Hot Posts

6/recent/ticker-posts

मेरठ मेयर चुनाव में भाजपा को अपने अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़नी है हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल शीर्ष पर है: सुनीता वर्मा

Ghazibad: हिन्दुस्तान में सरकार उसी की बनती है जिसकी तूती उत्तर प्रदेश में बजती है और उत्तर प्रदेश में तूती उसी की बजती है जिसका झंडा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऊँचा है, यही अब तक होता रहा है और आगे भी यही होने की उम्मीद जताई जाती है ! राजनति में कुछ टोने टोटके या कहें मान्यताये भी चली आ रही हैं ! हस्तिनापुर में जिसका विधायक, उत्तर प्रदेश में सरकार उसकी, उत्तर प्रदेश में जिसकी सरकार मेरठ में मेयर उसका नहीं ! आगामी दिसंबर में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं और शासन प्रशासन की तैयारियों को देखकर अंदाज लगाया जा रहा है कि निकाय चुनाव निर्धारित समय पर होने की पूरी-पूरी सम्भावना है ! मेरठ की पहली दलित महिला मेयर सुनीता वर्मा भाजपा से नहीं है अर्थात किवदंती ठीक ही चल रही है ! सुनीता वर्मा ने मेयर का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था लेकिन फिलहाल वो और उनके पति पूर्व विधायक योगेश वर्मा सपा की साइकिल की सवारी कर रहे हैं ! अगला मेयर कौन होगा इसे लेकर जहाँ एक ओर भाजपा ने अभी से अपना पूरा जोर लगा दिया है वहीँ बाकी दल अभी भी सोच विचार में ही लगे हुए है ! 
भाजपा ने अपने छत्रपों को पूरी तरह से चुनावी मोड़ में लाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं वही सपा बसपा अभी भी निष्क्रिय अवस्था में ही हैं ! भाजपा ने अपने प्रभारी भी घोषित करने शुरू कर दिए है और चुनाव के लिए अपने एक पूर्व महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन ऋतुराज को मेरठ का प्रभारी बनाकर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए शंख फूंक दिया है ! वैसे तो भाजपा हमेशा ही चुनावी मोड में रहती है लेकिन जितने आक्रामक तरीके से निकाय चुनाव को लेकर तैयारियां की जा रही हैं उस से अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा निकाय चुनाव को कितनी गम्भीरता से ले रही है ! 2017 के चुनाव परिणाम को देखने से पता चलता है कि 2017 में भाजपा से मेयर पद के लिए प्रत्याशी रही कान्ता कर्दम (वर्तमान में राज्यसभा सदस्य ) को लगभग 29582 वोटों के अंतर से हराया था ! 2007 में सुनीता वर्मा के पति योगेश वर्मा ने हस्तिनापुर विधानसभा चुनाव में लगभग 17523 वोटों के अंतर से हराया था ! उस चुनाव में योगेश वर्मा को 34200 वोट मिले थे जबकि कान्ता कर्दम को 16677 वोटों से संतोष करना पड़ा था और वो चौथे नंबर पर रहीं थी ! 2017 के मेयर चुनाव में बसपा को हर वार्ड से वोट मिले थे ! यह बसपा की एक बड़ी उपलब्धि थी ! भाजपा में तब लगभग १० वार्डों में बगावती सुर भी उठे थे लेकिन चुनाव बाद फिर सब सामान्य हो गया था ! सुनीता वर्मा की जीत में एक बड़ी कामयाबी दलित मुस्लिम समीकरण थी जिसका उस समय कोई तोड़ नहीं था ! बड़े मुस्लिम बसपाई चेहरे याकूब कुरैशी ( फिलहाल वांटेड ) और दलित नेता योगेश वर्मा की जुगलबंदी ने भाजपा की सारी व्यूह रचना को फेल करते हुए एकतरफा जीत का स्वाद चखा था लेकिन फिर एकाएक ऐसा हुआ की योगेश वर्मा ने सपा में अपना ठिकाना बनाया और हाथी से दुरी बना ली !