*अदालत शरीर यानी तन का कत्ल करने वाले को उम्र कैद या फांसी की सजा देती है*
*मगर क्या किसी अदालत ने
विचारों का कत्ल करने वाले को सजा दी*
भावनाओं का कत्ल करने वाले को सजा दी,
धोखा देकर धन की लूट करने वाले को सजा दी,
जिंदगी की सुविधा छीन लेने वाले को सजा दी
जिंदगी का सुकून छीन लेने वाले को सजा दी,
भविष्य पर चोट करने वाले को सजा दी,
इज्जत को बदनाम करने वाले को सजा दी,
परिवार के आगे बढ़ने के रास्ते पर रोक लगाने वाले को सजा दी,
पीड़ित इंसान के साथ साथ परिवार की भावनाओं का कत्ल करने वाले को सजा दी,
आगे बढ़ने के रास्ते बंद कर कर देने वालों को सजा दी,
इस पूरे प्रकरण में साथ देने वालों को सजा दी,
रिश्तो का कत्ल करने वालों को सजा दी
मां-बाप के रिश्तो में दीवार बनने वालों को सजा दी,
वह रिश्तेदार जो उनके साथ मिलकर इन कत्ल में भागीदार रहे क्या उन्हें सजा दी,
समाज मैं एक तरफा सोच रखने वालों को क्या सजा दी,
तन का कत्ल करने से भी ज्यादा संगीन अपराध करने वालों को सजा दी,
यह सब जब कत्ल हो रहे थे और जो देख थे क्या उन्हें सजा दी,
यह बड़े सवाल हैं या तो जाग जाओ या उनका बाय काट करो नहीं तो तुम्हें जो सजा मिलनी चाहिए
इस समाज नाम की संस्था जो गलत को गलत नहीं कह पाते क्या उन्हें सजा मिली,
या ऐसे लोग जो आए दिन इस तरह के कत्ल कर रहे हैं क्या उन्हें हम सजा दे पाए,
अब आप सोचें क्या आप भी अनजाने या जाने में सहयोगी रहे तो, आपको भी सजा मिलनी चाहिए,
रिश्ते लाभ के लिए नहीं इंसानियत से जोड़ने चाहिए,
आप सोचें कहीं आप अनजाने में इसी कत्ल करने वाले का साथ तो नहीं दे रहे हैं, अगर दे रहे हैं जो पीछे हट जाएं नहीं तो इन सारे कत्ल मैं आप भी दोषी माने जाएंगे,
दोस्तों आपका अच्छा दोस्त *मनजीत* बोल रहा हूं वाहेगुरु ने मेरे हाथों से जिन हाथों को उसने दिया उन् हाथों से यह शब्द लिखवाए ताकि यह शब्द आप तक पहुंच सके,
शब्द अच्छे हो तो इन्हें अमल में लाना बेकार हो तो फेंक देना मगर अच्छे की तलाश करना,
आपका दोस्त सरदार *मंजीत सिंह*
*सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचार*
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