गाजियाबाद। बगैर किसी लाइसेंस के अवैध पानी के प्लांट से बहुत बड़ा व्यापार खड़ा कर लिया है माफियाओं ने और गर्मी शुरू होते ही पानी का कारोबार तेजी से शुरू हो जाता है। आरoओo लागाकर पानी को बेचने को बेच कर अपनी जेबें भर रहे हैं। पानी बेचने वाले दुकानदारों के पास न लाइसेंस न उनके पास पानी को शुद्ध करने का तरीका भी नहीं है,और बगैर लाईसेंस के शहर भर मे 10000 की संख्या में अवैध प्लांट धड़ल्ले से कारोबार चल रहा है।
ऐसा नहीं है कि नगर निगम को इस संबंध में पता ना हो लेकिन जानकारी होने के बावजूद अंजान हैं। क्या निगम अधिकारियों को मोटा चढावा भेज दिया जाता हैँ? ऐसा कुछ नहीं हैँ, क्यों की रविंद्र आर्य की नगर निगम जल विभाग के अधिकारी से मुलाक़ात मे बताया की इसकी कमेटी लघु सिचाई विभाग खंड के अंतर्गत आती हैँ। जिसके चेयरमैन जिलाअधिकारी राकेश कुमार हैँ।जो बैठक कर समय-समय पर अग़वात कराते रहते हैँ। बैठक में अधिकारियों को भूगर्भ जल दोहन नियमावली प्रावधानों को कढ़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के आदेश भी दिए गए। बैठक मे बताया गया हैँ की जो पानी का अबैध दोहन करता हैँ। उसे 2 लाख से 5 लाख का जुर्माना लगाया जायेगा।
लघु सिचाई विभाग अधिशासी अभियंता हरिओम नोड़ल अधिकारी के सिचाई खंड के विकास भवन कार्यालय, डी.एम. ओर एस.डी.म. को 6 मई को जल दोहन आरoओo माफियों के खिलाफ शिकायत पत्र रविंद्र आर्य द्वारा दिया गया। जिसमे लघु सिचाई खंड कार्यालय से जानकारी प्राप्त हुई की एक्ट 2019 जो 2020 मे लागू हुआ। उसमे जल दोहन करने वाले व्यक्ति को 5 लाख तक जुर्माना ओर 2 साल तक की भी सजा का प्रावधान है। जिसमे की जल दोहन आरoओo प्लांट के दुकानदार के पास एन.ओ.सी. होना जरुरी मानक हैँ। ओर यह 2019 एक्ट में आरoओo प्लांट को लाइसेंस का प्रावधान ही नहीं है। तो इतनी बड़ी संख्या में शहर भर में आरoओo प्लांट कैसे खोलें गए। जब एक ऐसा ही मामला सामने आया हैँ। पता चला की गाजियाबाद शहर भर के सभी आरoओo प्लांट अवैध रूप से खुलेआम चल रहे हैं। बता दे की नीरज गर्ग (बालाजी पानी वाले) पटवारी का अहाता, बालू पूरा में करीब दस साल से शुद्ध पीने के पानी आरoओo मशीन लगा रखी है। जब पानी दोहन का वीडियो वायरल होने पर वीडियो में देखा गया होगा की दस साल से ऐसा पानी नालियों मे खराब जा रहा है,जो की बालाजी टेंट हाउस एवं पानी वाले नष्ट कर रहे हैं।
और जब तक दुकानदार की 2 हैवी लेवेल की 2000 लीटर की टंकिया दिन मे 2 बार फुल भर नहीं जाती हैं। जब तक वह अशुद्ध पानी नाली मे वहता रहता हैँ। मोहल्ला बालू पुरा निवासियों का कहना है कि उनका गर्मियों में पानी का लेवेल 5 से 10 फिट गिर गया है और भूजल स्तर बहुत कम हो चुका है। जिसमें यहां दुकानदार पानी खराब करने से अच्छा उस अशुद्ध पानी के लिए बोरिंग हार्वेस्ट की व्यवस्था नहीं कर रखी है।
दस सालों से हम यह बात दुकानदार को कह-कह कर थक चुके हैं। जब की यह नियम लघु सिंचाई विभाग का मानक है की नही। इनके पास पानी बेचने का लाइसेंस भी नहीं प्राप्त है ओर जो पानी बेचता है। उसके लिए अशुद्ध पानी के लिए वाटर हार्वेस्ट बोरिंग कराना ओर एन.ओ.