गाजियाबाद : स्वतंत्रता सेनानी, प्रसिद्द कवियित्री, विलक्षण प्रतिभावान, बेजोड़ वक्ता, भारत कोकिला, सरोजनी नायडू का जन्म एक शिक्षित और संभ्रांत परिवार में 13 फरवरी 1879 में हुआ| वह भारत की कई भाषाओँ के बोलने, लिखने में निपुण, होनहार छात्रा थी| उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मद्रास प्रेसिडेंसी में प्रथम स्थान प्राप्त किया, उनकी कविता और विलक्षण भाषा ज्ञान से प्रभावित हो, निजाम हैदराबाद ने छात्रवृत्ति देकर सरोजनी नायडू को पढ़ने के लिए इंगलैंड भेज दिया, पढाई पूरी करने के बाद वह 1905 में राष्ट्रीय आन्दोलन में शामिल हो गयी|
भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिए उन्होंने संघर्ष किया, महिला सशक्तिकरण पर बल दिया, वह गोपाल कृष्ण गोखले और महात्मा गाँधी के विचारों से प्रभावित रही, वह महिलाओं की आन्दोलन में भागीदारी हो जवाहर लाल नेहरू से भी मिली और पूरे देश में महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए जागरूक किया, उनकी कार्य कुशलता ने उन्हें 1925 में कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना| 1930 में दांडी मार्च में हजारों महिलाओं को साथ लेकर शामिल हुई और नमक कानून के खिलाफ जंग की, महात्मा गाँधी उनसे प्रभावित बहुत ही हुए| वह महात्मा गाँधी के साथ सविनय अवज्ञा आन्दोलन में जेल गयी, 1942 के भारत छोडो आन्दोलन में भी वह 21 महीने जेल में रही, वे आगा खां महल जेल में गाँधी जी की सेवा में लगी रही, जब भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ वह उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल बनी, उन्होंने कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभा से जनता की सेवा करती रही तथा अपना सारा जीवन महिलाओं को अधिकार दिलाने, जन-जन के कष्ट कैसे दूर हो देश की सेवा में अर्पण कर दिया| वह महात्मा गाँधी की प्रिय शिष्या थी| राज्यपाल पद उनको प्रभावित नहीं कर पाया, उन्होंने कहा कि “मै कैदकर दिये गये पक्षी की तरह यहाँ रह रही हूं, लेकिन वहां अपने अच्छे विचार और व्यवहार से राजनीतिक कर्तव्यों का निर्वहन किया”| वह महिलाओं के लिए सम्मान की प्रतीक हैं| 2 मार्च 1949 में आपने इस संसार से विदा ले प्रकृति में विलीन हो गयी, आप हमारे बीच नहीं है लेकिन देश, समाज और महिलाओं के जीवन में कैसे प्रकाश किरण और फूल खिले कविता के माध्यम से जन-जन को सझाती रही|
आज भारत को आजाद हुए 73 वर्ष से अधिक हो रहे है लेकिन हम आज भी महिलाओं को समानता का अधिकार नहीं दे पाये जिनके लिए उन्होंने जीवन पर्यन्त काम किया, आज महिलाओं का शोषण जारी है पूरे देश में लाखों शिकायतें उनके उत्पीडन में सम्बन्धित अधिकारियों के यहाँ न्याय के इंतजार में है| उत्तर प्रदेश महिला उत्पीडन की स्थली बन गया है, हाथरस, उन्नाव की वीभत्स घटना जहाँ बेटियों के यौन शोषण के बाद उनकी निर्मम हत्या केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार के ऊपर कलंक है, अपराधियों का हौसला इतना बढ़ गया है कि उन्हें सरकार का भी खौफ नहीं है| आज सरोजनी नायडू हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके विचार से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए, महिलाओं के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करना चाहिए जिससे वह गरिमामय जीवन जी सकें| उनके द्वारा महिलाओं के सम्मान में लिए कड़े संघर्ष को याद करते हुए कुछ कदम चलने का संकल्प लेना चाहिए| यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी|लेखक:
वीरेन्द्र यादव (एडवोकेट)
जिला महासचिव समाजवादी पार्टी
जनपद गाजियाबाद
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