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बाल आयोग ने जिलाधिकारी को 10 दिन के अंदर 5 स्कूलो की जांच रिपोर्ट सौपने के आदेश

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की आरटीई के दाखिलों की शिकायत पर बाल आयोग हुआ सख्त 

गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की निःशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार ( आरटीई ) के तहत चयनित बच्चों का दाखिला जिले के निजी स्कूलो द्वारा नही लिये जाने की शिकायत का सज्ञान लेते हुये राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग , नई दिल्ली द्वारा जिलाधिकारी को जिले के पांच स्कूलो , गुरुकुल द स्कूल , क्रासिंग रिपब्लिक , जे.के जी इंटरनेशनल स्कूल , विजय नगर , गौतम पब्लिक स्कूल , प्रतापविहार , बी.आर जूनियर पब्लिक स्कूल , विजय नगर , ऐलन हाउस पब्लिक स्कूल , वसुधंरा के खिलाफ दस दिन के अंदर जांच कर रिपोर्ट सौपने के निर्देश दिए है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन आरटीई के दाखिलों को लेकर लगातार सख्त रुख अपनाए हुये है जिसके कारण अब आयोग ने भी सख्ती दिखाई है आरटीई के दाखिले जिलाधिकारी और शिक्षा अधिकारियों की गले की फास बनते जा रहे है तीन महीने से भी ज्यादा का समय अधिकारियों द्वारा केवल स्कूलो को नोटिस भेजने में ही लगा दिया गया हर बार भेजे गए नोटिस को अंतिम नोटिस बताया जाता है हद तो तब हो गई जब अधिकारियों द्वारा आरटीई के दाखिले नही लेने वाले स्कूलो को मीटिंग के लिए बुलाया जाता है लेकिन स्कूल मीटिंग में उपस्थित नही होते है उसके बाद भी अधिकारियों की हिम्मत नही की वो स्कूलो पर कार्यवाई कर सके अधिकारियों और स्कूलो के बीच खेली जा रही इस आंख मिचौली में आरटीई के तहत चयनित बच्चों की पढ़ाई बर्बाद हो रही है बच्चे शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित हो रहे है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने बताया कि संस्था द्वारा मुख्यमंत्री से लेकर तमाम अधिकारियों को आरटीई के दाखिलों के प्रकरण पर कार्यवाई के लिए पत्र लिखा गया है लेकिन जब बात निजी स्कूलों पर कार्यवाई की आती है तो शासन - प्रशासन और अधिकारी चुप्पी साध लेते है जो दिखाता है कि निजी स्कूलों की पैठ सत्ता में मजबूत पकड़ रखती है जिसके आगे अधिकारी बेबस और लाचार है अब जो थोड़ी बहुत उम्मीद बची है वो बाल आयोग है बाल आयोग ने निःशुल्क एवम अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12(1)(c) के तहत जीपीए की शिकायत का सज्ञान लेते हुये जिलाधिकारी को जांच कर रिपोर्ट 10 दिन के अंदर सौपने के निर्देश दिए है अब देखना यह है की जिलाधिकारी इस पर क्या रुख अपनाते है बच्चों को शिक्षा का मौलिक अधिकार दिलाते है या नोटिस भेजने तक ही सीमित रहते है । 

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