गाजियाबाद : भारतीय सांविधान के अनुच्छेद 19 के तहत, भारत के प्रत्येक नागरिक को निम्न अधिकार निहित किए गए है :
"19 (1) सभी नागरिकों को--
(क) वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य का,
(ख) शांतिपूर्वक और निरायुध सम्मेलन का,
(ग) संगम या संघ बनाने का,
(घ) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण का,
(ङ) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का, [और]......."
जैसा कि विदित है सम्पूर्ण भारत में भारत देश की अमूल्य धरोहरों को जैसे कि रेलवे, बैंक, हवाई अड्डे, बंदरगाहों, सार्वजनिक कंपनियां एवं उपक्रम, शिक्षण संस्थानों आदि का धीरे-धीरे निजीकरण किया जा रहा है I जोकि देश के नागरिकों एवं भारतीय संविधान की मंशा के विरुद्ध है और भारतीय संविधान की प्रस्तावना “ हम भारत के लोग ..... ! ” के विरुद्ध है I निजीकरण, देश और देश के नागरिकों के भविष्य को भयावह स्तिथि में खड़ा कर सकता है ! ये देश भूमि का एकमात्र टुकड़ा नहीं है, देश के हर एक नागरिक ने बड़ी मेहनत व खून पसीना एक करके देश के इन साधनों, संसाधनों और धरोहरों को संजोया है, जिसमें बहुत बड़ा समय लगा है इन धरोहरों को संजोने में I निजीकरण से देश के हर एक नागरिक चाहे वो युवा हो या वरिष्ट नागरिक सभी का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा, जोकि विचारणीय है I सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमो का निजीकरण भारत के नागरिक के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय के विरुद्ध है, चुकी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमो का उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ कामना ना हो कर, बल्कि अर्जित लाभ द्वारा सर्वजन (भारत के नागरिक) को सुविधा एवं सेवाए प्राप्त करने में निहित होता है। अतिरिक्तः, निजिकरण नीति एक राजनैतिक विचारधारा है और विचारधारा ऋणात्मक एवं धनात्मक हो सकती है, यदि हम निष्पक्ष रूप से देखे तो वर्तमान प्रस्थितिया एवं निजिकरण भारत के नागरिक के हितकर नहीं है क्योकि निजिकरण द्वारा इकाइयों एवं उद्यमो द्वारा अर्जित लाभ केवल और केवल व्यक्तिगत है ना की सर्वजन या सार्वजनिक।
अतिरक्तः निजीकरण द्वारा कुछ विशेष पूंजीपतियों को दिन-प्रतिदिन प्रबल, प्रभावी और प्रधान बनाया जा रहा है जोकि “डोमिनेंट पोजिशन” को प्रोत्साहित करता है I निजीकरण के बाद देश में रोजाना बेरोजगारी, अशिक्षा, भुखमरी, स्वस्थ सुविधाओ का आभाव, रोटी-कपडा और मकान आदि जैसी बुनियादी सुविधाओ से वंचित होते चले जायंगे और देश के नागरिक फिर से गुलामी की तरफ अग्रसर होगा I सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमो का निजीकरण भारत के नागरिक के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय के विरुद्ध है, चुकी, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमो का उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ कामना ना हो कर, बल्कि अर्जित लाभ द्वारा सर्वजन (भारत के नागरिक) को सुविधा एवं सेवाए प्राप्त करने में निहित होता है।
निजीकरण रोको पैदल मौन यात्रा के प्रथम चरण जो दिनांक 09 अक्टुबर 2020 से 13 अक्टुबर 2020 मेरठ कमिशनरी से पैदल चलकर वाया रूट मोदीनगर-हापुड़ दिल्ली जन्तर मन्तर तक प्रस्तावित यात्रा में सभी सामाजिक संगठनों व सहयोगियों साथियों का भरपूर सहयोग प्राप्त हुआ था। जिसके परिणाम स्वरूप प्रथम चरण को शान्तिपूर्वक संपन्न करते हुये माननीय राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन सोपा गया था । उसी क्रम में दिनांक 25 फ़रवरी से 21 मार्च तक ‘निजीकरण रोको यात्रा’ के द्वितीय चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, और आगरा (6 मण्डल) का दौरा किया जाना निश्चित हुआ है। जो दिनांक 21 मार्च जिला गाजियाबाद से प्रारम्भ होगी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी महोदय को और कमिशनरी में कमिश्नर महोदय को निजीकरण रोकने के लिये माननीय राष्ट्रपति महोदय को संबोधित ज्ञापन सौपकर 21 मार्च को जिला आगरा में समापन किया जायेगा ।
उक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुवे, माननीय राष्ट्रपति महोदय जी से निवेदन किया गया है कि तत्काल प्रभाव से वर्तमान में सार्वजनिक इकाइयों एवं सार्वजनिक उद्यमो का निजीकरण रोका जाए और राष्ट्रीयकरण किया जायें जो कि राष्ट्रहित व लोक कल्याण में है और अधिवक्ता प्रमोद ए आर निमेष ने आमजन से इस मुहिम से जुड़ने की अपील की हैप्रमोद ए आर निमेश वर्तमान में जिला एवं सत्र न्यायालय गाजियाबाद में अभ्यासी अधिवक्ता है और समाज उत्थान के लिए समाज सेवा के लिए हमेशा प्रयासरत रहते है। गरीब तबके के जरूरतमंदों के लिए प्रो-बोनो आधार में कानूनी मदद करते चले आ रहे है।
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