गाजियाबाद : जो जिंदगी हमें मिली है उस जिंदगी से इंसान तभी न्याय कर सकता है जब हमारे अंदर इंसानियत होगी किसी दूसरे का दुख देख अगर हमारे अंदर कुछ दया जन्म लेती है तो समझा जा सकता है कि इंसानियत के कुछ अंश अभी जिंदा है,
आज के समय में चारों तरफ लूट मची है इसलिए ही हर इंसान दूसरे इंसान से आगे बढ़ने के लिए पाप गुनाह का सहारा ले रहा है, एक पागलपन छाया है, पता ही नहीं हम कहां भाग रहे हैं हमारी मंजिल का पता नहीं
हम उजाले में ही नहीं अंधेरे में भी भागे जा रहे हैं, ठोकर लगने का डर भी हमारी रफ्तार को कम नहीं कर पा रहा,हर इंसान जल्दी में उसे यह तो पता नहीं उसे जाना कहां है मगर भागे जा रहा है और भागदौड़ में झूठे तो हम बन ही गए, अब गुनाह भी करने लगे और उस किए जाने वाले गुनाह पर हमें शर्म भी नहीं आ रही, कभी हमने यह भी नहीं सोचा लोग हमें क्या कहेंगे या समाज क्या कहेगा क्योंकि चारों तरफ एक सा माहौल बन गया
इंसान स्वार्थ में जी रहा है, दोस्तों में भी स्वार्थ, रिश्तो में भी स्वार्थ, स्वार्थ मुख हो गया, बिना स्वार्थ के एक कदम नहीं उठता जैसे कदमों को भी पता है कब चलना है इंसान की इंसानियत कीमती चीज है जिनमें यह इंसानियत जिंदा है वह सुकून की जिंदगी जीते हैं साफ दिल वाले इंसान का परमात्मा भी मददगार होता है,
दोस्तों मजे की बात है गुनाह भी हम परमात्मा के नाम को बीच रख करने लगे जिस परमात्मा के नाम से भी हमें डरना चाहिए मगर हमने नया रास्ता निकाल लिया,
उसी का नाम लेकर हम गुनाह करने लगे, अब हमें सजा का डर भी नहीं रहा मरने के बाद *मनजीत*
दोस्तों आपके अच्छे के लिए लिख रहा हूं, हमें ब्रेक लगाने का प्रयास करना चाहिए उस परमात्मा वाहेगुरु खुदा ने जो जीवन दिया है यह अनमोल है, इसकी कोई कीमत नहीं और हम इस जीवन जिंदगी इंसानी जीवन का महत्व नहीं समझ रहे,
इंसानी जीवन सभी जूनों का प्रथम है, परमात्मा की राह चलो, जीवन को उसकी देन मान जिंदगी जीने वाला परमात्मा से खुशियां पाता है,
आओ वायदा करें दूसरे से धीरे-धीरे लोग जुड़ेंगे फिर एक नई राह की खोज कर उस पर चलने का प्रयास करने वाले परमात्मा के प्रिय बन जाएंगे
दोस्तों आपका अच्छा दोस्त *मनजीत* बोल रहा हूं
सत श्री अकाल नमस्कार आदाब
*सरदार मंजीत सिंह*
*आध्यात्मिक एवं सामाजिक* *विचारक*
*संयोजक सिख ऐड*
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