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सभी धर्मों का सार है शांति, और शांति को हमें अपने अंदर ही खोजना है, धर्म के नाम पर बांटने की नहीं जोड़ने की जरूरत है: सरदार मंजीत सिंह 

गाजियाबाद : श्री गुरु नानक देव जी ने कहा हम एक पिता की संतान है, हमारा एक ही पिता परमात्मा है सारे रास्ते एक ही परमात्मा की ओर ले जाते हैं, भले ही हमारे रास्ते अलग अलग हो पर मंजिल एक है मंजिल एक है, हर धर्म ने माना परमात्मा एक है, परमात्मा निराकार है, उसका कोई रंग रूप नहीं उसका कोई आकार नहीं वो किसी से नहीं डरता और ना ही किसी को डराता है वह आज भी सत्य है पूर्व में भी सत्य था और भविष्य में भी सत्य रहेगा !


जब सभी प्राणी एक पिता की संतान हैं तो सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए, आज अगर हम किसी धर्म की निंदा करते हैं तो वह भी हमारे धर्म की निंदा करेगा धरती पर यह अलग-अलग धर्म नहीं होने चाहिए थे क्योंकि जब हम एक पिता परमात्मा की संतान हैं, मगर अब है तो हमें इसी में खुशियां तलाशनी चाहिए व बॉटनी चाहिए सभी धर्म अच्छे हैं, हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए


इस्लाम कहता है तुम्हारा दीन तुम्हारे लिए उसका दीन उसके लिए किसी भी मजहब को बुरा नहीं कहना चाहिए हमारे देश में बहुत से धर्म के मानने वाले रहते हैं और संविधान ने सभी को अपने अपने रीति रिवाज व धार्मिक आजादी मिली है, सभी को एक दूसरे धर्म का सम्मान करना चाहिए, सभी धर्म भाईचारे का पैगाम देते हैं .गुरुद्वारा साहिब में सभी धर्म के मानने वालों को जाने की इजाजत है बेरोक टोंक जा भी सकते हैं लंगर खा भी सकते हैं बांट भी सकते हैं सिख धर्म सेवा का धर्म है,धर्म हमारा जो भी हो हमें धार्मिक बनना चाहिए *मनजीत* धार्मिक इंसान दूसरे धर्म के मानने वालों के साथ भेदभाव नहीं भाईचारे का पैगाम देता है,


इंसान को पहले धर्म के बारे में जानना व समझना चाहिए दूसरों के लिए कुछ करेंगे तभी धर्म है, इंसान अपने बच्चों को पालता है जो उसकी जिम्मेदारी भी है अगर दूसरों के बच्चों का भी ध्यान रखता है तो यह सेवा या धर्म है .गुरु ग्रंथ साहिब में सेवा को महत्व दिया गया है, जब हम एक ही परमात्मा की संतान हैं तब फिर हम अलग-अलग कैसे हो सकते हैं इस्लाम कहता है किसी जरूरतमंद की मदद करना खुदा की इबादत है सभी धर्म अच्छे हैं, बुरे हैं तो सिर्फ हम इंसान के अंदर जो कड़वाहट है उसकी शुरुआत मैं और मेरा से शुरू होती है, अगर इंसान ने मैं को छोड़ दिया मैं हमारे अंदर से निकल जाए तो बस धर्म बचता है सभी धर्मों का सार है शांति और शांति को हमें अपने भीतर ही खोजना है, धर्म के नाम पर बांटने नहीं जोड़ने की जरूरत है और हर धर्म हमें जोड़ना सिखाता है, जहां प्रेम है वही परमात्मा है, इतिहास को देखें तो जान जाएंगे भगवान कृष्ण, भगवान राम, महात्मा बुद्ध, गुरु नानक देव जी, इन्हें किसी धार्मिक स्थान पर बैठकर ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ बलिक इन्होंने मानवता के लिए लगातार काम करके धरती पर मानवीय गुणों की नींव रखी !


सभी धर्मों का उदय उस परम शक्ति परमात्मा खुदा को पाने के लिए हुआ और हम शांति की खोज में घूमते रहते हैं, शांति हमारे अंदर है और हम उसकी तलाश बाहर कर रहे हैं, अपने आचरण को बदलो शांति को पाना है अगर तो धार्मिक बनो


दुनियावी हर चीज का महत्व है, मगर हम सब छोड़ दौलत के पीछे भाग रहे हैं, दौलत और राजसत्ता हमें बांटना चाहती है, हम अपने स्वार्थ के लिए धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं जो हमें नहीं करना चाहिए, राजनीति और धर्म दोनों अलग-अलग हैं इनको एक साथ नहीं जोड़ना चाहिए जो गलत हो सकता है.


सभी धर्मों का सम्मान करने वाला परमात्मा की निकटता पा जाता है *मंजीत* इंसानियत से बड़ा धर्म नहीं, धर्म के नाम पर हम खून खराबे तक भी चले जाते हैं, जिस से बचना चाहिए धर्म का ज्ञान प्राप्त कर हमें मजबूत बनना चाहिए ताकि हम धर्म के नाम पर बटे नहीं, पूर्व में भी लिखा कि सभी धर्म अच्छे हैं सभी धर्मों का सार एक है, परमात्मा एक है, सारे रास्ते एक ही परमात्मा की ओर ले जाते हैं भले रास्ते अलग अलग हो मगर मंजिल एक ही है ,हम कुरान को मानते हैं पर कुरान की नहीं मानते, हम गीता को मानते हैं पर गीता की नहीं मानते ,हम गुरु ग्रंथ साहिब को मानते हैं पर गुरु ग्रंथ की नहीं मानते, इसी तरह बाइबल को मानते हैं पर बाइबल कि नहीं मानते, जिस दिन हम अपने सभी ग्रंथों में लिखे अक्षरों को समझ लेंगे उस दिन धरती का सबसे बड़े भाई चारे का दिन होगा जिस इंसान की इंसानियत जिंदा है वह चाहे हिंदू हो या मुसलमान या अन्य किसी धर्म को मानने वाला उस पर गर्व होना चाहिए तब हम यह नारा लगा सकते हैं गर्व से कहो हम धर्मी हैं,


मस्जिद में नमाज अदा करूं या मंदिर की घंटी बजा नमस्कार करूं गुरु के आगे नतमस्तक होकर हे खुदा तुझे प्रणाम करूं आर्टिकल अच्छा लगे तो आशीर्वाद देना नहीं तो अच्छे की तलाश जारी रखना दोस्तों आर्टिकल को अवश्य शेयर करना देश व समाज हित में इसकी आवश्यकता भी है नमस्कार


 *सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक*


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