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देश को सहकारिता आंदोलन की जरूरत, पारदर्शिता से ही छोटे किसानों का भरोसा बढ़ेगा: राहुल प्रधान

Ghaziabad : भारत सरकार देश में सहकारिता (Co-operation ) को बढ़ावा देने की योजना बना रही है. जिसकी तैयारियां भारत सरकार ने शुरू कर दी हैं. इसी कड़ी में मंगलवार 12 अप्रैल से दिल्ली में सहकारिता नीति (Co-operation Policy) पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन शुरू हो गया है. दो दिवसीय इस सम्मेलन का मुख्य मकसद देश में सहकारिता के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करना है. 
जिसके लिए देशभर से सहकारिता के दिग्गज समेत राज्य सरकार के प्रतिभागियों ने सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं. भाजपा (किसान मोर्चा) पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य:राहुल प्रधान ने इस दौरान उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज की चुनौतियों के लिए सहकारिता और सहकारिता आंदोलन को तैयार करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि हमें पारदर्शिता लानी पड़ेगी, तभी जाकर छोटे से छोटे किसान का भरोसा हम पर बढ़ेगा।
सहकारिता नीति पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाजपा (किसान मोर्चा) पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य: राहुल प्रधान ने देश के विकास में सहकारिता के योगदान को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि देश के विकास में सहकारिता का बहुत योगदान है. जिसके तहत एग्रीकल्चर फाइनेंस में सहकारिता का योगदान 25 फीसदी है. इसी तरह उर्वरक वितरण में 35 फीसदी, खाद उत्पादन 25 फीसदी, चीनी उत्पादन 3 फीसदी, दूध की खरीद व उत्पादन 25 फीसदी, गेहूं की खरीद में 30 फीसदी, धान की खरीद में 20 फीसदी और मछली उत्पादन में 21 फीसदी योगदान सहकारिता का है।
गृह व सहाकारिता मंत्री अमित शाह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश में आज 8 लाख 55 सहकारिता संस्था अच्छी चल रही हैं. वहीं 1 लाख 77 हजार क्रेडिट सोसायटी चल रही हैं. जबकि अन्य 7 लाख सहकारी समितियां हैं. उन्होंने कहा कि देश में राष्ट्रीय स्तर के 17 सहकारी संघ हैं. जबकि 33 ट्रेड सहकारी बैंक हैं. उन्होंने कहा कि देश की 12 करोड़ से ज्यादा लोगों सहकारिता से जुड़े हुए हैं. वहीं देश के 51 फीसदी गांव में सहकारिता संस्थाओं की मौजूदगी है. श्री प्रधान ने कहा कि सहकारिता की नई नीति का प्रारूप दो दिनों में सभी भाषाओं में सहकारिता की वेबसाइट पर होगा, जिसमें सभी लोग अपने सुझाव दे सकेंगे।
श्री प्रधान ने सहकारिता पर राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि नई सहकारिता नीति पर विचार मंथन के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया है.उन्होंने कहा कि सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय की गठन की मांग पुरानी थी. इस कड़ी में 6 जुलाई 2021 का दिन विशेष था, इसी दिन भारत में पहली बार सहकारिता मंत्रालय बना. उन्होंने कहा कि कानून के नजरिये से देखे तो 1904-05 से देश में सहकारिता शुरू हुई. इन 100 साल के इतिहास में सहकारिता का बड़ा योगदान रहा है. आजादी के आंदोलन के दौरान कुछ जगह तो सहकारिता ने अंग्रेज सरकार के खिलाफ एक आर्थिक मॉडल खड़ा करने का प्रयास भी किया.

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