गाजियाबाद : देश के दिग्गज पत्रकार एवं गाजियाबाद के नवरत्नों में शुमार कुलदीप तलवार (88 वर्ष) भारतीय खाद्य निगम के महाप्रबंधक पद से सेवा निवृत्त हैं। इस आयु में भी उनका लेखन जारी है। उल्लेखनीय है वह पिछले 15 वर्ष तक हिंदुस्तान टाइम्स समूह की प्रतिष्ठित मासिक पत्रिका "कादम्बिनी" के लिए उर्दू शायरी स्तंभ " इनके भी बयां जुदा-जुदा" लिखते रहे हैं। वह धर्मयुग, साप्ताहिक हिंदुस्तान, ब्लिट्ज, दैनिक हिंदुस्तान, दैनिक नवभारत टाइम्स, दैनिक ट्रिब्यून, नवनीत, कादम्बिनी,रंग चकल्लस,संडे मेल आदि में हास्य- व्यंग बराबर लिखते रहे हैं बच्चों के लिए उन्होंने कहानियां भी लिखी हैं। उनके द्वारा लिखित पुस्तक "हंसी- हंसी में" भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने प्रकाशित की थी। जिसके छह संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं। बच्चों के लिए लिखी उनकी पुस्तक "नाना -नानी की कहानियां" हिन्द पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित की गई थी। पेंगुइन, हास्य- व्यंग संग्रह "गुस्ताखी माफ़" भी काफी सराही गई।वह लम्बे अर्से से हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय हैं। विदेशी मामलों, विशेष तौर पर पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगला देश व पाक अधिकृत कश्मीर की राजनीति पर उनके विचार पूर्ण लेख राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों के सम्पादकीय पृष्ठों पर बराबर छपते रहते हैं। उनकी नव प्रकाशित पुस्तक *गुदगुदाती -हंसाती कलमकारों की छोटी - बडी बातें* देश के विख्यात शायरों व कवियों के द्वारा मंचों पर आपसी छेड़छाड़ की रोचक व मनोरंजक स्मृतियों का पिटारा है। उनकी यह पुस्तक विख्यात व्यंग्यकार पद्मश्री के पी सक्सेना को समर्पित है। पुस्तक के प्रारंभ में उन्होंने कहा है कि उनकी गुदगुदाती स्मृतियों और कलमतराशी ने इस नाचीज़ को भी अपने रंग में रंग दिया।
उनकी पुस्तक पर डॉ प्रेम जनमेजय ने कहा है कि साहित्य की एक वो दुनिया है जो किताबों, पत्रिकाओं, अखबारों आदि के माध्यम से साहित्यिक अभिरुचि के पाठकों तक पहुंचती है। साहित्य की एक वो भी दुनिया है जहां साहित्य की महफ़िल जमी होती है और उस महफिल में रचनाकार बातों -बातों में बहुत कुछ उल्लेखनीय, मजेदार या गहरी बात कह देते हैं।इस अनौपचारिक दुनिया में यदि कहे को पकड़ें नहीं तो बहुत कुछ कहा अनकहा रह जाता है। बातें बहुत होती हैं लेकिन अधिकांश बातें आई -गई हो जाती हैं। यदि वहां कुलदीप तलवार जैसा शख्स हो,जो उडते शब्दों को पकड़ने में माहिर हो, तो सारे मौखिक शब्द अक्षरों में बदल जाते हैं। कुलदीप तलवार की इस प्रतिभा को धर्मवीर भारती, कमलेश्वर आदि सम्पादकों ने पहचाना और अपनी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में उर्दू -हिंदी के लेखकों से जुड़े मजेदार और गम्भीर छोटे -मोटे किस्सों