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नोनिहालो की जान के साथ खिलवाड़ बंद करे परिवहन विभाग एवं स्कूल प्रशासन - जीपीए

बिना परमिट और फिटनेस के दौड़ रहे स्कूली वाहनों पर हो सख्त कार्यवाई - जीपीए 
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने जिले में बिना फिटनेस और परमिट के सड़क पर दौड़ रहे स्कूली वाहनों से हो रही दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुये परिवहन विभाग और स्कूल प्रशासन की सीधी जबाबदेही तय करने की मांग उठाई है अभी कुछ महीने पहले गाजियाबाद के मोदीनगर में 20 अप्रैल 2022 को स्कूली वाहन की लापरवाही की वजह से दुर्घटना में 11 वर्षीय छात्र अनुराग की मौत हुई थी। एक बार फिर 20 सितंबर को बिना फिटनेस और परमिट के ओवरलोड स्कूल की वैन खेत मे पलट गई। जिसमें 16 छात्र छात्राएं घायल हो गए बताया गया है कि इस वैन में रोज 20 बच्चे जाते हैं और इस वैन को काफी लंबे समय से गार्ड चला रहा था इस हादसे में कुछ भी हो सकता था । गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के सचिव अनिल सिंह ने बताया कि शासन , प्रशासन और परिवहन विभाग सख्ती का खोखला दावा करते हैं, लेकिन पूर्व की दुर्घटनाओं से सबक नही लेते हैं ।बस घटना के बाद कुछ दिन जांच अभियान चलाकर बंद कर दिया जाता है। ।क्योकि मामला निजी स्कूलों का है, जिनके मालिकों की पहुंच सत्ता के गलियारों तक हैं जिनके द्वारा राजनैतिक पार्टियों को चंदे के रूप में मोटी रकम दी जाती हैं। वही जीपीए के प्रवक्ता विनय कक्कड़ ने कहा कि जब बात निजी स्कूलों की लापरवाही की हो तो सरकार भी अक्सर चुप्पी साध लेती है गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन समस्त अभिभावकों से निवेदन करती है कि अपनी बच्चों की सुरक्षा के प्रति सजग रहे और रूटीन बेसिस पर स्कूल बस / वैन का परमिट और फिटनेस चेक करें साथ ही ड्राइवर के लाइसेंस की वैधता भी चैक करे जिससे कि भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं को रोका जा सके जीपीए की अध्य्क्ष सीमा त्यागी ने कहा कि अभिभावकों को भी देखना चाहिए कि एक वैन में 20 बच्चे कैसे जा सकते हैं? लगभग सभी पेरेंट्स बच्चों को वैन में निश्चित तौर पर बैठाने के लिए जरूर जाते होंगे । पेरेंट्स का भी फर्ज बनता है कि जिस वैन या बस में वो अपने बच्चों को भेज रहे है कम से कम उस बस/ वैन की फिटनेस और परमिट को चैक तो करे । ड्राइवर का लाइसेंस चेक करें । हमे अपने बच्चों के लिए खुद सजग होना पड़ेगा सरकार को, निजी स्कूल मालिकों को, परिवहन विभाग को आपके बच्चे से कोई मतलब नही है । इन लोगो को तो बस धन चाहिए चाहे वो टैक्स के रूप में हो या घूस के रूप में हो । आखिर कहे तो कहे किससे सरकारें सुनती नही अधिकारी बेबस और लाचार है। एक तरफ हम विश्व गुरु बनने की बात करते हैं दूसरी तरफ सरकार शिक्षा के प्रति उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं । 


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