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नए कृषि कानूनों से किसानों को ही नहीं उपभोक्ताओं को भी महंगाई का दंश झेलना पड़ेगा ; रामदुलार यादव

गाजियाबाद : देश का किसान नया कृषि कानून जबसे अध्यादेश द्वारा पारित हुआ उसी दिन से सशंकित है, पहले तो वह समझ नहीं पाया, जब उसे इस कानून  की बारीकियों का पता लगा तभी से आंदोलन रत है किसान नया कृषि कानून अति शीघ्र वापस हो भारतीय जनता पार्टी सरकार से मांग कर रहा है, लेकिन जब केंद्र सरकार ने कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया बल्कि वह इस कानून से किसानों को फायदे के बारे में समझाने में लग गई तो किसानों पर सरकार की किसी तरह की वार्ता का कोई प्रभाव नहीं पड़ा उसकी तो एक सूत्री मांग है कि सरकार ने बिना देश के किसानों, कृषिविशेषज्ञों,


बुद्धिजीवी वर्गों तथा गणमान्य नागरिको से राय लिए बगैर और बिना संसद में बहस करवाए नए महत्वपूर्ण कृषि कानूनों को अध्यादेश के जरिए पास करा दिया । ‘’इतनी जल्दी  भी क्या थी’’ किसान भाइयों का कहना है कि केंद्र सरकार के मंत्री व भाजपा नेता कह रहे हैं कि किसानों को इस बिल से बहुत ही लाभ मिलेगा पूर्व सरकारों ने इतनी हिम्मत नहीं दिखाई कि किसानों का हित हो सके, भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों के अच्छे दिन आएंगे पर काम कर रही है उनकी आय दुगनी हो जाएगी लेकिन किसान भाइयों का कहना है कि सरकार इस नए काले कानूनों को वापस ले, सरकार झूठ भ्रम ना फैलाएं किसान भी सरकार की चालाकी को समझ गया है ।

आज किसान कड़कड़ाती ठंड में 2 सप्ताह से पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश राजस्थान से चलकर दिल्ली यूपी बॉर्डर, दिल्ली हरियाणा टिकरी बॉर्डर, दिल्ली जयपुर रेवाड़ी हाईवे तथा सबसे अधिक संख्या में दिल्ली हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर इस काले कानून के विरुद्ध आंदोलन रत है इसे शीघ्र वापस करने की मांग पर अड़ा हुआ है, तमिलनाडु के किसानों ने भी इस बिल के विरोध में नेशनल हाईवे जाम कर दिया है केंद्र                                      सरकार के मंत्री गण पहले तो इस किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए इसे आतंकवादी खालिस्तानी टुकड़े टुकड़े गैंग, अर्बन नक्सली  माओवादी बता रहे थे लेकिन इन बातों का जब देश की जनता पर तथा किसान भाई,पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो एक प्रांत का राजनीतिक दलों द्वारा समर्पित आंदोलन बताने में लग गए|


भाजपा की केंद्र सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना झूठ बोल भ्रमित कर किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रच रही है लेकिन जितना सरकार फूट डलवा कर नकली किसान संगठन खड़ा कर आंदोलन को कुचलना 

चाहती है उतना ही किसान आंदोलन ऐतिहासिक होता जा रहा है| आज पूरे देश के भाजपा को छोड़कर राजनीतिक दलों की सहानुभूति भी किसानों के साथ है सामाजिक संगठन अध्यात्मिक संगठन संत महात्मा भी इस आंदोलन के समर्थन में खड़े हो गए हैं यह आंदोलन आज सभी धर्मों, वर्गों तथा 36 जातियों का आंदोलन बन चुका है।

देश का किसान भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार के साथ कई बार वार्ता कर चुका है लेकिन वह विफल ही रही, सरकार चालाकी  में कुछ संशोधन लिख कर देना चाहती है किसान कानून बनवाना चाहता है, किसानों का अब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर कतई विश्वास नहीं है वह इनके झूठे प्रचार से डरा हुआ है इन्होंने चुनाव के समय कहा था कि जब हमारी केंद्र में सरकार बनेगी तो हम दो करोड़ बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देंगे, कृषि की आमदनी को डेढ़ गुना करेंगे, विदेशों से काला धन वापस लाएंगे, तथा सभी के खाते में 15 लाख रुपए डालेंगे, पेट्रोल डीजल रसोई गैस के दाम न्यूनतम स्तर पर करेंगे लेकिन इन्होंने एक भी वादा पूरा नहीं किया तथा कोई भी उल्लेखनीय कार्य नहीं किया, जो जनहित में हो जब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से जनता के लोगों ने प्रश्न किया कि 15 लाख रुपए हमारे खाते में नहीं आए ना बेरोजगारों को रोजगार मिला ना रसोई गैस के दाम कम हुए तो उन्होंने इसे चुनावी जुमला बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया।

