Ghaziabad : भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री विलक्षण प्रतिभावान, भारत रत्न, स्वतंत्रता सेनानी, आधुनिक भारत के निर्माता पं0 जवाहर लाल नेहरू जितने बेजोड़ राजनीतिज्ञ रहे है उतने मूर्धन्य लेखक भी रहे है, उन्हें विश्व इतिहास का ज्ञान विदेशों में शिक्षा ग्रहण करने के समय में ही हो गया था| विश्व के महान लेखक विद्वान और महापुरुषों के बारे में भी उन्होंने उसी समय अध्ययन कर लिया था| आपका जन्म 14 नवम्बर 1889 में इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में एक धनाड्य परिवार में हुआ था, उनके पिता मोती लाल नेहरू स्वतंत्रता सेनानी व उच्चकोटि के वैरिस्टर तथा माता स्वरुपा रानी धार्मिक प्रवृति की महिला थी, उनका लालन-पालन बिना किसी प्रकार की कमी के बहुत ही अच्छी तरह हुआ| पिता प्रतिभाशाली वकील और माता धार्मिक प्रवृति होने के कारण पं0 जवाहर लाल नेहरू पर उनका गहरा प्रभाव पड़ना स्वाभाविक था| पं0 जवाहर लाल नेहरू का नाम शांति और अहिंसा के अग्रदूत विश्व के महान व्यक्तियों के साथ लिया जाता है| स्वतंत्रता आन्दोलन में लगभग 10 साल आप जेल में अपार कष्ट झेला, लेकिन आज कई वर्षों से इस महान भारत के शिल्पकार नेता के बारे में जो उनके बारे में एक भी किताब नहीं पढ़े है|
या जानबूझकर उनके विरुद्ध चरित्र हनन से लेकर सभी समस्याओं का जिम्मेदार पं0 जवाहर लाल नेहरू को ठहराते हुए रात-दिन उन पर प्रहार करने में लगे हुए है| जबकि उनका भारत की आजादी व देश के नवनिर्माण में योगदान नगण्य है| इस विचार धारा के लोग सदियों से झूठे दुष्प्रचार में लगे रहते है, इनका विरोध करें, सच्चाई को जानने की कोशिश करें, इसलिए उनकी पुण्यतिथि 27 मई को मै लिखना आवश्यक समझ देश के लोगों को अवगत करना चाहता हूँ कि हम अपने महापुरुषों के उदात्त गुणों को जाने, समझे और देश में उनके विचार को जन-मानस में प्रचारित और प्रसारित करने का काम करें, तभी समाज में शांति, सद्भाव, प्रेम और भाईचारा बढेगा, नफ़रत और असहिष्णुता के वातावरण से तथा जो समाज में जहर घोला जा रहा है उससे मुक्ति मिलेगी|
पं0 जवाहर लाल नेहरू की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई, उसके बाद 15 वर्ष की अवस्था में आप इंग्लैण्ड उच्च शिक्षा प्राप्त करने चले गये, वहां आपने कानून और विज्ञानं का अध्ययन किया, इंग्लैण्ड के कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय से बी0ए0 और वैरिस्टरी की परीक्षा उत्तीर्ण कर स्वदेश लौट आये, विदेश में अध्ययन के समय ही आपको दूसरे देशों में चल रहे स्वाधीनता आंदोलनों, भारत की परतंत्रता के बारे में जानकारी हो गयी थी तथा अंग्रेजी सत्ता को किस तरह उखाड़ा जाय, राजनीतिक समझ हो गयी थी| विदेश से लौटकर आपने इलाहाबाद में वकालत शुरू कर दी| 1916 में आपका विवाह श्रीमती कमला नेहरू से हो गया| महात्मा गाँधी के अफ्रीका से स्वदेश लौटने पर 1919 में उनके संपर्क में आये| वे गाँधी जी के सत्य, अहिंसा, शांति, सत्याग्रह से पहले ही अवगत थे तथा प्रभावित भी थे| 1919 में ही भारतीयों द्वारा शांतिपूर्ण सभा पंजाब के जलियाँ वाले बाग में भारत की आजादी के लिए बुलाई गयी थी सभा चल रही थी कि जनरल डायर ने गोली चलवा दिया, सैकड़ों निर्दोष लोग बेरहमी से मौत के घाट उतार दिये गये| महात्मा गाँधी के आह्वान पर 1920-21 में असहयोग आन्दोलन का देश में बिगुल बाज गया| पं0 जवाहर लाल नेहरू वकालत छोड़ अपना सर्वस्व धन-दौलत देश को अर्पण कर राजनीति में पूर्णरूप से भाग ले महात्मा गाँधी के सहयोगी बने| 1921 में प्रिंस ऑफ़ वेल्स के आने पर उसका वहिष्कार किया, आपको गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया| आपने विदेशी वस्तुओं का वहिष्कार किया, खादी का कुर्ता-धोती पहनकर शहरों में ही नहीं गावों में जाकर स्वतंत्रता का बिगुल बजा दिया| 1924 में आप इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष भी रहे| 1929 में पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने कांग्रेस के अध्यक्षीय भाषण में पंजाब के रावी नदी के तट पर घोषणा की कि “हम पूर्ण रूप से स्वाधीन होकर रहेंगें” विशाल सभा में तिरंगा झन्डा फहरा दिया| पं0 जवाहर लाल नेहरू ने कहा है कि “आजादी, गुलामी, सच और झूठ में कोई समझौता नहीं हो सकता, हम यह जानते है कि यातना सहकर, खून बहाकर ही आजादी हासिल होगी, देश की आजादी के महान संघर्ष में सेवा करना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी ख़ुशी है, मै प्रार्थना करता हूँ कि हमारे देश के लोग बिना थके
