नई दिल्ली : पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की "मेदिनी पुरस्कार योजना" (वर्ष 2020-21) के अंतर्गत राष्ट्रीय नदी गंगा को आधार बनाकर लिखी गई पुस्तक "गंगा-एक एहसास" को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है। पुरुस्कृत पुस्तक को गाजियाबाद के वरिष्ठ पत्रकार विनय संकोची और वेद कुमार शर्मा ने लिखा है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने पुरस्कार लेखकद्वय वेद शर्मा और विनय संकोची को मंत्रालय के गंगा ऑडिटोरियम में एक भव्य समारोह में गत दिवस प्रदान किया। इस पुरस्कार के लिए देशभर से आमंत्रित प्रविष्टियों में "गंगा-एक एहसास" को प्रथम पुरस्कार दिया जाना पुस्तक के स्तर और सरकार की गंगा के प्रति गंभीरता को भी दर्शाता है।
अनुभव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित "गंगा- एक अहसास" में लेखकद्वय ने बहुत ही सरल, सहज, रोचक भाषा-शैली में पतित पावनी, देव पूजित, वेद वंदित, औषधि रूपा गंगा के धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक महत्व को विभिन्न पात्रों के माध्यम से प्रस्तुत किया है। "गंगा-एक एहसास" एक ओर जहां गंगा की महिमा का बखान करती है, वहीं दूसरी और गंगा की उपेक्षा, शोषण और पीड़ा का वर्णन भी करती है। लेखकद्वय ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को यह चेतावनी देने का काम भी किया है कि यदि गंगा की अविरलता और निर्मलता से इसी प्रकार छेड़छाड़ की जाती रही तो एक दिन गंगा रूठ जाएगी। गंगा रूठ गई, तो भारत की जीवनधारा बाधित होगी और करोड़ों गंगा-तट वासियों का जीवन संकट में पड़ जाएगा। वेद शर्मा और विनय संकोची की यह कृति कोरी कल्पना पर आधारित नहीं है। "गंगा" के महत्व और पीड़ा को समझने के लिए लेखकद्वय ने तीन चौथाई गंगा की यात्रा की है।
विभिन्न चैनलों से संबद्ध रहे वरिष्ठ मीडिया कर्मी वेद शर्मा और लेखक, पत्रकार, स्तंभकार, कवि विनय संकोची को पुरस्कार स्वरूप प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपए की राशि प्रदान की गई। द्वितीय पुरस्कार पंकज चतुर्वेदी की कृति "धरती बचाओ" और तृतीय पुरस्कार अंकिता जैन की पुस्तक "ओह रे किसान" को प्रदान किया गया।
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