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जननायक, कर्पूरी ठाकुर ने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, पिछड़ों, वंचितों एवं देश के अंतिम व्यक्ति को कैसे सम्मान मिले सारा जीवन संघर्ष किया : वीरेंद्र यादव एडवोकेट

साहिबाबाद : लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र के प्रांगण में जन नायक कर्पूरी ठाकुर समाजवादी चिन्तक, स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, कुशल राजनीतिज्ञ का जन्म दिन समारोह आयोजित किया गया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वीरेन्द्र यादव एडवोकेट जिला महासचिव समाजवादी पार्टी रहे, अध्यक्षता वरिष्ट समाजसेवी हीरा लाल सैन ने, आयोजन इंजी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, संचालन सैन समाज उत्तर प्रदेश के महासचिव वीर सिंह सैन ने किया| 


कार्यक्रम “समता-सम्मान दिवस” के रूप में मनाया गया, समाज सेवा में अग्रणी भूमिका निभाने वाले कार्यकर्ताओं और पत्रकार बन्धुओं को शाल भेंटकर तथा गर्म वस्त्र देकर सम्मानित किया गया| बच्चों में भी गर्म कपडे का वितरण हुआ| कार्यक्रम को वीरेन्द्र यादव एडवोकेट, सैन समाज के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल सैन, मुकेश शर्मा शिक्षाविद ने भी सम्बोधित किया| 


कर्पूरी ठाकुर जी के सम्मान में बिन्दू राय महिला उत्थान संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गीत प्रस्तुत किया| चमन सिंह सैन, सतीश सैन, सतीश पत्रकार, वीरपाल छोकर, डा0 छत्रपाल सैन, विजयपाल सैन, रामभूल सैन, राजेश्वर सैन, राम औतार, विजय भाटी, मंगल सिंह चौहान, सचिन त्यागी, ताहिर अली, रवि चौहान, रहीम खान, दयाल शर्मा, असीफ खान, महिला कार्यकर्ता कौशल्या, मिथलेश सैन, कमलेश सैन को शाल भेंटकर सम्मानित किया गया| हरित बुलेटिन की सम्पादक एच0वी0एन0 न्यूज की डायरेक्टर सुनीता उपाध्याय को माला पहना शाल भेंट कर महिला कार्यकर्ताओं ने सम्मानित किया| सभी लोगों ने जन नायक कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें स्मरण कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया कार्यक्रम के अन्त में भण्डारे में भोजन आये हुए सभी साथियों में वितरित किया गया|


   कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वीरेन्द्र यादव एडवोकेट ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर करोड़ों शोषितों, पीड़ितों, वंचितों की आवाज बनकर उनको ताकत प्रदान कर उन्हें राजनीति की मुख्य धारा में लाने का कार्य किया| उन्होंने गाँधी, डा0 लोहिया, डा0 अम्बेदकर के सपनों को संघर्ष करके आगे बढ़ाने का कार्य किया| वे सामाजिक आन्दोलन के प्रतीक महापुरुष रहे, उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा से परिपूर्ण था, सामाजिक न्याय के सपने को पूरा करने का उन्होंने संकल्प लिया था| वे गरीब गुरुबों की तथा गाँव देहात की आवाज बनकर रात-दिन उनके कल्याण में अपना जीवन अर्पण कर दिया, वे शिक्षक, स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक कौशल से परिपूर्ण थे, शिक्षा के प्रचार-प्रसार के प्रबल पक्षधर थे| उन्होंने राज-काज की भाषा हिन्दी को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी| अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता को समाप्त किया| उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा देने का काम किया|


   श्री यादव ने कहा कि उनकी लोकप्रियता ने उन्हें “जन नायक” बनाया, वे एक बार बिहार के उप मुख्यमंत्री तथा 2 बार मुख्यमन्त्री बने, उन्होंने 27% आरक्षण सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्ग को देने का ऐतिहासिक कार्य किया| उनके इस कार्य से प्रभु जातियों में असंतोष हुआ, लेकिन उन्होंने सिद्धांतों से समझौता कभी नहीं किया, सत्य, नैतिकता, सादगी के साथ कर्तव्यों का निर्वहन किया, वे समता और सम्मान समाज के अन्तिम व्यक्ति, कमजोर वर्ग का कैसे बढे प्रयासरत रहे, आज आजादी के 73 वर्ष बाद भी सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, राजनैतिक विषमता है, जातिवाद, धार्मिक पाखण्ड, नफ़रत का वातावरण है, 1% अमीर भारतीय के पास भारत के एक अरब (100 करोड़) जनसँख्या से 4 गुना संपत्ति है, विश्व में आर्थिक असमानता बढ़ी है, भारत में यह सबसे अधिक है, आज कर्पूरी ठाकुर जैसे ईमानदार नेता की जरुरत है, देश के उच्च पदों पर आसीन लोगों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए, जब उनका देहावसान हुआ तो न उनके नाम अपना घर, गाड़ी, बैंक में चन्द रुपये के अलावा कुछ भी नहीं था|


    आज नवजवान पीढ़ी जो राजनीति में आ रही है उन्हें कर्पूरी ठाकुर के जीवन-व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रेरणा लेकर देश, समाज और व्यक्ति के उत्थान में कार्य करना चाहिए| संजू शर्मा, इशरत, राम प्यारे यादव, राजपाल यादव, संजय चौरसिया, अमृतलाल चौरसिया, रेनूपुरी, अनीता सिंह, रहीमुद्दीन, अकरम अल्वी, संदीप, फरीदा, इमराना, धारामती, मीना देवी, आरती सिंह, सत्यपाल छिब्बर, एस0 एन0 जायसवाल, सी0 पी0 सिंह, नत्थू सिंह, हाजी मोहम्मद सलाम, केदार सिंह, अंशु ठाकुर, सुरेन्द्र यादव, सुरेश कुमार भारद्वाज, पप्पू सिंह, हरिकृष्ण, अमर बहादुर, सुभाष यादव, आदि शामिल हो श्रद्धांजलि दीl

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