Ghaziabad : (सोशल मीडिया) ये लोग सभी को कह रहे हैं कि वह अपनी फ़ेसबुक डीपी पर तिरंगा लगाएं और 13 से 15 अगस्त को घरों पर तिरंगा फहराएं। मुझे ये देखकर लगता है कि इनसे ज़्यादा बड़ा पाखंडी संगठन सारी दुनिया में नहीं होगा ।
मैं ऐसा इसीलिए कह रहा हूँ क्यूंकी ये वही RSS है जिनसे सालों तक तिरंगे का खुले आम विरोध किया है । जब कॉंग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 को हर जगह तिरंगा फहराने का आवाहन किया गया तो RSS ने इसका खुला विरोध किया और इनके मुखिया हेडगेवार ने अपनी शाखाओं में भगवा झंडे को राष्ट्रीय ध्वज की तरह पूजने का आवाहन किया था । जब तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर 1947 में फहराया जाना था तो RSS के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र में 14 अगस्त 1947 इनके मुख्य नेता गोलवरकर ने लिखा कि " लोग जो किस्मत के दाँव से सत्ता तक पहुँचे हैं वे भले ही हमारे हाथों में तिरंगे को थमा दें, लेकिन हिंदुओं द्वारा न इसे कभी सम्मानित किया जा सकेगा न अपनाया जा सकेगा। तीन का आँकड़ा अपने आप में अशुभ है और एक ऐसा झण्डा जिसमें तीन रंग हों बेहद ख़राब मनोवैज्ञानिक असर डालेगा और देश के लिए नुक़सानदेय होगा।" गोलवरकर ने तिरंगे का विरोध करते हुए एक दूसरी जगह ये भी लिखा है कि “हमारी महान संस्कृति का परिपूर्ण परिचय देने वाला प्रतीक स्वरूप हमारा भगवा ध्वज है जो हमारे लिए परमेश्वर स्वरूप है। इसलिए इसी परम वंदनीय ध्वज को हमने अपने गुरुस्थान में रखना उचित समझा है। यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि अंत में इसी ध्वज के समक्ष सारा राष्ट्र नतमस्तक होगा। (गोलवलकर, ‘श्री गुरूजी समग्र दर्शन’,भारतीय विचार साधना, नागपुर, खंड-1, पृष्ठ 98) ।" RSS ने अपने मुख्यालय में 52 सालों तक तिरंगा नहीं फहराया । 2002 में काफी विरोध के बाद जाकर पहली बार इनके नागपुर स्थित मुख्यालय में तिरंगा फहराया गया और ये लोग हमें आज तिरंगा फहराने पर ज्ञान देते हैं ! पाखंडी और मक्कार होना कोई इनसे सीखे !
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