अब फिर से निकाय चुनाव का बिगुल बजा है तो फिर से एक बार पुराने समीकरण सुधारे जा रहे हैं ! आरक्षण की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है लेकिन सभी दावेदार अपने अपने स्तर से पूरा जोर लगाए हुए हैं और पूरी तन्मयता से चुनावी मोड में आ चुके हैं ! मेयर चुनाव में हारने के बाद भाजपा ने कान्ता कर्दम को राजयसभा भेजा और उन्हें एक बड़े दलित चेहरे के रूप में स्थापित करने की पूरी कोशिश की लेकिन यह कहीं से भी फलीभूत होता हुआ नहीं लगा ! सपा ने अपनी कमेटी घोषित करके चुनावी मोड में आने की कोशिश की है लेकिन जिस तरह से कार्यकर्त्ता निष्क्रिय हैं उस से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं पाली जा रही है ! राष्ट्रीय लोकदल ने भी सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है ! आम आदमी पार्टी ने भी निकाय चुनाव में उतरने की घोषणा तो कर दी है लेकिन बहुत ज्यादा सक्रियता नहीं दिखाई दे रही है क्योंकि पूरी आम आदमी पार्टी गुजरात में लगी हुई है ! पिछले चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने ताल ठोकी थी लेकिन उसका खता भी नहीं खुला था ! आम आदमी पार्टी से संजय सिंह (राजयसभा सदस्य) उत्तर प्रदेश के प्रभारी है लेकिन फिलहाल पूरा समय दिल्ली में दे रहे हैं और भाजपा के खिलाफ मुखर लड़ाई में अग्रिम पंक्ति की कमान संभाले हुए है आगे क्या करना चाहते है ये अभी भविष्य के गर्त में है ! सबसे बड़ी परीक्षा तो भाजपा की होनी है कि भाजपा सभी वार्डों में अपने प्रत्याशी उतार पाती है या नहीं ? सुरेश जैन ऋतुराज सौम्य स्वभाव के व्यक्ति हैं उतने मुखर और आक्रामक नहीं हैं जितने की भाजपा मेरठ को जरुरत है ! भाजपा में मेयर और सभासद पद से चुनाव लड़ने का सपना पाले बैठे कार्यकर्ताओं ने अपने तरकश में सजाये हुए तीर निकलने शुरू कर दिए हैं और होर्डिंग बैनर दिखाई देने लगे है ! अगले महीने दीपावली पर शुभकामनाओं का दौर चलेगा तो और बहुत से वीर ताल ठोकते हुए दिखाई देंगे ! पंजाबी समाज ने फिर से एक बार अपनी दावेदारी ठोक दी है और वहां से बहुत से दावेदार भी उभरने लगे हैं जिनमे मुख्य रूप से महेश बाली, पूर्व मेयर हरिकांत अहलूवालिया मुख्य दावेदार के रूप में उभरे हैं वहीँ दूसरी ओर कमल दत्त शर्मा , अमित मूर्ति भी लाइन में बताये जा रहे हैं ! जहाँ कमल दत्त शर्मा फिलहाल में हुए विधान सभा चुनाव में मेरठ शहर से प्रत्याशी थे लेकिन सारे जतन करने के बाद भी विधायक बनने में कामयाब नहीं हो पाए वहीँ दूसरी ओर अमित मूर्ति विधान सभा चुनाव में भी जोर आज़माइश में लगे थे लेकिन बात बन नहीं पायी अब फिर से एक बार मेयर की कुर्सी के मोह में पुरे जतन से लगे हुए हैं !फिर एक बार जनप्रतिनिधियों में जोर आज़माइश होने कि पूरी पूरी सम्भावना है ! 
भाजपा से मेयर चुनाव के लिए टिकट किसे मिलता है ये तो अभी भविष्य के गर्त में है लेकिन एक बड़ा सवाल बुद्धिजीवी वर्ग जरूर तलश करने की कोशिश कर रहा है की क्या भाजपा सभी वार्डों में अपने सभासद के प्रत्याशी उतार पायेगी या नहीं और यही उस उस सर्व विदित नीति की परीक्षा होगी जिसमे सभी कहते है - सबका साथ सबका विकास !!!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