सी. जरुरी मानक मे आता है। यह लघु सिचाई विभाग के जांच का विषय है। ऐसे बहुत सारे दुकानदार शहर मे पानी बेच रहे हैं। ऐसे पानी बेचने वाले दुकानदार जैसे मोहल्ला हरदेव सराय, गांधी नगर, कल्लू पुरा, बजरिया, बालूपुरा, साहिबाबाद, श्याम पार्क, शिव शक्ति विहार, लाजपत नगर, झंडापुर, शहीद नगर, भोपुरा, डीएलएफ, पप्पू कालानी, राजीव कालोनी, गांव करेड़ा, पीर कालोनी, अर्थला, राज बग ,जनकपुरी, राजनगर एक्सटेंशन, राज नगर, संजय नगर आदि क्षेत्रों में धड़ल्ले से अवैध वाटर प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। जिसमे आरoओo लगा कर पानी की फ्लिटरिंग मशीन से रोज हजारों लाखों लीटर पानी हर घंटे में बर्बाद हो रहा है इस पानी की बर्बादी को बने विभाग आंखें मूंदकर बैठे हैं और यह पानी माफिया किसी जरूरतमंद व्यक्ति को एक बोतल पानी भी फ्री में भरने नहीं देते हैं जबकि पानी पर अधिकार सब लोगों का है फिर भी गरीब व्यक्ति की प्यास बुझाने के लिए इनके पास पानी नहीं है य़ह जिम्मेदारी निगम प्रशासन की है कि वह अपने क्षेत्र में रहने वाले सभी नागरिकों को पेयजल की व्यवस्था करें जबकि नगर निगम पिए जल व्यवस्था के नाम पर निगम क्षेत्र में रहने वाले निवासियों पर कर भी लगाता है लेकिन वह पेयजल व्यवस्था को हर निवासी के लिए बनाने की उसकी जिम्मेदारी है वह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा है इसके असली गुनहगार नगर निगम प्रशासन तथा नगर निगम के महापौर पद पर बैठने वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी है और जनता का यह अधिकार है अपने अधिकार का जनता प्रयोग करें और इनसे शुद्ध पानी पिए जल की मांग करें
जल दोहन उत्तरप्रदेश 2019 एक्ट में सजा का हैँ प्रावधान।
अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई विभाग हरीओम ने हमारे संवाददाता को बताया और कहा भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019 के लागू होने के उपरांत पूरे उत्तर प्रदेश में जितने भी नलकूप, बोरवेल (बोरिंग) एवं सब्मर्सिबल पम्प है। चाहे वह कृषि से संबंधित हो या घरेलू हो या फिर उद्योगों से संबंधित हो उन सभी का पंजीकरण कराना अनिवार्य हो गया है। और उद्योगों से संबंधित बोरवेल कि पहले एन.ओ.सी. लेनी होगी, उसके बाद ही पंजीकरण होगा। पंजीकरण एवं अनापत्ति प्रमाण पत्र (एन.ओ.सी) का प्रक्रम भूगर्भ जल विभाग के वेब पोर्टल (http://www.upgwdonline.in) द्वारा पूर्ण होगा जितने भी कृषि या घरेलू उपयोग से संबंधित बोरवेल हैं। उनका पंजीकरण भूगर्भ जल विभाग के वेब पोर्टल (http://www.upgwdonline.in) पर ऑनलाइन आवेदन के द्वारा होगा एवं जितने बोरवेल उद्योग से संबंधित हैं। उनके लिए एन.ओ.सी. एवं पंजीकरण हेतु आवेदन निवेश मित्र (https://niveshmitra.up.nic.in) की वेबसाइट से होगा। सभी बोरवेल या नलकूप का पंजीकरण कराना होगा, और पानी के कमर्शियल यूजर को एन.ओ.सी. लेनी होगी, अन्यथा उनका बोरवेल अति शीघ्र बंद हो जाएगा, और उनके खिलाफ कार्यवाही भी होगी। जो भी छोटे या बड़े आर.ओ. प्लांट हैं, जो पानी को घरों-घरों या दुकानों-दुकानों में बोतलों में बेचते हैं। उन सभी विक्रेताओं से भी आग्रह है, कि जल्दी से जल्दी अपने यहां के बोरवेल का पंजीकरण कराएं एवं एन.ओ.सी. ले। अन्यथा उत्तरप्रदेश 2019 एक्ट में सजा का भी प्रावधान है। ओर बिना पंजीकरण ओर एन.ओ.सी. के अबैध मान्य होगा। जैसे- पशु कट्टी घर, कारकस डिस्पोजल प्लांट, आर.ओ. प्लांट, वाहन धोने वाले दुकानदार, कमर्शियल फैक्ट्री और उपभोक्ता को जल दोहन का दोषी माना जायेगा।
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