इन्होंने चाहे नोटबंदी हो चाहे जीएसटी लागू की हो तथा कोरोना में थाली और ताली पिटवाई हो आम जनता को कोई भी फायदा नहीं हुआ बल्कि व्यापारी वर्ग के काम का भट्टा बैठ गया, भारत की जीडीपी को - 23 पॉइंट 5 पर पहुंचा दिया । केंद्र सरकार के वार्ताकारों पर इसलिए  विश्वास  ना कर नए कृषि बिल को वापस करने की मांग  तथा किसानों के पक्ष में  कानून बनाने पर अड़ा हुआ है यह सरकार लिखित में भी जो देना चाहती है उसमें भी किसानों को जुमला नजर आता है । किसान ठगा न महसूस करें वह ऐसा सोचता है।

यह नया कृषि कानून किसानों के लिए ही नहीं देश की करोड़ों जनता जो उपभोक्ता है उसके भी हित में नहीं है, कारपोरेट जगत के एजेंट बिचौलिए किसानों से औने पौने दाम पर खाद्यान्न खरीद कर बड़े-बड़े गोदामों में जमा कर लेंगे । जब खाद्यान्न गोदामों में जमा हो जाएगा मार्केट में अनाज रहेगा ही नहीं तो यह अपनी मनमर्जी से दाम तय करके भारी मुनाफे में बेचने का कार्य करेंगे| महंगाई बढ़ेगी उपभोक्ता की क्रय शक्ति कमजोर होगी देश में भुखमरी फैल जाएगी भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने मित्रों को जबरदस्त लाभ पहुंचाने के लिए देश की जनता के हितों से जबरदस्त खिलवाड़ करने पर आमादा है भाजपा सरकार किसान मजदूर विरोधी ही नहीं उपभोक्ता  विरोधी भी है ।

इस बात को  एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि इतिहास गवाह है कि बीसवीं सदी में बंगाल में अकाल पड़ा भूख से 40 से 50 लाख लोग असमय मौत के मुंह में चले गए इसलिए कि जमाखोरों के गोदाम  में अनाज था उन्होंने इतना अनाज  महंगा कर दिया कि आमजन की पकड़ से बाहर हो गया उनकी अनाज खरीदने की क्रय शक्ति 




ही नहीं रही देश का पूंजीपति यह काले कानून अपने पक्ष में बनवाकर ऐसी क्रूरता क्योंकरनाचाहता है| उसे भी संवेदनशील हो किसानों के पक्ष में कार्य करना चाहिए तथा बड़ा मन बनाकर सरकार से इस कानून को वापस करवाना चाहिए जो किसान भाई चाहते हैं।

बिहार के चंपारण आंदोलन की  याद आज के किसान आंदोलन को देखकर, समझ कर, ताजा हो जाती है जब भारत आजाद नहीं हुआ था तो अंग्रेजों ने चंपारण के किसानों की जमीन पर जबरन नील की खेती करने पर  मजबूर कर दिया था । किसानों की इतनी दुर्दशा की थी कि ना उनके पास खाने के लिए भोजन था ना पहनने के लिए वस्त्र का इंतजाम था| 1917 में महात्मा गांधी जी के न नेतृत्व में सत्याग्रह द्वारा जनशक्ति से ब्रिटिश सरकार हिल गई, अंग्रेजों को पट्टे द्वारा किसानों के पक्ष में निर्णय करना पड़ा लेकिन आज स्वतंत्र भारत में किसान कड़कड़ाती सर्दी,ओस  और ठंडी बहती हवाओं का सामना करता हुआ  3 नए कृषि बिल को वापस करवाने के लिए संघर्षरत है प्रतिदिन औसतन एक किसान की जान चली जा रही है वह अपने प्राण की आहुति दे रहा है। लेकिन स्वतंत्र भारत में ब्रिटिश सरकार से अधिक क्रूरता भाजपा की केंद्र सरकार दिखा रही है, जो देश के लिए लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है| किसान मजदूर व्यापारी उपभोक्ता सभी को एकजुट होकर सरकार को इस काले कानून को रद्द करने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से मजबूर करना चाहिए जिससे इस भयावह वातावरण से किसानों को छुटकारा मिल सके सरकार हठधर्मिता छोड़ें अहंकार में किसानों के साथ अमानवीय क्रूरता का व्यवहार ना करें अपने पूंजीपति मित्रों को समझाएं कि वह भी संवेदनशील हो किसान की पीड़ा को समझें, उसे अपने खेत में गुलामी करनी पड़े ऐसा वातावरण पैदा ना होने दे l

                           रामदुलार यादव शिक्षाविद्  

                         सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता

                          मोबाइल नंबर: 9810311255

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