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एक माह तक चलने वाले काशी तमिल संगमम की सभी तैयारियां उच्चस्तरीय होनी चाहिए: मुख्यमंत्री

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज अपने जनपद वाराणसी भ्रमण के दौरान सर्किट हाउस सभागार में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर 17 नवम्बर से 16 दिसंबर, 2022 तक जनपद में आयोजित होने वाले काशी तमिल संगमम तथा 07 नवंबर, 2022 को होने वाली देव-दीपावली की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक माह तक चलने वाले काशी तमिल संगमम की सभी तैयारियां उच्चस्तरीय होनी चाहिए। इसके साथ ही 07 नवम्बर, 2022 को देव दीपावली पर्व को पूरे हर्षाेल्लास एवं भव्यता के साथ मनाया जाए। गंगा घाटों एवं आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। 
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वाराणसी में एक माह तक आयोजित होने वाले काशी तमिल संगमम भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार एवं जिला प्रशासन की इसके समन्वय की पूरी जिम्मेदारी है। उन्होंने स्थानीय तमिल लोगों से संवाद स्थापित कर कार्यक्रम से जोड़े जाने पर बल देते हुए कहा कि व्यवस्था में स्थानीय पुलिस के साथ तमिल वॉलंटियर को शामिल किया जाए, जिससे बाहर से आने वाले तमिल समुदाय के लोगों से सहज समन्वय स्थापित हो सके। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर तमिल समुदाय के ऐसे लोग, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किए हो, को चिन्हित किया जाए, ताकि तमिलनाडु से आने वाले लोगों के साथ वे अपने अनुभव को साझा कर सकें। कार्यक्रम में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विद्वानों को भी सम्मिलित किया जाए। 
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तमिल भाषा का उद्गम भगवान शिव से ही हुआ है, इसलिए काशी से अच्छा इस कार्यक्रम के लिए कोई दूसरा स्थान नहीं हो सकता। कार्यक्रम के दौरान आने वाले डेलिगेशन के सदस्यों का स्वागत पहले दिन डमरू दल द्वारा, दूसरे दिन वैदिक मंत्र उच्चारण से किया जाए। काशी तमिल संगमम कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 19 नवंबर, 2022 को वर्चुअल माध्यम से जुड़ेंगे।
 मुख्यमंत्री जी काशी तमिल संगमम के दौरान तमिलनाडु से आने वाले डेलिगेशन के सदस्यों की समुचित एवं पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराए जाने का निर्देश दिए। डेलिगेशन में आए सदस्य प्रयागराज एवं अयोध्या भी जाएंगे, इसलिए वहां के जिला प्रशासन के साथ समन्वय बैठक कर लिया जाए। इसके लिए मुख्य सचिव एवं डी0जी0पी0 के स्तर पर उच्चस्तरीय बैठक किए जाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि इस बैठक में रेलवे के भी अधिकारियों को सम्मिलित किया जाए। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान पूरे शहर की समुचित स्वच्छता एवं साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिए जाने पर जोर देते हुए कहा कि इसमें किसी भी स्तर पर कोताही न बरती जाए। कार्यक्रम स्थल पर नोडल अधिकारियों की तैनाती कर दी जाए। इसके साथ ही द्विभाषी लोगों की भी व्यवस्था कार्यक्रम स्थल पर सुनिश्चित की जाए।
