गाजियाबाद : लोनी नगरपालिका के उपमुख्यजिलाधिकारी श्रीमान संतोष कुमार रॉय आदेशानुसार लोनी क्षेत्र में भू-जल माफियाओं पर एक्टिव एक्शन पिछले कुछ महीनो से चल रहा था। जिसमे अबैध आर ओं प्लांटो को सरकारी सील लगाने के उपरांत भी, भू-जलदोहन करने वाले दबंगों ने सरकारी सील तोड़कर अबैध आर ओं प्लाटों के संचालकों ने सुचारु रूप से खुलेआम चालू कर दिए, ऐसा ही मामला गाजियाबाद सिटी का यहां तीन अबैध आर ओं प्लांटो के संचालको को करीब दो महीने पहले लघु सिचाई विभाग के नोडल अधिकारी श्री मान हरिओम द्वारा नोटिस दिया जाता है। परन्तु भू-जल दोहन करके व्यवसाय करने वाले जलमाफियों को प्रशासन का कोई डर नहीं है। ओर तीनों अबैध आर ओं प्लान्ट क़ानून को ताक पर रखकर अभी तक चालू है। जों भू-जल दोहन से व्यवसाय कर राजस्व को चुना लगाकर भू-गर्भ को खोखला कर रहे है।
भू-गर्भ जल विभाग एवं लघु सिचाई विभाग के नोडल अधिकारीयों द्वारा "कहा जाता है की उoप्रo का जिला सोनभद्र के बाद भू-जलदोहन में अब उoप्रo का जिला गाजियाबाद प्रथम स्थान में गिना जाता है"। उसका कारण गाजियाबाद सिटी, साहिबाबाद, और लोनी नगरपालिका क्षेत्र में जलमाफियों ने अब जल से सम्बंधित सारी हदे पार कर रखी है। एनo जीo टीo कल्पना भी नहीं कर सकती की भू-जलदोहन माफियाओं ने भू-जल व्यवसाय से सम्बंधित जिला गाजियाबाद में कैसे-कैसे हथकंडे अपना रखे है। प्रशासन की लापरवाही से भू-जल माफियाओं का मनपसंद व्यवसाय अब "जल बेचो" और "पैसा कमाओ" बन चुका है। जो की उत्तर प्रदेश में अधिनियम 2019 एक्ट के अनुसार भू-जलदोहन कर व्यवसाय करना एक कानूनी जुर्म है। जिसमे भूगर्भ जल विभाग एवं लघु सिचाई विभाग द्वारा भू-जल से व्यवसाय पर किसी भी प्रकार की एनo ओo सीo देने का प्रावधान ही नहीं है। उoप्रo प्रशासन की यह कैसी व्यवस्था है? जों की नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ओर शासन के आदेशो का पालन नहीं करता।
योगीजी के राज्य स्तरीय "भू-जल सप्ताह" तारीख 16 से 22 अगस्त 2022 के अवसर पर भी जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गए ओर भू-जल माफियाओं पर कोई सख्त कारवाही नहीं किया गया। उसका अंजाम यह हुआ की योगीजी जी नारा "जन-जन तक जल पहुंचाना है।" "जल संरक्षण अपनाना है। " अब पानी-पानी हो गया।
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