लोनी विधानसभा में लगभग 455000 मतदाता निवास करते हैं यहां पर 2022 विधानसभा चुनाव का प्रचार थम गया है सभी राजनीतिक दलों ने अपने अपनी तरफ से अपने जीत के दावे पेश किए हैं लेकिन यहां के समीकरण काफी अलग हटके हैं चौकी 2017 के चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर ने यह सीट जीतकर भाजपा के खाते में जोड़ी थी और अपने प्रतिद्वंदी मदन भैया को हराया था
वही इस सीट पर अब नजारा कुछ और है यहां अगर गौर करें मुस्लिम समुदाय के मतदाता काफी अधिक है लगभग डेढ़ लाख मतदाता यहां पर मतदान करेंगे वही गुर्जर समाज के 75000 मतदाता मतदान करेंगे वही ब्राह्मण समाज के मतदाता 55000 हैं दलित समुदाय के मतदाता 70000 हैं वैश्य मतदाता 18000 है पूर्वांचल मतदाता 38000 हैं क्या कि मतदाता 18000 है लगभग 23000 बल्मीकि समुदाय के लोग इस विधानसभा में निवास करते हैं यदि समीकरण देखें बसपा प्रत्याशी हाजी आखिर चुनाव मैदान में है और चुनाव में काफी जनता के बीच जाकर जनता को समझाया अपने तरफ जनता को मोड़ने का प्रयास किया
लेकिन मुस्लिम मतदाता कहीं ना कहीं हमसे छूट गए वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी यामीन मलिक है और उन्होंने भी काफी जोर-शोर से प्रचार किया लेकिन राजनैतिक तजुर्बा ना होने की वजह से उनको कहीं ना कहींजनता के बीच में जा कर कांग्रेश के प्रति वोट करने में जनता को समझाने के लिए उनके पास शब्दकोश नाकाफी था जिसकी वजह से वह जनता के ऊपर अपना प्रभाव ज़माने में असमर्थ रहे वहीं यदि बात की जाए राजनीति में मजे राजनीतिज्ञ माने जाने वालेआरएलडी सपा गठबंधन प्रत्याशी मदन भैया राजनीति के मजे में खिलाड़ी हैं उन्होंनेजनता के बीच में जाकर अपनी बातों को समझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और वह पिछले कई वर्षो से राजनीति में कहीं ना कहीं सक्रिय भूमिका में रहे हैं अब मदन भैयाके समीकरण कि हम बात करें तो मुस्लिम समुदाय उनकी तरफ काफी आकर्षित है वही दलित समुदाय के लोग भी मदन भैया से काफी प्रभावित हैं वही गुर्जर समुदाय के तो वह खुद ही हैं लेकिन गुर्जर समाज में उनका दबदबा काफी है और वह उन को समझाने में भी कामयाब रहे हैं यहां पर ब्राह्मण समाज के 55000 मतदाता निवास करते हैं अच्छी पकड़ नंदकिशोर गुर्जर की है और भाजपा पार्टी के होने के नातेइनको इस बात का फायदा मिलेगा और यह मते भाजपा की ओर इशारा करती नजर आ रहे हैं यदि समीकरण पर गौर करें मुस्लिम गुर्जर त्यागी दलित ही सीट को जीतने में सक्षम है यदि जनता ने आशीर्वाद गठबंधन प्रत्याशी को को दिया तो यह बदलाव निश्चित है निर्दलीय प्रत्याशी रंजीता धामा चेयरमैन भी चुनाव मैदान में है उनको तो जाट समुदाय का भी वोट नहीं मिल पाएगा क्योंकि इस बार समीकरण कुछ और हैं क्या समुदाय के लोग किसानी व्यवस्था से जुड़े हुए हैं जिसकी वजह से वह सत्ता में परिवर्तन करना चाहते हैंइस कारण वह अपना वोट व्यर्थ नहीं कर सकतेकुछ कालोनियों कावोट काटने में कामयाब रहेगी
0 टिप्पणियाँ