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आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों और गर्भवती की सेहत का परीक्षण करने के लिए मिले आधुनिक उपकरण

 गाजियाबाद: हर आंगनबाड़ी केंद्र पर होगी कुपोषण की जांच, जनपद के सभी 1373 केंद्रों को मिले आधुनिक उपकरण, यूनिसेफ की ओर से सुपरवाइजर को दिया गया प्रशिक्षण, सुपरवाइजर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को करेंगी प्रशिक्षित, पोषण मिशन की ओर से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और साहिकाओं को मिलेंगी दो-दो साड़ी, आंगनबाड़ी केंद्रों को बच्चों और गर्भवती की सेहत का परीक्षण करने के लिए आधुनिक उपकरण मिले हैं।
 जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने जानकारी देते हुए बताया है कि बच्चों की सेहत की नियमित निगरानी और कुपोषण की जांच के लिए जनपद के सभी 1373 आंगनबाड़ी केंद्रों पर चार-चार नए उपकरण पह‌ुंच गए हैं। इन उपकरणों की सहायता से कुपोषित बच्चों और गर्भवती की सेहत की जांच आसानी से हो सकेगी। इतना ही नहीं यह जांच पहले के मुकाबले ज्यादा सटीक भी होगी। इस क्रम में आज जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय में नए उपकरणों के उपयोग के लिए सुपरवाइजरों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण देने के लिए बांदा से यूनिसेफ के डिस्ट्रिक्ट कोर्डिनेटर देवेंद्र और ईश्वर उपस्थित रहे, जिन्होंने यूनिसेफ की मेरठ मंडल कोर्डिनेटर गरिमा सिंह की देखरेख में प्रशिक्षण दिया। सुपरवाइजर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करेंगी। डीपीओ शशि वार्ष्णेय ने बताया कि कुपोषण से बचाव के लिए तीन साल तक के सभी बच्चों की हर माह लंबाई और वजन की निगरानी जरूरी है। अतिकुपोषित बच्चे की लंबाई और वजन की निगरानी हर 15 दिन में जरूरी है। अब तक लंबाई और वजन मापने के लिए जो उपकरण प्रयोग किए जाते थे वह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से प्रमाणित नहीं थे। यूनिसेफ की मंडल कोर्डिनेटर गरिमा सिंह ने बताया कि कुपोषित बच्चों को अब तक केवल तीन श्रेणियों में रखा जाता था, वेस्टिंग (दुबलापन), स्टंटिंग (नाटापन) और अंडरवेट यानि अल्प वजन। अब तीनों श्रेणियों के बच्चों को लाल और पीली श्रेणी में विभाजित किया जाएगा। लाल श्रेणी का अभिप्रायः अति कुपोषित और पीली श्रेणी का अभिप्रायः कुपोषित बच्चे हैं। गरिमा सिंह ने बताया कि दो साल तक बच्चों की लंबाई मापने के लिए सभी केंद्रों पर इंफेंटोमीटर, दो साल से अधिक आयु के बच्चों की ऊंचाई मापने के लिए स्टेडियोमीटर उपलब्ध कराए गए हैं। इंफेंटोमीटर से बच्चे को लिटाकर लंबाई मापी जाती है जबकि स्टेडियोमीटर से बच्चे को खड़ा करके ऊंचाई मापी जाती है। इसी प्रकार छोटे बच्चों का वजन मापने के लिए शेल्टर वेइंग मशीन मिली है, जबकि गर्भवती और किशोरी का वजन मापने के लिए डिजिटल वेइंग मशीन मिली है। अब तक केवल उम्र के मुताबिक वजन को आधार मानकर बच्चों की सेहत की निगरानी की जाती थी, लेकिन अब वजन, लंबाई, ऊंचाई और उम्र देखते हुए सेहत की निगरानी की जाएगी। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सभी केंद्रों पर कुपोषण की जांच हो सकेगी और समय रहते प्रबंधन भी किया जा सकेगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी शशि वार्ष्णेय ने बताया कि पोषण मिशन की ओर से जनपद में सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और साहिकाओं को दो-दो साड़ी मिलेंगी। डीपीओ ने कहा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाइजर यही साड़ी पहनकर फील्ड में जाएं ताकि उनकी दूर से ही पहचान हो सके और आमजन उनको पहचानकर उनके द्वारा चाही जाने वाली सही जानकारी दे सके और जरूरत पड़ने पर खुद भी संपर्क कर सके। 

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