को बडा करके छापा। पंडित सुरेश नीरव कहते हैं इतिहास गवाह है कि तेनालीराम,गोनू झा और मदन भांड ने अपने लतीफों की बदौलत पूरे हिंदुस्तान में कुरीतियों के बंधन तोडे और अपने दौर के समय के कान पकड़े। लतीफों के ऐसे बेशकीमती खजाने को जो खोलता होता है समझिए कि जिन्दा मेंढकों को तौलना होता है। सचमुच बड़ा मुश्किल काम है। मगर जनाब कुलदीप तलवार साहब इसे कर रहे हैं, उन्हें मेरा प्रणाम है। कुलदीप तलवार जी का हिंदी और उर्दू दोनों जबानों के अदीबों के बीच उठना- बैठना है और दोनों ही भाषाओं की पत्र और पत्रिकाओं में वह सम्मान के साथ छपते हैं।
अपनी पुस्तक के बारे में कुलदीप तलवार कहते हैं एक समय था जब नई दिल्ली का कनाट प्लेस स्थित काफी हाउस सायंकाल उर्दू व हिन्दी के साहित्यकारों का मिलने का स्थान होता था ।वह भी साहित्यकारों की मित्र मंडली के सदस्य थे। साहित्यकारों की महफ़िल में बातचीत के दौरान कोई ऐसी रोचक बात निकल आती थी जो न सिर्फ हंसाती थी बल्कि मस्तिष्क की खिड़कियों को भी खोलती थी।वह उसे अपने दिलो -दिमाग में सुरक्षित कर लेते थे ताकि खो न जाये। मुशायरों व कवि सम्मेलन के मंचों पर आपसी छेड़छाड़ से पैदा रोचक स्मृतियों को भी इस किताब में शामिल किया गया है।
उनकी किताब में शायर फिराक गोरखपुरी,जोश मलीहाबादी, जिगर मुरादाबादी, कैफ़ी आज़मी, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, अनवर साबरी, मजाज़ लखनवी,साहिर लुधियानवी, नरेश कुमार शाद,राजा मेंहदी अली खान, सरदार जाफरी , हरिचंद अख्तर, शकील बदायूंनी, सरूर जहांबादी , अख्तर शैरानी, कुंवर महेंद्र सिंह बेदी सहर,राजनारायण राज व खय्यामी हैं।कवि सुमित्रानंदन पंत, रामधारी सिंह दिनकर, गोपाल प्रसाद व्यास, सोहन लाल द्विवेदी,काका हाथरसी, कन्हैयालाल मत्त,बाल कवि बैरागी, गोपाल कृष्ण कौल,बाल स्वरूप राही, गोविन्द व्यास, हुल्लड़ मुरादाबादी, कुंवर बेचैन, पंडित सुरेश नीरव, श्री कांत वर्मा, रघुबीर सहाय, रामावतार चेतन, मधुर शास्त्री, लक्ष्मी शंकर वाजपेई,भोंपू व हुक्का हैं। कहानीकार/उपन्यासकार में सआदत हसन मंटो, राजेन्द्र सिंह बेदी, कृष्ण चंदर, कमलेश्वर, श्री पत्रकार, बलवंत सिंह, यशपाल,से रा यात्री,निर्मल वर्मा , रामपाल,आदिल रशीद मधुकर गंगाधर, रमेश बतरा व डॉ नरेश हैं। सम्पादक/लेखक/ प्रकाशक धर्मवीर भारती, प्रेम भाटिया, मनोहर श्याम जोशी, अक्षय कुमार जैन, राजेन्द्र यादव,नन्द किशोर नौटियाल, कन्हैयालाल नंदन, नारायण दत्त, राजेन्द्र अवस्थी, अरविन्द कुमार, मधुसूदन आनंद, विश्व नाथ सचदेव, यशवंत व्यास, रमेश चंद्र प्रेम व किशोरी रमण टंडन हैं। हास्य व्यंग लेखकों में शरद जोशी, कन्हैयालाल कपूर, फ़िक्र तौसवी,के पी सक्सेना,मुज्तबा हुसैन, युसुफ नाजिम, आबिद सुरती, डॉ प्रेम जनमेजय, हरीश नवल, सुभाष चन्दर, नज़र बरनी व फणीश्वर नाथ रेणु हैं।
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