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प्रशांत कुमार के DGP बनने से आ गई होगी कई गाजियाबादियों के चेहरे पर रौनक

Ghaziabad : आप सोच रहे होंगे कि adg low and order से dgp बने प्रशांत कुमार के प्रमोशन से गाजियाबादियो का क्या वास्ता ? बात 2001 की है। गाजियाबाद में अपहरण उद्योग चरम पर था। ये कहा जाए कि गाज़ियाबाद की पहचान ही नहीं बल्कि पूरे पश्चिम उत्तर प्रदेश को ही गन्ने के उत्पादन या चीनी मिलों की वजह से नहीं बल्कि आर्थिक अपराध की वजह से पहचाना जाता था। 
उस वक्त गाजियाबाद ssp के पद की कमान मिली प्रशांत कुमार को। ताबड़तोड़ एनकाउंटर होने शुरू हुए। इनमें अधिकांश पुलिस को अपने तरीकों से मैनेज करने पड़े। वो वक्त था मेरी भी सर्वोच्च उपलब्धियों वाला। पुराने लोग जानते हैं कि ips वी के सिंह का अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा एनकाउटर्स का रिकॉर्ड प्रशांत कुमार ने ही तोड़ा। जो आज तक उनके ही नाम है। लेकिन उनके कार्यकाल में हुए एनकाउंटर में सबसे ज्यादा झोल निकलने का रिकॉर्ड मेरे नाम। दो चार को छोड़ दूं तो हर एनकाउंटर पर निष्पक्ष पत्रकारिता करते हुए सवाल दागे। वो ही दौर था जब dp yadav जैसे बाहुबली के बेटे विकास और विशाल ने जहाजरानी मंत्रालय के वरिष्ठ आईएएस अफसर के बेटे नीतीश कटारा को डायमंड पैलेस से अगवा कर मार डाला। लाश बुलंदशहर की नहर से बरामद हुई। उस मामले में प्रशांत कुमार सहित तत्कालीन कविनगर so अनिल समानिया की भूमिका पर सवाल उठे। शहर कप्तान रहे अशोक राघव को dig अरुण कुमार ने विशेषाधिकार देते हुए निर्देश जारी किए कि बगैर अशोक राघव की अनुमति जांच अफसर समानियां कोई पर्चा केस डायरी का नहीं भरेंगे। इस सख्ती का ही नतीजा है कि आज dp ka बेटा भांजा सजा काट रहे हैं। उस वक्त दागदार हुई प्रशांत कुमार की छवि गाजियाबियों की निगाह में साफ हुई या नहीं ये तो नहीं जानता, मगर इतना मानता हूं कि उस वक्त भी और आज भी प्रशांत कुमार की शान में कसीदे पढ़ने वाले आज बहुत खुश होंगे, क्यूंकि उनके फेवरेट अफसर आज सूबे के पुलिस कप्तान जो बन गए हैं।

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