 मुख्यमंत्री जी ने 07 नवम्बर, 2022 को आयोजित होने वाले देव दीपावली पर्व की समीक्षा के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के साथ-साथ सुरक्षा की समुचित एवं चाक-चौबंद व्यवस्था सुनिश्चित कराए जाने हेतु पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया। देव दीपावली पर्व पर यातायात व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने तथा जनसामान्य को किसी भी प्रकार की परेशानी न होने देने पर विशेष जोर देते हुए उन्होंने घुमंतू पशुओं को नियंत्रित किये जाने के निर्देश दिए। उन्होंने मणिकर्णिका घाट पर समुचित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित कराए जाने के साथ ही, शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने हेतु भी निर्देशित किया। उन्होंने एन0डी0आर0एफ0 एवं जल पुलिस के लोगों को पूरी तरह एक्टिव रखने के निर्देश भी दिए।
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देव दीपावली के दौरान ड्यूटी पर लगाए गए पुलिसकर्मियों की काउंसलिंग की जाए कि उनका जनसामान्य के प्रति व्यवहार अच्छा हो। कार्यक्रम स्थल पर सी0सी0टी0वी0 कैमरे की व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वाराणसी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का संसदीय क्षेत्र है। यहां पर पूरी दुनिया की निगाह लगी रहती है। कार्यक्रम को पूरे उत्साह एवं हर्षाेल्लास के साथ नए तरीके से मनाया जाए। 
 मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस अवसर पर वाराणसी में पर्यटकों की सुरक्षा को देखते हुए एन0डी0आर0एफ0 के जवान वाराणसी के सभी मुख्य घाटों पर मुस्तैद रहें। एन0डी0आर0एफ0 की 05 टीमें काशी के प्रमुख घाटों जैसे नमो घाट, दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट, पंचगंगा घाट, केदार घाट, राजघाट पर गंगा तट पर तैनात की जाएं। यह टीमें गोताखोर, पैरामेडिक्स, डीप डाइविंग सेट, लाइफ जैकेट, लाइफ बॉय व अन्य आधुनिक बचाव उपकरणों के साथ देव दीपावली के कार्यक्रम के दौरान घाटों पर मुस्तैद रहें। इसके अलावा एन0डी0आर0एफ0 की मेडिकल टीम ‘वॉटर एम्बुलेन्स’ के साथ विभिन्न घाटों पर उपस्थित रहें और श्रद्धालुओं को निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराएं। देव दीपावली के अद्भुत नजारे को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों लोग घाटों पर उपस्थित होते हैं। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए एन0डी0आर0एफ0 के प्रशिक्षित बचावकर्मी उपस्थित रहंे। 
 बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जी के स्थानीय स्तर पर रह रहे तमिल लोगों से संवाद स्थापित किए जाने के निर्देश के क्रम में मण्डलायुक्त, वाराणसी श्री कौशल राज शर्मा ने बताया कि वाराणसी में तमिलनाडु के रह रहे लगभग 1000 से अधिक परिवार के लोगों से संवाद स्थापित हो गया है। बैठक में काशी तमिल संगमम एवं ‘देव-दीपावली’ पर प्रस्तुतीकरण मण्डलायुक्त, वाराणसी एवं सुरक्षा व्यवस्था पर प्रस्तुतीकरण पुलिस कमिश्नर, वाराणसी श्री ए0 सतीश गणेश ने किया।
 बैठक में प्रदेश के स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रवीन्द्र जायसवाल, आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
 ज्ञातव्य है कि वाराणसी में 17 नवम्बर से 16 दिसंबर, 2022 तक एक महीने काशी तमिल संगमम का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में तमिलनाडु से 12 समूहों में कुल 2500 लोगों को काशी आमंत्रित किया जा रहा है, जो काशी की संस्कृति और इसके महत्व को समझेंगे। काशी तमिल संगमम कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति की इन दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों/विद्वानों के बीच अकादमिक आदान- प्रदान-सेमिनार, चर्चा आदि आयोजित किए जाएंगे, जिसमें दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को आगे लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और संस्कृति की इन दो परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की एक समझ निर्मित करना और इन क्षेत्रों लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों को मजबूत करना है। 
