Ghaziabad : किसी भी देश का सम्पूर्ण विकास और उन्नति उस देश की शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करती है शिक्षा ही एक ऐसा माध्य्म है जिसके द्वारा हमारा भारत विश्व गुरु बनने की राह पर पुनःअग्रसर हो सकता है विश्वगुरु बनने के लिये हमें अपनी प्राचीन काल से चली आ रही गुरुकुल शिक्षा पद्दति को पुनः जाग्रत कर अपनाना होगा । प्राचीन काल से ही भारत देश में शिक्षा को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. हमारे भारत में गुरुकुल परम्परा सबसे पुरानी व्यवस्था है.
गुरुकुलम वैदिक युग से ही अस्तित्व में है. प्राचीन काल में गुरुकुल शिक्षा पद्दति से ही शिक्षा दी जाती थी.इस पद्दति के कारण ही तो भारत को विश्व गुरु कहा जाता था. जैसे जैसे देश मे शिक्षा का व्यवसाईकरण बढ़ता गया गुरुकुल शिक्षा पद्दति विलुप्त होती चली गई जिसका सीधा प्रभाव भारत के युवाओं के सर्वांगीण विकास पर पड़ रहा है प्राचीन भारत में, गुरुकुल के माध्यम से ही शिक्षा प्रदान की जाती थी. इस पद्धति को गुरु-शिष्य परम्परा भी कहा करते थे. इसका उद्देश्य था विवेकाधिकार और आत्म-संयम ,चरित्र में सुधार ,मित्रता या सामाजिक जागरूकता ,मौलिक व्यक्तित्व और बौद्धिक विकास ,पुण्य का प्रसार ,आध्यात्मिक विकास ,ज्ञान और संस्कृति का संरक्षण
गुरुकुल शिक्षा पद्दति से धर्मशास्त्र की पढाई से लेकर अस्त्र -शस्त्र और वेदों की शिक्षा भी दी जाती थी. गुरुकुल शिक्षा के माध्य्म से प्रत्येक विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास होता था युवाओ में राष्ट्र प्रेम कूट कूट कर भरा होता था आज के युग मे सम्पूर्ण भारत मे शिक्षा का व्यापार हो रहा है जो शिक्षा राष्ट्र के समाजिक और आर्थिक निर्माण में अहम भूमिका अदा करती है आज उस शिक्षा के व्यवसाईकरण पर सरकारें चुप्पी साधे रखती है जिसके कारण शिक्षा धीरे धीरे आम आदमी की पहुँच से दूर हो रही है आम आदमी को शिक्षा के लिए सघर्ष करना पड़ रहा है देश के अधिकतर राज्यो में सरकारी स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे है देश के माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत विकास की राह पर अग्रसर है में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी से अपील करती हूं कि भारत को लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्दति से मुक्ति दिला भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्दति को पुनः जाग्रत कर देश को विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर करे ।
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