गाजियाबाद : शालीमार गार्डन मेन तथा जवाहर पार्क वार्ड से जुड़ा है। दरअसल गाजियाबाद नगर निगम के वार्ड 37 (शालीमार गार्डन मेन) में 2017 के चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 16,628 तथा वार्ड 82 (जवाहर पार्क) में कुल मतदाताओं की संख्या 14,945 थी। दोनो वार्डों के कुल मतदाताओं की अगर बात करें तो इसकी संख्या 31,573 मतदाताओं का नाम दर्ज था। जिसकी तुलनात्मक अध्ययन करने के दौरान ऐसे हज़ारों वोटरों के नाम सामने निकल कर आए है, जिनके नाम, पिता /पति का नाम, लिंग, उम्र तथा पता लगभग एक समान है। इनमें से सैकड़ो नाम ऐसे भी हैं जो दोनो वार्डों की लिस्ट में बकायदा दर्ज है। ऐसे 5,524 वोटरों के नाम दोनो वार्डो में पाए गए है।
इतनी बड़ी लापरवाही के पीछे प्रशासनिक चूक अथवा विगत के वर्षों में इन वार्डों की मतदाता सूची दुरुस्त करने हेतु ड्यूटी पर लगाए गए बीएलओ, सम्बंधित सुपरवाइजरों तथा जिला निर्वाचन कार्यालय की संलिप्तता इस भारी लापरवाही का मूल कारण हो सकता है।
युनाईटेड फोरम ऑफ ट्राँस हिंडन एसोसिएशन द्वारा वोटो के नटवरलाल वाले इस नेक्सस का पर्दाफाश करते हुए 99 पेज की एक लिस्ट जिसमे कुल 5,524 डुप्लीकेट वोटरों के नाम, भाग संख्या, क्रमांक, वार्ड संख्या सहित जिलाधिकारी के अलावा राज्य निर्वाचन आयुक्त, उत्तर प्रदेश समेत केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त को भेजते हुए वोटो के इस डूप्लीकेसी को जड़ से समाप्त करके निष्पक्ष और स्वस्थ चुनाव करवाने की माँग की है।
विदित है कि युनाईटेड फोरम ऑफ ट्राँस हिंडन एसोसिएशन लगातार नगर निगम चुनाव में प्रयुक्त होन वाले बिना फोटो वाले मतदाता सूची को समाप्त करके, फोटो युक्त मतदाता से चुनाव करवाने के लिए राष्ट्रपति,राज्यपाल, प्रधानमंत्री कार्यालय, केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिख चुका है। लखनऊ स्थित राज्य निर्वाचन आयुक्त श्री मनोज कुमार से मिलकर तथ्यों के साथ मिलकर इसकी शिकायत और सुझाव भी दे चुका है लेकिन इसके बावजूद राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इस दिशा में कोई कार्यवाही नही की गई। परीक्षण के तौर पर नगर निगम के चुनाव सूची का तुलनात्मक अध्ययन करने के दृष्टिकोण से जब गाजियाबाद के आसपास स्थित दो वार्ड 37 तथा 82 के कुल 31,573 मतदाताओं पर तुलनात्मक अध्ययन किया गया तो 5,524 मतदाताओं के ऐसे नाम सामने आए जिनके नाम के अलावा पिता/पति, लिंग लगभग उम्र और पता एक अथवा एक ही तरह के भूखड़ों का आया, जिसकी पूरी सूची गाजियाबाद जिला प्रशासन सौपी गई है। इस तरह के प्रशासनिक चूक, नगर निगम के चुनावी प्रक्रिया पर बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि गाजियाबाद जिला प्रशासन वोटो में हुए इस भारी जालसाजी पर क्या कदम उठाता है।
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