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इस कोरोना कॉल के दौरान भारत में कोई लाशों को नोच रहा है, कोई नर पिशाच बन कर खून चूस रहा है, चारों तरफ लूट मची है सरकारें मूक दर्शक बनी है

 आज इस वैश्विक महामारी कोरोना में पूरा विश्व अपने अपने मुल्क से लोगों की जान बचाने में लगा हुआ है और हर देश का नागरिक अपने देश के लोगों की हर तरीके से मदद कर रहा है भारत से अलग अगर हम बात करें तो अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड इत्यादि देश अपने-अपने नागरिकों की हर तरीके से संभव मदद कर रहे हैं वहां के डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ दवाई विक्रेता तथा सर्जिकल सामान बेचने वाले लोग समान के निर्धारित दामों में ही सामान की बिक्री कर रहे हैं लेकिन भारत देश में मामला ही कुछ और है इस वैश्विक महामारी के चलते आज यहां के लोग अपने आप को बचाने में अपना घर दुकान, जेवर बेचकर तथा कर्ज लेकर अपने लोगों को बचाने में जुटे हैं वही यहां डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है




 लेकिन इस भगवान नहीं अपनी पूजा करने वाले लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया है इन लोगों के सामने अब सिर्फ पैसा ही दिखता देता है बाकी कुछ नहीं आज यह पेशा इतना बदनाम हो चुका है की इस पेशे में पहुंचे डॉक्टरों को लोग भगवान के रूप में नहीं देखते बल्कि एक नर पिशाच के रूप में देख रहे हैं नर पिशाच लोगों का खून पीकर जिंदा रहता है लेकिन यहां के डॉक्टर लोगों की गाढ़ी कमाई तथा घर, दुकान जेवर इत्यादि को पीकर जिंदा रहते हैं और अपने पेशे को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं यहां पर डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ रेमडेसीविर इंजेक्शन को मरीज का रिश्तेदार या तीमारदार खरीद कर लाता है उस इंजेक्शन को उसकी जान बचाने के लिए लगाया जाता है लेकिन मुनाफाखोरी के चक्कर में डॉक्टर इतने गिर गये हैं और अंधे हो गए हैं कि वह इंजेक्शन ना लगा कर उस इंजेक्शन को ब्लैक कर देते हैं और मरीज की जान जाने के आसार 99% बढ़ जाते हैं वैश्विक कोरोना महामारी में भारत में हर व्यक्ति मुनाफाखोरी के चक्कर में लगा है चाहे वह किराना स्टोर चलाने वाला व्यक्ति हो, या पान बेचने वाला पनवाड़ी हो, तथा दवाई बेचने वाला कोई दुकानदार हो, वह आज रातों - रात करोड़पति बनना चाहता है वह अपने सामान पर लिखे दामों से अतिरिक्त ग्राहक से दुगनी 3,4, कीमत वसूल रहा है यहां पर मेडिकल ऑक्सीजन को ब्लैक करने वाले लोग रातो रात करोड़पति बन जाते हैं तथा जिला प्रशासन और पुलिस को भनक भी नहीं लगती है कि यह मामला क्या चल रहा है जब लोग त्राहिमाम - 2 करते हैं जब जिला प्रशासन थोड़ी सी नींद खोलता है वही हद तो तब हो गई मुर्दा के कफन को चोरी कर बाजार में बेच देते थे पता चलता है इस दौरान कोरोना इफेक्टिव लोगों की लाशें आ रही है और उनका कफन दुकानदारों को बेच देते थे जिससे इंफेक्शन फैलने के 99% आसार बढ़ गए हैं पुलिस ने खुलासा करते हुए यह जानकारी मीडिया को दी अब यह लोग सलाखों के पीछे हैं यहां पर तो नींबू का दाम आसमान छू जाता है यहां के लोगों की मानसिकता काफी छोटी है वह सिर्फ अपने परिवार को ही देखता है लेकिन यह नहीं देखता