गाजियाबाद । प्रदेश सरकार बनने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल गोवंशो के लिए खासी व्यवस्था करने की प्रदेश के सभी जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि आवारा घूम रहे पशुओं के लिए गौशाला का निर्माण कर उनके रखरखाव की जिम्मेदारी जिला प्रशासन करें। इसके बाद कुछ समय के लिए जिला प्रशासन की टीम प्रयासरत दिखाई देती रही। मगर बाद में ढाक के तीन पात की तरह जिला प्रशासन का रवैया भी धूल मूल बना रहा। इसी बीच कुछ माफिया टाइप के असामाजिक तत्वों द्वारा गौशालाओं का निर्माण कार्य कराया गया और उन्होंने इसे अपने बिजनेस का धंधा बना कर गोवंश पर अत्याचार शुरू कर दिए। क्योंकि अब उनसे बड़ा इस प्रदेश में कोई गो-रक्षक दिखाई नहीं दे रहा था। जिला प्रशासन ने भी तस्करों की पूरी मदद की ओर इसी के लिए गौ-तस्करों ने अपने धंधे को बड़े आराम से फल फूलने का कार्य करना शुरू कर दिया। मामला चाहे कनावनी गांव का हो या विजय नगर इलाके का लोनी इलाके का हो या मोदीनगर इलाके का चारों तरफ गौ-तस्करों ने अपने धंधे को बड़े आराम से मोटा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से शुरू कर दिया। जिला प्रशासन की आंखों पर पट्टी बनी रही।
दरअसल उत्तर प्रदेश के जिला गाजियाबाद में सिद्धार्थ विहार के क्षेत्र और कनावनी गांव का गऊशाला वाला गऊ-तस्कर गैंग आज भी सक्रिय है। जब की थाना विजय नगर के सिद्धार्थ विहार क्षेत्र के नगर निगम के कारकश प्लांट के मुद्दे में जिंदा गौवंश को काटने के सबूत के तोर पर वीडियो स्थानीय मिर्जापुर क्षेत्र के पार्षद आसिफ अली भी दो साल से खुलासा करते आये है। इस क्षेत्र में सभी प्रकार के मवेशियों कों चोरी कर गायब किया जा रहा है।
इसी बीच सामाजिक कार्यकर्ता एवं पशु प्रेमी रविंद्र आर्य द्वारा शिकायत पत्र जब पशु प्रेमी एवं सांसद श्रीमती मेनका गाँधी को दिया गया, तब जाकर सिद्धार्थ विहार नगर निगम के कारकश प्लांट पर जिंदा गायों काटने पर अंकुश लगा। यह गऊ तस्कर गैंग जिंदा मवेशियों को ज़ईलाज़ीन इंजेक्शन इंजेक्ट करके एवं आटे की गोलिया बनाकर मूक गऊ वंश को जहर आदि देता था। और मदिरा आदि के नशे में यह गैंग रात्रि मे सक्रिय रहता था, इस विषय पर इंद्रापुरम हिंदू संगठन के अलोक यादव का कहना है की ऐसे गऊ तस्कर गैंग ने हमारे क्षेत्र से करीब 2500/- नंदी (सांड) एवं आवारा गाय गायब कर दिया।
स्थानीय आमजन में एचoआरoडीo संगठन के गऊ सेवक मोहित पाल मुखिया का इस विषय पर कहना है की गऊ तस्करों का मनपसंद पॉइंट- ट्रांस हिंदन क्षेत्र, इंद्रापुरम, कनावनी गांव और सिद्धार्थ विहार, हिंडन नदी की खादर है। जहाँ यह गैंग रात्रि में सक्रिय रहता है, और एनसीआर रीजन में गऊ तस्करी सबसे ज्यादा इसी क्षेत्र में हो रही है। जिसका खुलासा पशु प्रेमी एवं सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र आर्य द्वारा अपने लेखों में भी किया गया है। आर्य का कहना है की जिला प्रशासन की लापरवाही से आज