72 घण्टे बाद बेटे को ही पिता का हत्यारा बताकर पुलिस ने भेजा जेल, पुलिस की स्क्रिप्ट में झोल ही झोल, जिनको संपत्ति मिली उन पर ही पुलिस मेहरबान, एक महिला से मृतक के अनैतिक सम्बन्धो और प्रॉपर्टी से किसे है लाभ इस पर क्यों नही हुई जांच ( सोशल मीडिया )
फतेहपुर : पुलिस का नाम सुनते ही सुरक्षा की भावना आनी चाहिए लेकिन खाकी की कारगुजारियों की वजह से पुलिस का नाम सुनते ही आम आदमी डर सा जाता है, खागा में एक बेटे को 72 घण्टे तक पुलिस द्वारा कैद में रखकर जेल भेजना उन्ही शर्मनाक घटनाओ में से एक है। बड़ी घटनाओं के खुलासे में नाकाम पुलिस ने उस बेटे पर जोर आजमाइश की जो स्वयं अपने पिता के लिए इंसाफ मांगने के लिए थाने गया था।*
*बता दें कि 7 मई को गायब हुए टेनी गांव के उमाशंकर का शव 9 मई को खागा कोतवाली क्षेत्र के संग्रामपुर में मंदिर के समीप एक प्लाट में मिला था। उनकी निर्मम हत्या की गई थी। 9 मई को शव मिलने के बाद बेटी शिवानी को शिनाख्त के लिए पुलिस ने थाने बुलाया था जहां उसे ही पुलिस ने थाने मैं बैठा लिया। बहन को बैठाने की जानकारी मिलने पर बेटा उदय फ़तेहपुर से खागा थाने गया था, जहां उसने बहन को बैठाने की वजह पूछी और बहन को छोड़ने के लिए कहा तब पुलिस ने बहन शिवानी को महिला थाने भेज दिया जबकि उदय को ही खुन्नस में आकर गिरफ्त में ले लिया। 9 मई से 12 मई तक पुलिस ने उस बेटे को गिरफ्त में रखा जिसके पिता की हत्या हुई थी। अंत में 12 मई को पुलिस ने बेटे को ही हत्यारोपी बनाकर लगभग 72 घण्टे बाद जेल भेज दिया। पुलिस की मनगढ़ंत स्क्रिप्ट में दिखाया गया है कि उदय मां को पिता द्वारा प्रताणित किये जाने से आक्रोशित था तथा उदय के पिता उमाशंकर ने अपनी जमीन एकलौते बेटे को न देकर 2018 में परिवारीजनों के नाम कर दिया गया था। तभी से ही वह पिता की हत्या की साजिश रच रहा था। जमीन न मिलने पर उसने पिता की हत्या 7 मई को कर दी। पुलिस ने एक 2018 की मृतक पिता उमाशंकर की वसीयत का जिक्र प्रेस नोट में करके बताया कि उसमे लिखा है कि उनको बेटे से जान का खतरा है पुलिस ने यह भी बताया कि बहन शिवानी से एक बार उदय ने पिता को जहर देेने की बात कही थी जिसके लिए शिवानी ने इंकार कर दिया था। पुलिस ने बताया इन्ही सब वजहों की वजह से 7 मई को उदय ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर पिता की हत्या कर दी।*
*- कौन है उदय जिसे पुलिस ने भेजा फर्जी जेल*
*उदय शुक्ला का मूल गांव खागा कोतवाली क्षेत्र का टेनी है, जिसके पिता मृतक उमाशंकर हैं जिनकी हत्या हुई है मगर वह जब दो माह का था तब उसके नाना जो सेना में थे उसे लेकर चले गए। नानी ने उसकी परवरिश की। वजह उनकी मां की तबियत खराब रहती थी, पिता उमाशंकर नशेड़ी प्रवृत्ति के थे। मतलब बेटे उदय को उनके मां बाप ने नही, नाना नानी ने पाला। आज भी वह अपनी नाना नानी का बेटा है। नाना ने उसके नाम करोड़ो की कीमत का घर, प्लाट व कई वाहन कर रखे हैं उसकी जिंदगी में कोई कमी नही है। वर्षों हो जाते हैं वह गांव जाता ही नही है। उस दिन नाना के डांटने पर कि तुम्हारे पिता जी गायब हैं बहन को