वो चिट्ठियां,
खुशियां भर जाती थी,
इंतजार बहुत कराती थी,
डाकिया आता था,
पूरा घर चहक जाता था,
खोली जैसे चिट्ठी,
वधु आए शर्माई सी,
माँ थोड़ी घबराई सी
बापू को आती,
बेटे पर घमंड की अंगड़ाई सी,
बिट्टू बाँचकर सुनाता था,
थोड़ा थोड़ा हकलाता था,
बड़ो को प्रणाम,
बच्चों को आशिर्वाद,
घर जल्दी आऊंगा,
कुछ पैसे भिजवाऊँगा,
माँ बापू की दवा,
बड़ो की सलाह,
फर्माइश सब तुम्हारी,
बच्चों की पिचकारी,
सब मुझे याद है,
बस इतनी सी फ़रियाद है,
तुम सबका ख्याल रखना,
बच्चों को खुशीहाल रखना,
वो चिट्ठियां,
राखी लेकर आती,
बहन का प्यार जताती थी,
किसी में गुलाब की पंखुड़ियां,
पढ़ कर नव-वधु मुस्कराती थी,
चिट्ठी कोना कटी,
दिल को बहुत दुखाती थी,
वो हल्दी लगी,
खुशी की खबर सुनाती थी,
वो चिट्ठियां,
इंतजार बहुत कराती थी,,,,
इंतजार बहुत कराती थी,,,,//
लेखक:- नरेंद्र राठी
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