आवारा मवेशी को नशा का इंजेक्शन एवं जहर देकर मारकर बेचा जा रहा है। गुप्त सूत्रों की जानकारी से आर्य का कहना है की यह गऊशालाओं का ग्रुप आवारा गऊवंश चोरी करने में माहिर है जों रात्रि में छोटा हाथी (मैजिक वाहन) का प्रयोग करते है। नशे में धुत होकर उनके लिए आवारा गायों को चोरी करना आसान हो जाता है। जिसमे कोई भी औचक निरीक्षण ऐसी गऊशालाओं का आज तक नहीं किया जाता है। जों बिना मानक पूरा किये हुए नियमों को ताक पर रखकर अबैध गऊशालायें खुलेआम चलाई जा रही है। आमजन को कभी सुनने में भी नहीं आया होगा की ऐसा भी होता है। गऊशाला संचालक गऊवंश को चुराने का काम करते है। यह इसलिये किसी भी आम आदमी के शक के दायरे में ऐसे गऊ तस्कर ग्रुप नहीं आते है। क्यों की जब स्थानीय गऊ सेवकों द्वारा 112 पर कॉल पर शिकायत की जाती है। वहाँ से जबाब मिलता है। "गऊशाला संचालक आवारा गऊवंश को बिना अनुमति के गऊशाला ले जा सकते है"। अगर शक है तो आप लोकल थाने मे जाकर इसकी शिकायत करें। जब थाने में यह सब प्रकरण की शिकायत लोकल पुलिस से किया जाता है। उनका जबाब अजीबोगरीब होता है। लोकतान्त्रिक एवं संविधानिक देश के स्थानीय पुलिस का कहना है की अगर हमने गऊशालाओं के खिलाफ अभियान चलाया तो "हमारे पीछे हिंदू संगठन लग जायेगा"।
इसलिये अपराध निरोधक समिति सयुक्त सचिव लखनऊ से श्रीमान सागर के संपर्क में रहते हुए, जिले की असफलता को अब (कुछ, जैसे कोई घटना या स्थिति) की गलतियों को भुनाया जा रहा है। और जिले की असफलता की जानकारी शासन को पशु प्रेमी रविंद्र आर्य द्वारा भेजी जा रही है। जिले प्रशासन पर दबाब एवं कार्यवाही करने हेतु। रविंद्र आर्य द्वारा शासन को गुप्त रिपोट भेजी है। वर्तमान में सत्ता पर काबिज मुख़्यमंत्री योगी स्वयं पशु प्रेमी एवं गऊभक्त है। गुरु गौरखनाथ के ब्रह्मचारी शिष्य आदित्यनाथ निश्चय ही ज्ञान होगा की मेरे गुरु गौरखनाथ द्वारा नेपाल की गोरखा सेना का नाम गऊ रक्षा की रक्षा हेतु सेना का नाम गोरखा रखा गया था। गोरखा की खोज संत गोरखनाथ ने ही की थी। गोरखा का अर्थ गायों का रक्षक भी होता है। संत गोरखनाथ ने धर्म की रक्षा के लिए लड़ने वाले सेनानियों के लिए गोरखा पाया। केन्द्र में प्रधानमंत्री मोदी एवं प्रदेश में योगी सरकार मे गऊवंश को नेपाल जैसा राष्ट्रीय पशु का दर्जा अभी तक क्यों नहीं मिला? जिस कारण दिखावटी तिलकधारी गऊशाला हिंदू गैंग हावी होता जा रहा है। ऐसे दिखावटी गैंग का पर्दाफाश कर गऊमाता को बेचने वाले राक्षसों को आमजन और जनमानस को सबक सीखना होगा।, जों गायों के नाम से चंदा आदि लेकर अपनी हिंदू पैंटरी की दुकान वर्षो से चला रहे है।
इसी प्रकरण के जानकर राज्य पुरोहित भारत सरकार एवं गऊ साइंटिस्ट डॉ. सीता रमन का कहना है की मानवता और वेद अनुसार गाय प्रकृति का हिस्सा है। गऊमाता को कलयुगी राक्षसों से बचाकर रखना होगा एवं गऊवंश की रक्षा करना जनमानस और मानवता का प्रथम धर्म है।
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