साभार : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (27 अक्टूबर) को सार्वजनिक डोमेन में अपनी पत्नी की नग्न तस्वीरों को पोस्ट करने और अपलोड करने के आरोपी पति को अग्रिम जमानत का लाभ देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर की खंडपीठ ने इसे 'न केवल गंभीर बल्कि एक जघन्य अपराध' करार देते हुए कहा कि,*.
''सार्वजनिक डोमेन में अपने जीवनसाथी,विशेषतौर पर पत्नी की नग्न तस्वीरों को पोस्ट करना और अपलोड करना,उस आपसी विश्वास और भरोसे को तोड़नेे के समान है जो वैवाहिक संबंधों को प्रभावित करता है।''
न्यायालय सीआरपीसी की धारा 438 के तहत दायर चार आवेदनों पर सुनवाई कर रहा था और उनका निपटारा एक ही आदेश द्वारा किया गया है। याचिकाकर्ता अभिषेक मंगला (शिकायतकर्ता पत्नी का पति), पैट राम मंगला (पति के पिता) , शिरली मंगला (पति की मां) और मीनल मंगला (पति की बहन) ने पूर्व-गिरफ्तारी जमानत आवेदन दायर किए थे।
मामले के तथ्य*
पीड़िता द्वारा प्रस्तुत एक शिकायत के आधार पर, याचिकाकर्ताओं के खिलाफ महिला *पुलिस थाना,मंडी,जिला मंडी में आईपीसी की धारा 498 ए, 504, 34 और आईटी एक्ट की धारा 66 (ई) और 67 के तहत एफआईआर संख्या 41/2020 दिनांक 5 अक्टूबर 2020* को दर्ज की गई थी।
शिकायतकर्ता के अनुसार, अभिषेक मंगला के साथ शादी के एक महीने के बाद ही याचिकाकर्ताओं ने उसे (विक्टिम) किसी न किसी बहाने से विशेष रूप से अपर्याप्त दहेज के लिए परेशान करना शुरू कर दिया था।
पति शिकायतकर्ता/ पीड़िता की कॉल रिकॉर्ड करता था और उसे मारता था। अपने ससुराल वालों के अत्याचारों से तंग आकर, वह अपने माता-पिता के घर चली गई, लगभग डेढ़ महीने के बाद, उसका पति वहाँ आया और उसने अपने आचरण के लिए माफी माँगी। इसलिए वह अपने पति के साथ वापिस आने के लिए तैयार हो गई और उसे विश्वास था कि अब वह उससे मारपीट नहीं करेगा।
लेकिन घर पहुंचने के तुरंत बाद, उसने फिर से उसके पिता को सबक सिखाने की धमकी दी और उसके बाद फिर से मारपीट शुरू कर दी। वहीं उसकी बहन और माता-पिता से भी फोन पर गाली-गलौच करना शुरू कर दिया।
एक बार रात के समय अभिषेक मंगला (पति) ने अपने मोबाइल से उसकी नग्न तस्वीरें खींचनी शुरू कर दी। जब उसने ऐसा करने से मना किया तो वह उस पर गुस्सा करने लगा, जिस कारण डर के मारे पीड़िता ने उसकी बात मान ली और उसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाई।
इसके बाद उसने उसकी नग्न तस्वीरें इंटरनेट पर अपलोड कर दी और कुछ समय बाद उनको हटा दिया। पीड़िता के पति (अभिषेक मंगला) ने पीड़िता के नाम से बनाई गई फर्जी फेसबुक आईडी के जरिए फेसबुक पर पीड़िता की नग्न तस्वीरें भी अपलोड की थीं और उस फेसबुक आईडी की प्रोफाइल पिक्चर के रूप में पीड़िता की नग्न तस्वीरें भी अपलोड की थीं और उनके स्क्रीनशॉट लेने के बाद, उसने पीड़िता को वह तस्वीरें भेजीं। इतना ही नहीं उसने वह वीडियो और तस्वीरें भी अपलोड कीं, जिसमें पीड़िता नग्न थी। कोर्ट का विचार और आदेश*
कोर्ट ने माना कि पति और पत्नी का रिश्ता एक विशेषाधिकार प्राप्त रिश्ता होता है। विवाह के बंधन में विश्वास और आत्मविश्वास शामिल होता है, जो जीवनसाथी को एक-दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण की ओर ले जाता है। आपसी विश्वास, भरोसे और निष्ठा का यह संबंध सुरक्षा की भावना पैदा करता है और कभी-कभी माता-पिता और बच्चों से भी अधिक।
न्यायालय ने आगे कहा कि*,
एक पति द्वारा सार्वजनिक डोमेन में खुद एक महिला की ऐसी तस्वीरें ड़ालना एक गंभीर ही नहीं बल्कि जघन्य अपराध है क्योंकि वह उसकी रक्षा के लिए विधिवत बाध्य है। इस हरकत ने पीड़िता की आत्मा, मन और स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डा़ला होगा,उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यह उसके लिए समझ से परे की पीड़ा का कारण बना है, जो आईपीसी की धारा 498-ए के प्रावधान को आकर्षित करता है। सार्वजनिक रूप से एक महिला को ऐसी तस्वीरें ड़ालने का कार्य करने वाला व्यक्ति मेरे विचार में अग्रिम जमानत का हकदार नहीं है।''
इसलिए, मामले के दिए गए तथ्यों और परिस्थितियों , आरोपों की प्रकृति और गंभीरता, एक महिला की आत्मा, मन और शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव, उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़े प्रभाव आदि तथ्यों को देखते हुए अदालत को लगता है कि सीआरपीसी की धारा 438 के तहत दी गई शक्तियों का उपयोग करते हुए याचिकाकर्ता अभिषेक मंगला को जमानत देने के लिए यह एक उचित मामला नहीं है।
इसलिए, उसकी तरफ से दायर जमानत याचिका (Cr.M.P(M) No. 1808 of 2020) को खारिज किया जाता है।*
*जहां तक याचिकाकर्ता राम पाटला, शिरली मंगला और मीनल मंगला (Cr.M.P(M) Nos. 1809, 1810 and 1811 of 2020)* का संबंध है, उनकी भूमिकाओं को देखते हुए, जैसा कि स्थिति रिपोर्ट में और शिकायत में कथित रूप से बताया गया है,उनको जमानत दी जा रही है। वे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, मंडी की संतुष्टि के लिए 50-50 हजार रुपये के मुचलके व एक-एक जमानती पेश करें।
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