गाजियाबाद : देखा गया है जो इंसान दुनियावी रिश्तो से ज्यादा लगाव ना रख परमात्मा से लगाव रखता है, वह इंसान कभी मायूस नहीं होता, जिंदगी की खुशियों से भी जुड़ा रहता है उसका सब्र ही उसे परमात्मा से जोड़ें रखता है,
दोस्तों मुझे सिर्फ एक संदेश देना है खुशी आए या गम अपने परमात्मा से हर बात करें, दुनियावी रिश्तो से जुड़े मगर परमात्मा को हमेशा अपने मन में बसा कर रखें,
परमात्मा और इंसान का रिश्ता क्या है *मनजीत*
हमें इस दुनिया में धरती पर परमात्मा ने भेजा और हमारी पालना भी परमात्मा ही करता है,
बस इतना ही रिश्ता नहीं इंसान का जब जन्म होता है जब इंसान धरती पर आता है, वह अकेला होता है उसे दूसरों के बारे में तो क्या खुद अपने बारे में भी पता नहीं होता,
धीरे धीरे जैसे-जैसे वह बड़ा होता है तो उसे नए नए रिश्ते मिलते हैं या यह कहें नए रिश्तो से जुड़ता है,
तब मां पिता से जुड़ने के बाद अन्य रिश्तो से जुड़ता है, भाई बहन, ना जाने कितने ही रिश्तो से जुड़ता है, इन सब को जोड़ एक परिवार के सदस्य बन जाते हैं,
इंसान का बचपन शुरू होकर बड़ा होकर जवानी में कदम रखता है, धीरे-धीरे इंसान को वही रिश्ते जो बालपन में प्यार मोहब्बत से जुड़े रहते हैं बाद में वह प्यार धीरे-धीरे कम होता है, और फिर समाप्ति की तरफ बढ़ता है,
मगर परमात्मा से हमारा रिश्ता जुड़ा रहता है तो दुनियावी रिश्तो से हमें ज्यादा फर्क नहीं पड़ता और दूसरी तरफ जो इंसान उन रिश्तो से जुड़ परिवार को ही अपनी जिंदगी मान जीते हैं
तो हम एक दिन टूट जाते हैं, दुनियावी रिश्तो में स्वार्थ भरा रहता है और जो इंसान परिवार के लिए जान देने के लिए तैयार रहता है बाद में वही परिवार के सदस्य एक दूसरे की जान लेने तक चले जाते हैं,
परमात्मा कहता है यह रिश्ते मैंने ही तुम्हें दिए अगर रिश्तो में टूट आई है तो, मैं तो हूं मैं तो हूं,
देखा गया है जो इंसान दुनियावी रिश्तो से ज्यादा लगाव ना रख परमात्मा से लगाव रखता है वह इंसान कभी मायूस नहीं होता जिंदगी से,
जिंदगी की खुशियों से भी जुड़ा रहता है उसका सब्र ही उसे परमात्मा से जुड़े रहता है,
दोस्तों खुशी आए या गम अपने परमात्मा से हर बात करें अपना सुख और दुख परमात्मा से बांटे, दुनियावी रिश्ते से जुड़े हैं मगर परमात्मा को हमेशा अपने मन में बसा कर रखें,
परमात्मा हम से उम्मीद करता है सेवा करें, मददगार बने, परमात्मा को याद रखें उसका सिमरन करें, परमात्मा आपका सबसे अच्छा और सच्चा दोस्त है, परमात्मा से दोस्ती करें, परमात्मा से दोस्ती करें,
परमात्मा ने मां के गर्भ में हमारी रक्षा की तो क्या दुनिया में लाने के बाद क्या हमारी रक्षा नहीं करेगा बस दुनियावी रिश्तो में इतना ना खो जाना परमात्मा याद ही ना रहे,
परमात्मा को याद रखने वाला, उसकी इबादत पूजा करने वाला, सिमरन करने वाला, परमात्मा के बनाए जीवो से प्यार करने वाला, मदद करने वाला, दुनियावी जिंदगी के कष्टों को पार कर जाता है,
आओ दोस्तों परमात्मा से दोस्ती करें, परमात्मा से दोस्ती करें, परमात्मा ही हमारा सच्चा अच्छा दोस्त है, परमात्मा को याद करें हर वक्त हर समय, परमात्मा हमारे साथ है, परमात्मा हमारे साथ साथ चलता है, अंदर की आवाज सुने, उसी आवाज पर जिंदगी बसर करें फिर आपकी जिंदगी में कष्ट दुख कभी नहीं आएंगे, सब्र में जीने वाला इंसान को कभी कष्ट नहीं आते ,आते हैं तो सहन कर लेता है, आओ दोस्तों परमात्मा से दोस्ती करें, परमात्मा से दोस्ती करें
*``` *सरदार मंजीत सिंह* ```
*आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक*
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