संघर्ष जारी रखेंगें तब तक जब तक हम आजाद नहीं हो जाते|
पं0 जवाहर लाल नेहरू ने 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गये नमक कानून के विरोध में सत्याग्रह में भाग लिया, पूर्ण योगदान दिया, सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भी वह गाँधी जी के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर संघर्ष करते रहे| 1942 में महात्मा गाँधी द्वारा “अंग्रेजों भारत छोडो” मुम्बई अधिवेशन में कांग्रेस ने प्रस्ताव पारित किया, उसी दिन पं0 जवाहर लाल नेहरू सहित सारे महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेता को ब्रिटिश हुकूमत ने गिरफ्तार कर लिया, जवाहर लाल नेहरू की सक्रियता से अग्रेजी शासन हिल गया, उन्हें जेल में कड़ी यातना झेलनी पड़ी लेकिन वह तनिक भी विचलित नहीं हुए, द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश शासन की चूलें हिल गयी थी, 1945 में पं0 जवाहर लाल नेहरू जेल से रिहा हुए| अंग्रेज समझ गया था कि भारत को अब अधिक दिन तक गुलाम बनाया नहीं जा सकता क्योकि इस आन्दोलन में एक लाख से अधिक लोगों ने गिरफ़्तारी दी थी और महिलाऐं भी पीछे नहीं थीं| 15 अगस्त 1947 को महात्मा गाँधी के नेतृत्व में देश स्वतंत्र हुआ, पं0 जवाहर लाल नेहरू को गाँधी जी की इच्छा से प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया| बहुमुखी प्रतिभा से आपने देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगीकरण, पर्यटन, विज्ञानं, कृषि क्षेत्र में भारत ने अभूतपूर्व तरक्की की, इसीलिए आपको आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है| “लोकतान्त्रिक परम्पराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायीभाव प्रदान करना पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ और सुचारू करना उनका उद्देश्य रहा”| 1954 में आपने चीन के साथ पंचशील पर समझौता किया, इसका उद्देश्य चीन सहित अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण सह अस्तित्व पारस्परिक सम्बन्ध बनाना था, पंचशील का मतलब है मानवतावाद. सामाजिक न्याय, स्वाधीनता, राष्ट्रवाद और किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता, लेकिन 1962 में चीन ने धोखा दिया और पंचशील सिद्धान्त का उलंघन कर युद्ध छेड़ दिया, भारत को जन-धन की हानि हुई, इस घटना से पण्डित जवाहर लाल नेहरू बहुत ही आहत हुए कि हमारे देश के साथ धोखा हुआ, वह 27 मई 1964 को देश को नई ऊंचाई दे, इस संसार को छोड़कर चले गये|
वे राजनीतिज्ञ ही नहीं उद्भट विद्वान, बेजोड़ लेखक भी थे, उन्होंने समाजवाद, उदारवाद और लोकतंत्र को मजबूत बनाने, विविधता में एकता स्थापित करने का कार्य किया, उस समय के समाजवादी नेता लोक नायक जय प्रकाश नारायण, डा0 राम मनोहर लोहिया कुछ वैचारिक मतभेदों के बाद भी अपना पण्डित जवाहर लाल नेहरू को आदर्श मानते थे| उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में अध्ययन और लेखन नहीं छोड़ा, वे विश्व इतिहास के ज्ञाता, उद्भट विद्वान, मूर्धन्य रचनाकार रहे, उनकी पुस्तक पिता के पत्र पुत्री के नाम, विश्व इतिहास की झलक, मेरी कहानी, भारत की खोज, इतिहास के महापुरुष, राष्ट्र-पिता, जवाहर लाल नेहरू वांग्मय आज भी महान कृतियाँ समाज और देश को दिशा दे रही है| उनका देश वासियों के लिए सन्देश “शांति के बिना सारे सपने गायब हो जाते है और राख में मिल जाते है| एक पूंजीवादी समाज की शक्तियों को अगर अनियंत्रित छोड़ दिया जाय तो वह अमीर को और अमीर, और गरीब को और गरीब बना देती है”| आज पण्डित जवाहर लाल नेहरू की नीति और सिद्धान्त के विरुद्ध कार्य देश में चल रहा है, अमीरों के कर्जे माफ़ हो रहे, देश की सम्पदा को औने-पौने दामों पर चन्द पूंजीपतियों को बेचा जा रहा है, 90 करोड़ पर न दो जून की रोटी है न उनके बच्चों की शिक्षा और चिकित्सा की कोई व्यवस्था| देश, समाज नफरत, भय और असहिष्णुता के वातावरण में जी रहा है, आज भारत एकता के सूत्र और विकास के पथ पर तभी आगे बढेगा जब हम पण्डित नेहरू के बताए मार्ग पर चलेंगें| शत-शत नमन वन्दन करते हुए उन महानुभावों से अनुरोध करते है कि आजादी के 75 वर्ष होने को है दशकों से नेहरू के खिलाफ झूठ फैला रहे है, उसे बन्द करें| आलोचना करें, लोकतंत्र में आपको अधिकार है, लेकिन तथ्यों पर आधारित सारगर्भित होनी चाहिए|
लेखक:
राम दुलार यादव शिक्षाविद
संस्थापक/अध्यक्ष
लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट
मो0 9810311255
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