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किसान आंदोलन को चलते 8 माह पूरे हो गए सरकार कब चेतेगी: मनजीत

गाजियाबाद : किसानों का काले कृषि कानूनों के खिलाफ हल्ला बोल, अब दिल्ली में चल रही किसान संसद और गूंज रहा नारा किसान मजदूर एकता जिंदाबाद सरदार मंजीत सिंह मैं अपनी बात 13 साल के लड़के से शुरू करता हूं, जिसका नाम अविजोत, जिसने किसान आंदोलन के चलते गिरफ्तारी दी, जज्बा देखकर हौसला देखकर लगा नहीं के 13 साल का बालक है, किसान आंदोलन जिंदाबाद नारे के साथ अपनी बात को शुरू किया


उस 13 साल के बालक को सलाम


जिस किसान आंदोलन को सरकार ने एक सुबा का आंदोलन बताया, आज पूरे देश और पूरी दुनिया का आंदोलन बन गया 

बहुत से देशों में हिंदुस्तान के किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं, वहां भी धरना प्रदर्शन कार रैली भी निकाली गई, आज हिंदुस्तान के मीडिया से ज्यादा विदेशी मीडिया किसान आंदोलन की कवरेज कर दिखा रहा है

3 काले कृषि कानून बना सरकार किसानों को बर्बाद करने की कोशिश में जुटी है, जब जब किसान आंदोलन एक मजबूती की छाप छोड़ता है, तब तब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का बयान आता है हम वार्ता करने के लिए तैयार

11 दौर की मीटिंग होने के बाद भी किसानों की मांग काले कानून वापस लिए जाएं, तब तब कृषि मंत्री पूछते हैं कानून में काला क्या है, 15 में से 12 प्रस्तावों पर संशोधन पर करने को तैयार सरकार 

फिर भी सरकार पूछती है, कानूनों में काला क्या है,

देश में पहली बार देखा सरकार भी जिद्दी हो जाती है, आजादी के बाद कोई भी सरकार कभी किसी कानून पर इतनी जिद नहीं करी, 8 माह पूरे हो चुके किसान आंदोलन को चलते किसानों ने हर मौसम की मार को सहन तो किया मगर कभी पीछे हटने की बात नहीं कही, सरकार की तरफ से कोई सुविधा ना होने के बावजूद भी किसान पीछे नहीं हटा, सरकार ने बहुत सी तकलीफें भी दी लगभग 500 किसान शहीद भी हो गए, मगर सरकार नहीं जागी सरकार को अब जागना चाहिए

सरकार को किसानों से बातचीत करनी चाहिए, कानून वापसी लेकर किसानों की बात मान लेनी चाहिए

किसान और जवान दोनों एक ही हैं, दोनों ही देशभक्त है,जवान जहां सरहद पर देश की रक्षा करता है वही किसान अन्न पैदा कर देश का पालन पोषण करता है,

किसान आंदोलन के चलते कितने किसान शहीद हुए सरकार के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं तो, जब आंकड़ा ही नहीं तो उनके परिवारों की मदद कैसे करेंगी सरकार,

अब किसान आंदोलन का बड़ा फैसला

मानसून सत्र चलने तक रोजाना 200 किसान जंतर मंतर पर किसान संसद चलाने का फैसला लिया, 22 जुलाई से 9 अगस्त तक यह किसान संसद चलेगी किसानों ने 22 जुलाई को संसद से कुछ दूरी पर किसान संसद चलाने का काम किया संसद की कार्रवाई की तरह ही किसान संसद में भी किसानों ने उसी तरह कार्रवाई चलाई पहले दिन एम एस पी और मंडियों के मुद्दों पर चर्चा हुई

अब देश की पार्लिमेंट में विपक्षी दलों के एमपी सांसद संसद में किसानों की मांगों पर वार्ता करें, ऐसा संयुक्त किसान मोर्चा ने विपक्षी दलों से मांग रखी है


जिस तरह किसान आंदोलन पूरे देश ही नहीं दुनिया में छाया है बंगाल के चुनाव इस बात का परिणाम है की किसान जिसकी मदद के लिए खड़े हो जाएं उस की सरकार बनना लाजमी है दूसरा किसान सत्ताधारी पक्ष भारतीय जनता पार्टी का विरोध करने की अपील की और करेगा

किसान आंदोलन की मजबूती को देखते हुए विपक्षी दल के नेता और सत्ता दल के नेता दोनों ही किसानों की मांगों पर या तो बोल रहे हैं या चुप हैं विरोध नहीं कर रहे

किसान नेताओं का बयान जो विपक्ष का नेता किसानों के हक में नहीं बोलता उसे गांव में नहीं घुसने दिया

दूसरी तरफ सत्ता पक्ष का नेता भी चुप है अगर पक्ष में नहीं बोल पा रहा तो विरोध में भी नहीं बोल पा रहा

किसानों की बस यही मांग कृषि काले कानून वापसी हो और एमएसपी पर कानून बने

सरकार जिद छोड़ो काले कानून वापिस लो वापिस लो


 *सरदार मंजीत सिंह* 

 *वरिष्ठ समाजवादी पार्टी नेता* 

 *आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक*

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