाए देश में इस तरह के हादसों को लेकर सख्त कानून बनना चाहिए, केस का फैसला 6 महीने के अंदर आ जाना चाहिए, पीड़ित परिवार का कोर्ट का खर्च भी सरकार को उठाना चाहिए, सरकार अगर सख्ती नहीं कर पा रही है तो फिर बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का नारा लगाना कहां तक उचित है, यह सरकार को पता है
30 सितंबर पीड़िता की जब मौत हुई तो पुलिस उसके शव को लेकर रात 12: 45 बजे मिनट पर शव लेकर पुलिस गांव पहुंची पुलिस ने शव को परिवार को देने के लिए मना कर दिया, और अभी आधी रात को ही उसका अंतिम संस्कार करने की बात कही जबकि परिवार के लोग और पूरे गांव के लोग शव का आखरी संस्कार सुबह करने की मांग करते रहे, पुलिस ने परिवार को शव देना तो दूर देखने तक भी नहीं दिया,
गांव वालों का काफी विरोध होने पर भी पुलिस ने उनकी एक न सुनी और पुलिस ने रात 2:45 पर संस्कार कर दिया गया, जबकि हिंदू संस्कृति के अनुसार भी शाम सूरज ढल जाने के बाद दाह संस्कार नहीं किया जाता, पुलिस के इन अधिकारियों के पास इस बात का जवाब नहीं था कि इतनी रात आखिर दाह संस्कार क्यों किया गया परिवार को शव क्यों नहीं दिया गया !
14 सितंबर को घटना घटने के बाद से सत्ता दल के एमपी एमएलए कोई भी जनप्रतिनिधि गांव नहीं गया, पीड़ित परिवार से मिलने के लिए,
मैं धन्यवाद देना चाहता हूं प्रिंट मीडिया इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या समाज सेवी संस्था जो इस तरह के रेप कांड के विरोध में आवाज उठाने का काम करते हैं, समाज सेवी संस्था द्वारा विरोध में आवाज उठाने को पूरा देश ही नहीं पूरी दुनिया देखती है
एक तरफ हम देश में बेटी दिवस बहुत धूमधाम से मनाते हैं, जिस देश में बेटियां सुरक्षित ही नहीं वहां बेटी दिवस मनाना शर्मनाक घटना जैसा, देश में ऐसा माहौल कब बनेगा जब बेटियां अपने समाज में निडरता से घूम सकेंगी, क्या इतना सख्त कानून बन सकता है ? तो बनाना चाहिए रोज-रोज सड़कों पर उतर कर हम कब तक नारे लगाते रहेंगे कि फांसी दो फांसी दो
यह हाथरस की बेटी का शव नहीं भारत चल रहा है, भारतीयता जल रही है मानवता जल रही है,
रोज अखबारों में खून के धब्बे देख *मनजीत बोला
क्या वो बेटियां हमारी नहीं जो दूसरों के जन्म लेती हैं मनजीत
रोज सोच सोच कर कब तक मांग करता रहूंगा
फांसी दो मुआवजा
दो नौकरी दो बस चैप्टर क्लोज,
कब तक न्याय मिलेगा, कब सुरक्षित हो पाएंगी बेटियां
न्याय पाने के लिए चलती रहेंगी सिर्फ राजनीति
*मनजीत*
दुखी मन से मुझे विचार लिख आपके पास भेज रहा हूं अगर अच्छे लगे हैं तो इन्हें शेयर कर आगे भेज देना ताकि एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सके
*सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक**
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