पुलिस बैठाले है चले जाओ तब वह थाने गया, नही तो वह अपने गांव, गांव की राजनीति से ख़ासा दूर था। उसे तो दूर दूर से अंदेशा नही था कि उसके पिता की हत्या हुई है और वह न्याय के लिए पुलिस की चौखट में जा रहा है जहां पुलिस उसे ही कैद कर लेगी। अब आप ही सोचिए जिस पुलिस के पास लोग इस उम्मीद से जाते हैं कि पुलिस उसकी सुरक्षा करेगी, उसे न्याय दिलाएगी। तो ये है न्याय पुलिस का, एक बेटे के साथ ऐसी अराजकता जिसे सुनकर ही सिस्टम को कोसने का मन करता है।*
*- पुलिस की स्क्रिप्ट की बेटी शिवानी ने खोली पोल*
*बेटी शिवानी ने दैनिक भास्कर संवाददाता को बातचीत के दौरान रो रोकर बताया कि उससे भैय्या उदय ने पिता को जहर देने की बात कभी नही कही थी पुलिस ने यह कहानी हत्यारोपियों को बचाने के लिए रची है। उसने बताया कि पिता ने पूरी संपत्ति परिवार के लोगो के नाम कर दी है। यह सोची समझी साजिश है अन्यथा वसीहत में कौन लिखता है कि बेटे से खतरा है। पिता को बहला कर पारिवारिक महिला द्वारा यह कराया गया था बाद में उन्ही लोगो ने शायद हत्या करके भाई को फंसा दिया है।*
*- अन्य बिंदुओं पर पुलिस के झोल ही झोल*
*पुलिस ने 72 घण्टे उदय को थाने में बंधक बनाये रखने के बाद जेल भेजा, पुलिस ने दिखाया कि उदय ने अपने सहयोगियों के साथ पिता की हत्या की। पुलिस ने 72 घण्टे तक खागा कोतवाली में उदय के साथ अमानवीयता की लेकिन एक भी सहयोगी का नाम नही बता पाई। न ही खागा पुलिस आला कत्ल में किसकी उंगलियों के निशान हैं वही जानकारी दे पाई। वहीं मृतक उमाशंकर के शव से कई किलोमीटर की दूरी पर उनकी बाइक मिली थी निश्चित है एक से अधिक लोग रहे होंगे जिन्होंने घटना को अंजाम दिया, पुलिस यह भी बताने को तैयार नही है कि अकेले उदय कैसे पिता को कई किलोमीटर तक ले गया और किसी ने देखा भी नहीं। पुलिस की कहानी के अनुसार जब पिता को पता था कि बेटे से जान का खतरा है तो यह निश्चित है कि वह बुलाने पर तो जाएंगे नही फिर उनका अपहरण 7 मई को कैसे और कहां से हुआ फिर 8 को उनको कहां रखा गया, क्योकि 9 मई को जहां शव मिला है वहां चहल पहल रहती है अगर 7 को हत्या हो जाती तो 8 मई को शव किसी न किसी को नजर जरूर आता मगर शव 9 को लोगो को दिखाई दिया ऐसे में घटना के पीछे बड़े षड्यंत्र की बू नजर आ रही है और इस पहेली को सुलझाने के बजाय पुलिस ने बेटे को ही हत्यारोपी बनाकर जेल भेज दिया। पुलिस ने यह भी बताया कि उदय की लोकेशन 7 व 8 को खागा में थी तो उदय ने स्वयं बताया कि पुलिस ने उससे इस बाबत कोई पूछताछ नही की, जबकि उसने पुलिस को स्वयं कई बार बताया कि उसका डंपर जो गिट्टी उतारने खागा में नौबस्ता रोड, चौकी चौराहा गया था जहां भैय्यालाल के यहां डंपर पलट गया जिसको बनवाने के लिए वह दो तीन दिन खागा दौड़ता रहा जिसके बाद 9 मई को क्रेन से डंपर को कानपुर भिजवाया जिसके खागा में दर्जनों लोग गवाह हैं मगर पुलिस ने पारिवारिक महिला जिससे पिता के अनैतिक सम्बन्ध थे जिसको पिता ने पूरी संपत्ति दे दी है उन्ही के परिजनों की मिलीभगत से पिता की हत्या का झूठा आरोप लगाकर मेरा ही चालान कर दिया है।
0 टिप्पणियाँ