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मातृ दिवस के अवसर पर माँ को समर्पित यह लाइने

माँ 

दीपशिखा सी तपकर मेरी

खुशियां सदा संजोई माँ । 

जब मैं हंसी, हंसी तुम भी 

मैं रोई तब तुम रोई माँ।।


थपकी देकर मीठी - मीठी 

लोरी मुझे सुनाती थी ,

मैं निश्चिंत तुम्हारे आंचल में 

छिप कर सो जाती थी ,


थके उनींदे नैन मगर 

भर नैन कभी न सोई माँ।।

 

मुझे खिला कर हो जाती 

यों तृप्त, पेट भर खा ली हो ,

मुझे देख यों खुश हो जाती ,

जैसे दुनिया पा ली हो ,


लेकिन मुझे पता है, मेरी 

ख़ातिर क्या-क्या खोई माँ।।


मैं तो स्वयं तुम्हारी कृति हूं 

इसका है अभिमान मुझे ,

शब्द शक्तियों का तुमसे ही 

मिला सदा वरदान मुझे ,


तुम ही हो जो कलम थमा कर 

मुझ में कविता बोई माँ।।


लेकिन जीवन की खुशियां 

इक पल में कम हो जाती हैं ,

उन बच्चों को देख देखकर 

आंखें नम हो जाती हैं ,



कैसे जीते होंगे बचपन 

पास न जिनके कोई माँ।।


©रश्मि शाक्य✍️

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