*सुझाव* : भू-गर्भ जल विभाग द्वारा हर जिले में भू-जल सेना का गठन का फैसले की मांग समय-समय पर उ.प्र. के जिला गाजियावाद से सामाजिक कार्यकर्त्ता रविंद्र आर्य करते आये है, जिस प्रकार भु-गर्भ जल विभाग एवं लघु सिचाई विभाग के पास हर जिले में पर्याप्त सरकारी कर्मचारी ना होने के कारण प्राइवेट बॉडी के तोर पर इन 18 हजार आवेदनों व्यक्तिगत लोगों का प्रयोग किया जा सकता है। जों जल समस्याओं पर एक योद्धा के जैसा काम कर सकते है। जैसे- इस्रायल ने अपने देश में जल से सम्बंधित सभी समस्या को पूर्ण रूप से समाधान निकाला और भारत का सहयोगी देश इस्रायल की मदद से भारत के हरियाणा राज्य में भी जल संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री ने लांच की थी। ‘सुजल’ पहल हर पेयजल मीटर और ट्यूबवेल पर विशेष उपकरण लगवाये थे।
*सराहनीय कार्य* : उत्तर प्रदेश सरकार में सहायक अभियंता लघु सिचाई विभाग के राजपाल राज भास्कर ने बताया की एनजीओ, नगर पंचायत, ग्राम पंचायत, मीडिया, हेल्थ, पर्यावरण सहित व्यक्तिगत लोगों को जो की जल से सम्बंधित जलसंरक्षण पर कार्य कर रहे है, उनको प्रणाम पत्र एवं इनाम के रूप में एक पर्याप्त राशि सरकार प्रदान कर रही है। यह पहल सरकार द्वारा सामाजिक दृष्टि से बहुत अच्छा संदेश दे रही है। अब समय आ चुका है की सामाजिक लोगों के यह सराहनीय कार्य को सरकार कैसे प्रयोग करें? मेरा खुद का मानना यह है की जिनता सरकारी तंत्र खुल कर काम नहीं कर पाता, उससे अधिक आमजन या जनमानस जों की प्राइवेट बॉडी है, ऐसे कार्य को आसानी से खुलकर कर पाता है। यह मेरी व्यक्तिगत राय है, क्यों की प्राइवेट बॉडी होकर स्वंम मैने भू-जलदोहन करने वालों की लिस्ट तैयार कर वीडियो फोटो ओर लेख द्वारा जलमाफियों की पोल खोली है। जिसकी रिपोर्ट रविंद्र आर्य ने शासन और प्रशासन दोनों को भेजी, मेरा अपना मानना है की सरकारी तंत्र को ऐसा करना मुझे अस्वयंभव सा लगता है। इसी कारण मै सरकार को सुझाव देना चाहता हूँ कि जब आवेदन में लोग इतना बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे है तो क्यों ना 18 हजार रजिस्ट्रेशन आवेदनों का प्रयोग जालमफियों के खिलाफ किया जाए? जो की सरकार ओर आम जनमानस दोनों के लिए अति उत्तम मार्ग होगा।
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