यदि पड़ोस में कोई भूखा है या बीमार है तो परेशानी तो उसके पास भी आएगी इस वैश्विक महामारी मैं जब जनता परेशान है तो वह अपने चुने हुए जनप्रतिनिधि को फोन कर मदद की गुहार लगाती है लेकिन जनप्रतिनिधि पहले से ही कोरोना इनफेक्टेड हो होम आइसोलेट हो जाते हैं और सोशल मीडिया पर लिख देते हैं कि अब वह कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं और जॉन के संपर्क में आए हैं वह भी अपने आप को आइसोलेट कर ले तथा सरकार के अधिकारी भी कम नहीं जब जनता मदद के लिए कार्यालय पहुंचती है तो वहां पर चपरासी के अलावा कोई नहीं मिलता चपरासी जनता से कहता है साहब नहीं है कोरोना महामारी चल रही है वह घर से ही काम कर रहे हैं लेकिन काम क्या कर रहे हैं यह किसी को पता नहीं जब उनको जनता की सेवा के लिए नियुक्त तो काम किसका कर रहे हैं जनता तो मारी मारी फिर रही है सरकार के निर्देश आते हैं अब सरकारी कार्यालय में कुछ ही कर्मचारी काम पर होंगे बाकी घर से काम करेंगे यह आदेश अति आवश्यक है सरकार जनता को तो भूल ही जाती है आखिर जनता जाए कहां आज देश में मुनाफाखोरी की कमी नहीं है वह किसी भी हालात में परेशान आदमी से दुगनी कितनी कीमत वसूलना जानते हैं यहां पर डॉक्टर व्यक्ति के मरने के बाद मृतक परिवार को 13 लाख का बिल जमा करने के लिए बोलते हैं या नर्सिंग स्टाफ हो, सब्जी बेचने वाला हो, दवाई बेचने वाला हो, सर्जिकल आइटम बेचने वाला हो, मेडिकल ऑक्सीजन बेचने वाला हो, लगता है कुछ ज्यादा हो गया लेकिन एक कहावत याद आ रही है एक मछली तालाब को गंदा कर देती है और यहां तो हार मछली ही गंदी है तो तालाब का क्या होगा कोई यहां लाशों को नोच कर खा रहा है कोई यहां जिंदा लोगों का खून पी रहा है यह नर पिशाच नहीं तो क्या है यहां पर सरकारें लोगों को सुविधा देने में विश्वास नहीं रखती बल्कि वह सत्ता में बने रहना ही उसका देह है चाहे यहां की जनता को कुछ भी हो जाए वह तो भाषण बाजी तथा चुनाव प्रचार में व्यस्त रहती है भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहां जनता को यूं मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता तो सरकार की नींद टूटी और विदेश मंत्री ने अपने मित्र देशों से मदद की गुहार लगाई मदद मिल भी रही है तब भी यहां पर लोग बेहाल हैं क्योंकि यहां का स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के ढांचे को पहले ही दिमाग चाट गई है आज इसकी ज़रूरत पड़ी है तो पता चला देश किस ओर जा रहा है आज यहां पर जो चल रहा है इसकी जिम्मेदार सरकार है जिसने हर व्यक्ति के रक्षा सुरक्षा की शपथ ले रखी है लेकिन वह इस पर खरी नहीं उतरी लाखों लोग काल के गाल में समा गए मैं आऊं मृत आत्माओं शांति के लिए ईश्वर से कामना करता हूं कि उनको मोक्ष प्रदान करें लेकिन उनकी आत्मा चीख - 2 पर पूछ रही है आखिर उनकी गलती क्या है? जो लोग मौत के आगोश में सो गए और अपने परिवार को इस संसार में रोते बिलखते छोड़ गए आज देश का हर नागरिक सरकारों से सवाल कर रहा आखिर उनकी गलती क्या है आखिर कालाबाजारी करने वाले कानून में कठोर दंडात्मक कार्यवाही क्यों नहीं अमल में लाई जा सकती इसका जवाब सरकारों को खोजना चाहिए ताकि उसकी आवाम को कुछ राहत मिल सके

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