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भारत के वरिष्ठ साहित्यकार ने मनवाया अपना लोहा नेपाल के काठमांडू में सार्क ब्रिलिएंस अवार्ड से हुए सम्मानित

Ghaziabad : वरिष्ठ साहित्यकार राज किशोर मिश्रा ने फिर एक बार अपना लोहा मनवाया है l नेपाल की राजधानी काठमांडू में साउथ एशियन रीजनल कंट्रीज ब्रिलिएंस अवार्ड और कल्चर सबमिट 2022 मे सार्क देशों यानी,
 अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, मालदीव नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका से 100 व्यक्तिगत को ब्रिलिएंस अवार्ड से सम्मानित किया गया इसमें भारत के भी कई लोगों को सम्मानित किया गया जिनमें बिहार के बेनीपट्टी स्थित अरेर डीह में जन्मे राज किशोर मिश्रा को भी सम्मानित किया गया l इस सम्मान को नेपाल के उप प्रधानमंत्री सुजाता कोइराला एवं पर्यटन मंत्री इंद्रदेव बहादुर थापा एवं आयुष मंत्रालय के डॉ दिनेश उपाध्याय के द्वारा प्रदान किया गया l सम्मानित होने के बाद साहित्यकार राज किशोर मिश्रा ने बताया कि अब वह पूर्ण रुप से साहित्य को ही समर्पित रहेंगे l राज किशोर मिश्रा का जन्म 27 जनवरी 1960 में बिहार के बेनीपट्टी स्थित अरेर डीह मे हुआ था l कक्षा 10वीं 11वीं से ही उनका साहित्य के प्रति झुकाव शुरू हो गया हालांकि परिवार में साहित्य का कोई विशेष माहौल नहीं था l राज किशोर मिश्रा शुरू से ही पढ़ाई में भी अव्वल रहे हैं I बिहार बोर्ड में उनकी 10 वीं पोजीशन आई थी I ये उस वक्त की बात है जब बिहार और झारखंड एक हुआ करते थे I इसके बाद संचार मंत्रालय के अंतर्गत डॉट और बीएसएनएल में लगभग 34 वर्ष अपनी सेवा भी दे चुके हैं I राज किशोर मिश्रा खुद को आज तक साहित्य का एक छात्र समझते हैं I उनके द्वारा हिंदी और मैथिली दोनों ही भाषाओं में किताबें लिखी गई है I उनको ज्यादातर पुराने पीढ़ी के साहित्यकार प्रभावित करते हैं I इस बारे में राज कहते हैं की 'पुराने साहित्यकारों के सोचने का तरीका काफी अलग हुआ करता था जो कि मुझे लिखने के लिए प्रेरित करता है' I राज अब तक कुल 11 पुस्तकें लिख चुके हैं I वह बताते हैं की 'नौकरी करने वक्त साहित्य को मैं उतना समय नहीं दे पाता था लेकिन अब मैं साहित्य को पूर्ण रूप से समर्पित रहूंगा' I साहित्य को वह एक स्वभाव का विषय बताते हैं इसके साथ ही काव्य रचना में उनकी शुरू से ही रुचि रही है I राज खासतौर पर गंभीर साहित्य लिखते हैं I जिनमें ऊर्जा वर्णन प्रदूषण और जल संकट यह तीन ऐसी किताबें है जिन्हे पाठकों से काफी प्रशंसा मिली I राज किशोर मिश्रा को अपनी किताबों के लिए एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड भी मिल चुका है I राज किशोर मिश्रा से जब पूछा गया कि पहले के साहित्य और अब के साहित्य में क्या अंतर है तो उन्होंने यह बताया की पहले के साहित्य और अभी के साहित्य में काफी अंतर आ चुका है अब लोग छंद के साथ लिखना पसंद नहीं करते बल्कि मुझे छंद के साथ लिखना पसंद है इसके अलावा लोगों को आजकल हास्य साहित्य ज्यादा पसंद आता है गंभीर साहित्य में रुचि कम होती जा रही है जबकि गंभीर साहित्य ही समाज के उन मुद्दों को उठाते हैं जो कि आमजन के लिए भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है I साहित्य हमेशा से ही अपने वर्तमान समय का प्रतिनिधित्व करता है I कहीं ना कहीं बढ़ते तकनीकी दौर के साथ साहित्य की तरह लोगों का झुकाव कम हुआ है जिस को दोबारा से जगाने की जरूरत है I राज किशोर मिश्रा को अलग-अलग मंचों से काफी बार सम्मानित किया गया है और अब सार्क ब्रिलिएंस अवार्ड से सम्मानित होने के बाद जिले वासियों का भी हौसला काफी बढ़ गया है I उम्मीद है राजकिशोर आने वाले समय में भी अपने साहित्य से समाज की उन सारी दबे हुए आवाजों को उठाते रहेंगे I

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