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56 वर्षों बाद प्रकाशित हुई बागपत की नीरा आर्य नागिन की आत्मकथा

खेकड़ा वासियों ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार विपुल जैन को भेंट की नीरा आर्य नागिन की आत्मकथा, प्रमुख सामाजिक कार्यकर्त्ताओं में शुमार विपुल जैन ने कहा नीरा आर्य नागिन जैसी शख्सियत सदियों में कभी कभार जन्म लेती है 


 
जनपद बागपत को गौरवान्वित करने वाली देश की सबसे महान महिलाओं में शुमार नीरा आर्य नागिन की आत्मकथा को आपातकाल के दौरान प्रतिबन्धित किये जाने के लगभग 56 वर्षो के बाद आर्यखंड़ टेलीविजन प्राईवेट लिमिटेड़ शाहदरा दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है। 208 पृष्ठों की यह आत्मकथा स्वतंत्रता आंदोलन का एक जीवंत अध्याय है। 05 मार्च 1902 को जनपद बागपत के खेकड़ा में जन्मी आजाद हिन्द फौज में रानी झांसी रेजिमेंट की सिपाही नीरा आर्य नागिन की आत्मकथा के प्रकाशित होने पर खेकड़ा सहित समस्त जनपदवासियों में खुशी का माहौल है। खेकड़ावासियों ने नीरा आर्य नागिन की आत्मकथा को जन-जन तक पहुॅंचाने के लिए कमर कस ली है। इसी क्रम में आज प्रमुख सामाजिक कार्यकर्त्ता और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार विपुल जैन को नीरा आर्य नागिन की आत्मकथा भेंट की गयी। विपुल जैन ने कहा कि नीरा आर्य नागिन जैसी शख्सियत सदियों में कभी कभार ही जन्म लेती है। कहा कि नीरा आर्य नागिन देशभक्ति से ओत-प्रोत एक ऐसी शानदार शख्सियत थी, जिनको शब्दों में बयां करना मेरे लिए सूरज को दीपक दिखाने जैसा है। विपुल जैन ने सभी देशवासियों से नीरा आर्य नागिन की आत्मकथा को पढ़ने और उनके शानदार व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर उनका जीवन में अनुसरण करने को कहा। उन्होंने नीरा आर्य नागिन की दुर्लभ चित्रों सहित प्रकाशित आत्मकथा को पुनः देश के सामने लाने और खेकड़ा में बनाये जा रहे नीरा आर्य नागिन संग्रहालय के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रमुख समाजसेवी एवं साहित्यकार तेजपाल सिंह धामा खेकड़ा वालों की प्रशंसा की। इस अवसर पर भारतीय जैन मिलन खेकड़ा के अध्यक्ष मनोज जैन, युवा भाजपा नेता सन्नी गुप्ता, खेकड़ा के प्रमुख समाजसेवी रामकुमार धामा आदि उपस्थित थे।

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