उनको टिकट देकर मुरादनगर सीट का दोबारा प्रत्याशी बनाया है अजीत पाल मानते हैं हमारे डबल इंजन की सरकार ने प्रदेश में चहुमुखी विकास किया है और इस विकास के दम पर हम चुनाव जीतने में कामयाब रहेंगे वही आरएलडी गठबंधन सपा प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार मुन्नी इस सीट के दूसरे बड़े दावेदार हैं इस सीट पर प्रत्याशी कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के रूप में विजेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा है लेकिन चुनाव में उतरने के बाद विजेंद्र यादव अपनी ही बिरादरी पर दबाव बनाने में नाकाम रहे हैं और उनको यादव बिरादरी की भी वोट सपोर्ट नहीं मिल पाएगी क्योंकि इस बार यादव बिरादरी अखिलेश यादव को सीएम के रूप में देखना चाहती है जिसके कारण अधिक से अधिक लोग यादव समुदाय के अखिलेश यादव को वोट करना पसंद कर रहे हैं
वही इस सीट पर यदि समीकरण देखें हाजी अयूब बसपा के प्रत्याशी हैं और यह सीट बसपा के खाते में भी गई है इस सीट पर दलित 45 हजार के लगभग वोटर है मुस्लिम समुदाय से होने के नाते मुस्लिम पुलिस दलित समीकरण बनाना चाहते हैं लेकिन यहां पर चुनावी दंगल में जो होने जा रहा है वह कुछ और ही है सुरेंद्र कुमार मुन्नी का समीकरण देखे तो 55 जाट और ब्राह्मण 40000 मुस्लिम 45,000 75000 ओबीसी लगभग चार लाख मतदाता इस सीट पर प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे सुरेंद्र कुमार मुन्नी की किस्मत इस बार चमक सकती है क्योंकि समीकरण जो बन के आ रहे हैं वह इस प्रकार हैसुरेंद्र कुमार मुन्नी को जाट समुदाय मुस्लिम समुदाय ब्राह्मण समुदाय यादव समुदाय और ओबीसी समुदाय के मतों को समझाने में कामयाब रहें क्योंकि मुरादनगर सीट का एक बहुत बड़ा हिस्सा देहात क्षेत्र से जुड़ा है जिससे बीजेपी शासन काल में उन लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा किसान परिवारों के लोगों को 13 महीने धरना प्रदर्शन कर तीन कृषि कानून को वापस कराने के लिए लंबा आंदोलन चलाना बड़ा इस बीच लगभग 7:30 सौ किसानों ने अपने प्राणों की आहुति दी इस कारण और समाज केलोग किसानों के साथ सहानुभूति रखते हैं लिहाजा इस चुनाव में जीत के समीकरण सुरेंद्र कुमार मुन्नी की ओर इशारा कर रहे हैं यदि यदि जनता का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हुआ तो इस बार मुरादनगर विधानसभा सुरेंद्र कुमार मुन्नी विधायक बन सकते हैं
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