 काशी तमिल संगमम में तमिलनाडु से आए समूह काशी की ऐतिहासिक महत्ता को समझेंगे। इस दौरान तमिलनाडु के विभिन्न सांस्कृतिक दल काशी में अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा तमिलनाडु के छोटे व्यवसायी काशी में अपने स्टॉल लगाएंगे और अपनी व्यापारिक गतिविधियों को आगे ले जाएंगे। ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की समग्र रूपरेखा और भावना के तहत आयोजित होने वाला यह संगमम प्राचीन भारत और समकालीन पीढ़ी के बीच एक सेतु का निर्माण करेगा। 
 काशी तमिल संगमम ज्ञान, संस्कृति और विरासत के इन दो प्राचीन केंद्रों के बीच की कड़ी को फिर से जोड़ेगा। काशी तमिल संगमम ज्ञान के विभिन्न पहलुओं-साहित्य, प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, अध्यात्म, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हथकरघा, हस्तशिल्प के साथ-साथ आधुनिक नवाचार, व्यापारिक आदान-प्रदान, एजुटेक एवं अगली पीढ़ी की अन्य प्रौद्योगिकी आदि जैसे विषयों पर केंद्रित होगा। इन विषयों पर विचार-गोष्ठी, चर्चा, व्याख्यान, कार्यशाला आदि आयोजित किए जाएंगे। काशी तमिल संगमम छात्रों, विद्वानों, शिक्षाविदों, पेशेवरों आदि के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा एवं प्रशिक्षण से संबंधित कार्यप्रणालियों, कला एवं संस्कृति, भाषा, साहित्य आदि से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में सीखने का एक अनूठा अनुभव होगा।
 एक महीने के इस काशी तमिल संगमम में करीब 500 कलाकार कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। तमिलनाडु से संबंधित प्रदर्शनी, फ़ूड कोर्ट रविदास पार्क में एक महीने चलेगी तथा पूरे एक महीने सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इस दौरान अलग अलग दिन प्रदेश सरकार के मंत्रीगण और तमिलनाडु के विशिष्ट अतिथि शामिल होंगे। काशी तमिल संगमम हेतु सभी ग्रुप के दिन भी निश्चित हो गए हैं, जिनमें छात्र 19 से 20 नवम्बर, हस्तशिल्पी 22 और 23 नवंबर, साहित्य 23 व 24 नवंबर, अध्यात्म 26 से 27 नवंबर, व्यवसायी 30 नवंबर से 1 दिसंबर, शिक्षक 2 दिसम्बर, हेरिटेज 4 व 5 दिसम्बर, नवउद्यमी 7 व 8 दिसम्बर, प्रोफेशनल 8 व 9 दिसंबर, टेम्पल 10 व 11 दिसम्बर, ग्रामीण-कृषक 13 व 14 दिसम्बर, संस्कृति 15 व 16 दिसम्बर है। 
 गौरतलब है कि देव दीपावली महादेव के शीश पर विराजमान अर्धचंद्र की भांति काशी के अर्धचंद्राकार संपूर्ण 84 गंगा घाटों एवं गंगा उस पार रेती पर मनाई जाती है। देव दीपावली का धार्मिक महत्व इस विश्वास में निहित है कि इस दिन देवी और देवता गंगा नदी में पवित्र स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। पवित्र गंगा नदी का पूरा घाट देवताओं और देवियों के सम्मान में लाखों छोटे मिट्टी के दीपक (दीया) से सुसज्जित किया जाता है।ऐसा माना जाता है कि इसी दिन, भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस त्योहार को त्रिपुरा उत्सव के रूप में भी जाना जाता है। मिट्टी के दीपक जलाने की परम्परा की शुरुआत वर्ष 1985 में पंचगंगा घाट पर की गई थी।
 धार्मिक महत्व के अलावा, यह दिन देशभक्ति के महत्व से भी जुड़ा हुआ है। इस दिन, भारतीय बलों के सभी शहीद सैनिकों को याद किया जाता है और श्रद्धांजलि दी जाती है। वाराणसी में शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में पुष्पांजलि अर्पित की जाती है। यह आयोजन गंगा घाट पर किया जाता है। देशभक्ति के गीत गाए जाते हैं और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा समारोह का समापन किया जाता है

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