मवाना के कवि व गीतकार कुमार मुनीश अक्स के जन्मदिवस पर कल उनके ऑफिशियल पेज काव्य ब्रह्मास्त्र व आई डी पर एक कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका संचालन सरिता जैन जी(दिल्ली) तथा संयोजन गौरव विवेक जी(वरिष्ठ पत्रकार,देवबन्द) ने किया।कार्यक्रम में देश की सुप्रसिद्ध कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक रचना सुनाई।
कार्यक्रम का आगाज़ सरस्वती वंदना से इंदौर की क्रांति पांडेय ने किया।ततपश्चात नोयडा की सुप्रसिद्ध कवयित्री व गीतकारा पल्लवी त्रिपाठी जी ने पढ़ा "अपनी सारी खुशियां बांटे मेरे राज़ छुपाता है,बचपन की शैतानी गिन-गिन सारी उम्र चिढ़ाता है...लेकिन देख नहीं सकते जो आंसू मेरी आंखों में,उन रिश्तों में भाई मेरा सबसे पहले आता है" इंदौर से सुप्रसिद्ध कवयित्री क्रांति पांडेय जी ने पढ़ा "गुमनाम, बैठे हो यूं कोई चोर दिल में होगा,चुपचाप रहते हो अब कोई शोर दिल में होगा...नदियों की धार गुमसुम अच्छी नहीं है लगती,नजरें चुरा रहे हो कोई और दिल मे होगा" लखनऊ से अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री डॉ मालविका हरिओम जी ने कहा "तसव्वुर यार का अब चैन से सोने नहीं देता,कभी हँसने नहीं देता कभी रोने नहीं देता...मैं लिखती हूँ मिटाती हूँ अधूरे शेर पन्नों पर,ग़ज़ल वो एक भी पूरी कभी होने नहीं देता" छत्तीसगढ़ से स्वर कोकिला के नाम से प्रसिद्ध कवयित्री दिव्या दूबे "नेह" जी ने कहा "पहली बार हुआ कुछ ऐसे, मेरा मन यूं बहक गया,तुम्हे देखकर मेरा मन यूं ,वृंदावन सा चहक गया...हम तुम यक्ष -यक्षिणी जैसे मेघदूत के प्रीत हुए,साँझ हुई साजन तुम आये, सारा आँगन महक गया" गाज़ीपुर से अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री रश्मि शाक्या जी ने कहा "जो संकल्पों के साधक हैं, यूं ही न शिखर पर चढ़ते हैं,अनुकूल अगर पथ नहीं मिले, तो स्वयं रास्ता गढ़ते हैं...अपना व्यक्तित्व अटल लेकर, तूफ़ानों से टकराते हैं,प्रण को जब प्राण बना लेते,हर बाधा से लड़ जाते हैं" अंत में कार्यक्रम की संचालिका कवयित्री/शायरा सरिता जैन जी(दिल्ली) ने पढ़ा "आबरू था जो किसी मजबूर की...आज फिर आँचल वही मैला हुआ"
लॉक डाउन के लगभग प्रारम्भ से ही कुमार मुनीश अक्स के पेज व आई डी पर कवयित्री सम्मेलन का आयोजन चल रहा है , जिनमे बहुत सारी अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त दिग्गज कवयित्रियाँ भी काव्य पाठ कर चुकी हैं।
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