गाजियाबाद : आप कब्र में हो अंदर गहरा अंधेरा है और आप बिल्कुल तन्हा हो क्या कभी एक पल के लिए रुक कर खुद से पूछा सवाल किया कि मेरी कब्र में पहली रात मेरे साथ क्या होगा ! उस पल के बारे में सोचो जब आपके शरीर को नहला कर कब्र में ले जाने को तैयार किया जा रहा होगा, दोस्तों सोचो उस दिन के बारे में सोचो जब लोग आपको कब्र तक ले जाएंगे और परिवार के लोग रो रहे होंगे,उस पल के बारे में सोचो मौत तो आनी ही है एक दिन हां हां मौत तो आनी है,
दोस्तों धरती पर जिस भी जीव ने जन्म लिया उसे मरना ही है और मौत आने से पहले सोचो क्या आपने सही जिंदगी जी ,खुदा ने परमात्मा ने ये जीवन दिया क्या आपने जीवन के साथ न्याय किया क्या आपने दूसरों का हक मारा दूसरों का हक मार आप अपनी खुशियां मनाते रहे क्या खुदा माफ करेगा सोचो क्या खुदा माफ करेगा ?
मौत को याद रखना ही अच्छी जिंदगी की तरफ बढ़ाया कदम होता है, मौत को याद रखने वाला दूसरों का हक नहीं मारता नाइंसाफी नहीं करता बेईमान नहीं होता ऐसा मैं सोचता हूं शायद मैं गलत नहीं सोच रहा,
दोस्तों मैं आपका अच्छा दोस्त *मनजीत* बोल रहा हूं
दोस्तों जो लोग मौत को याद नहीं रखते वह कठोर दिल के होते हैं वो जुल्म करते हैं अन्याय करते हैं वो भूल जाते हैं मौत को !
मौत को याद रखो मौत को याद रखने वालों की परमात्मा से निकटता हो जाती है,
मौत को याद रखना दया को जन्म देना है *मनजीत*
दोस्तों इंसान कभी भी चार बातें नहीं भूलता इंसान कभी भी नहीं भूलता कि उसे भूख लगी है इंसान कभी भी नहीं भूलता कि उसे प्यास लगी है चाहे इन बातों के लिए उसे कोई याद भी नहीं दिलाता कुछ पल देरी भी उसे सहन नहीं होती बर्दाश्त नहीं होती,
इसी तरह दूसरों पर हंसना भी उसे याद रहता है उसे याद रहती है नींद उसे कभी कोई याद भी ना कराए कि तुम्हें नींद आ रही है, उसे खुद ही याद रहता है इन चारों बातों के लिए कोई उसे याद दिलाएं या ना दिलाए वह कभी नहीं भूलता,
बस भूल जाता है तो सिर्फ मौत को, मौत एक भयानक डर होता है, उसके लिए जो मौत को याद नहीं रखते परमात्मा से निकटता पाने वाला व्यक्ति दया में जीने वाला दूसरों की मदद करने वाले को कभी मौत से डर नहीं लगता,
दोस्तों दूसरों का हक मारने वाला मौत के नाम से डर जाता है आप बेईमान हो रहे हो आप चोरी कर रहे हो आप गुनाह कर रहे हो किसलिए
किसके लिए अपने लिए बच्चों के लिए मगर दोस्तों बच्चों ने तो कभी नहीं कहा कि आप चोरी करो दूसरों का हक मारो बेईमान बनो, आप खुशियों का महल बना रहे हो दोस्तों आप जिस तरह की जिंदगी परिवार को दोगे वह उसी में खुश रहते हैं, आप अपने बच्चों से जो असलियत है उसे छुपाए नहीं आप थोड़ा कमाते हैं तो थोड़े में ही बसर होती हैं, घर में सुख शांति पैसे से नहीं सच्चाई से आती है, आप किसी का हक नहीं मारो गरीब कम बेईमान होते हैं पैसे की भूख पैसे वालों को ज्यादा होती है, ज्यादा पैसा बेईमान बनाता है कम पैसा परमात्मा की तरफ ले जाता है 10% लोग पैसे वाले हो कर भी इंसानियत की राह पर चलते हैं वे अपना कारोबार सच के मार्ग पर चलकर ही करते हैं,
वह इंसान परमात्मा की निकटता पाते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं, दूसरों के लिए जिंदगी जीने वाला गरीबों की मदद करने वाला परमात्मा का सिमरन करने वाला सच के मार्ग पर चलकर परमात्मा की शरण पाने वाले को कभी यमदूत लेने नहीं आते उन्हें रामदूत लेने आते हैं, उनके गुनाह भी माफ हो जाते हैं, वो परमात्मा के चरणों में निवास करते हैं, चरणों में निवास करते हैं,
मरना तो सभी को है तो आओ कुछ ऐसा करें कि यमदूत नहीं राम दूत लेने हमारे दरवाजे पर आएं !
*सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक*
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