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रामायण महाकाव्य के रचयिता, आदिकवि, महर्षि बाल्मीकि के प्रकटोत्सव के अवसर पर 5 महिला, पुरुष स्वच्छकारों को शाल, व कंबल भेंट कर सम्मानित किया गया: रामदुलार यादव

वैशाली : लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा महर्षि बाल्मीकि प्रकटोत्सव दिवस का आयोजन पण्डित मदन मोहन मालवीय पुस्तकालय, नि:शुल्क वाचनालय 5/65 सेक्टर-5 वैशाली गाजियाबाद के प्रांगण में किया गया, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संस्था के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव वरिष्ट नेता समाजवादी पार्टी, शिक्षाविद रहे, कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती छवि मिश्रा ने, संचालन मुकेश शर्मा शिक्षाविद ने, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, कार्यक्रम में समाजवादी महिला सभा उपाध्यक्ष संजू शर्मा, महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष बिन्दू राय, शिक्षाविद प्रमोद कुमार, संतोष कुमार दुबे, मुकेश गौड़ ने विचार व्यक्त करते हुए महर्षि बाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण किया तथा आदिकवि की पहली रचना रामायण महाकाव्य के सन्देश को जन-जन तक पहुँचाने का संकल्प लिया, यह समारोह “समता-सम्मान” दिवस के रूप में मनाया गया|


   समारोह को सम्बोधित करते हुए लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव ने कहा कि महर्षि बाल्मीकि को अमर्यादित व असामाजिक कार्य करने के कारण लोक में अपमानित होना पड़ा और ग्लानि का अनुभव हुआ, परिवार का मोह त्याग कठिन तपस्या और साधना के बल पर वे रत्नाकर से बाल्मीकि हो गये|


कहा जाता है कि उन्होंने इतनी कठिन तपस्या की, उनकी सुध-बुध खो गयी तथा चीटियों ने उनके शरीर पर बॉवी बना दिया, एक दिन क्रौच पक्षी के करुणा भरे विलाप को सुनकर आप का ह्रदय मर्माहत हुआ तथा सहसा प्रथम श्लोक मुंह से फूट पड़ा-


            मां निषाद प्रतिष्ठां, त्वमगम: शास्वती समा:|


            यत्क्रौंच मिथुनादेकम, अवधी काम मोहितं ||


 संस्कृत साहित्य का यह प्रथम श्लोक है, महर्षि बाल्मीकि भगवान राम के उदात् चरित्र का वर्णन किया तथा मर्यादापुरुषोत्तम राम के माध्यम से सन्देश दिया कि हमें लोक में कैसा आचरण करना चाहिए, उपरोक्त श्लोक में उन्हेंने कहा है कि हे, बहेलिये तुमने प्रणयरत क्रौंच के नर को मार दिया इससे तुम्हे प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं होगी, आज समाज में चारों ओर हाहाकार मचा है, अहंकार में मानव-मानव की हत्या कर रहा है कि मेरा स्वार्थ सिद्ध हो जाय, लेकिन उसे सम्मान नहीं सजा मिलती, यदि वह महर्षि बाल्मीकि के इस सन्देश को आत्मसात कर ले तो वह किसी को पीड़ा नहीं पहुँचायेगा, भगवान राम द्वारा शबरी के बेर खाने से समता व सम्मान का भाव पैदा होता है| हम चित्र पर पुष्प अर्पित करते है लेकिन सन्देश को ग्रहण नहीं करते, आज 21वीं शदी में भी हम जातिवाद, धार्मिक पाखण्ड के शिकार हैं| हम मानव नहीं बन पाये, आदिकवि बाल्मीकि ने हमें मानवता का सन्देश दिया तथा परिवार, समाज में भाईचारा के साथ रहने तथा अन्याय का विरोध करने के लिए अपने को तैयार करने का आह्वान किया| तभी समाज, देश में हम एक दूसरे के दुःख-दर्द में काम आ सकते हैं तथा सम्मान जनक जीवन जी सकते हैं|


     कार्यक्रम में पुष्प अर्पित करने वाले भाई-बहन- राम दुलार यादव, श्रीमती छवि मिश्रा, मुकेश शर्मा, इंजी0 धीरेन्द्र यादव, संजू शर्मा, बिन्दू राय, प्रमोद कुमार, संतोष कुमार दुबे, मुकेश गौड़, किशन पाल यादव, सुमन दुबे, आकांक्षा कृतिका, मोनिका चोपड़ा, विनीता तिवारी, सोम्या दुबे, गीता, बबीता, इंजी0 किरण पाल सिंह बाल्मीकि, प्रज्ञान शर्मा, चक्रधारी दुबे, सावित्री दुबे, अमन, वी0 एन0 उपाध्याय, कविता देवी बाल्मीकि, संगीता बाल्मीकि, सुमित कुमार, संदीप कुमार बाल्मीकि, विनोद कुमार बाल्मीकि प्रमुख रहे, जिन्हें सम्मानित किया गया उन्होंने भी महर्षि बाल्मीकि के चित्र पर पुष्प अर्पित किया| इस अवसर पर शहर को स्वच्छता प्रदान करने वाले स्वच्छकारों को कम्बल, शाल ओढाकर सम्मानित किया गया| 


                                                                 


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